दर्शन को गए थे लामा

कबीर मठ (मूलगादी) के मैनेजर गोपाल दास के मुताबिक शनिवार की सुबह थाइलैैंड से लामाओं का एक ग्रुप मठ में आया था और ग्रुप में शामिल तीन लामाओं ने मंदिर में ध्यान लगाने के लिए उसे खोलने का अनुरोध किया था। जिसके बाद पुजारी ने मंदिर को खोल दिया। इस दौरान तीन में से दो लामा बाहर ही रुक गए जबकि एक अंदर गया। करीब पांच मिनट तक उसने मंदिर में ध्यान लगाया और उसके बाद तीनों चले गए। प्रबंधक के मुताबिक पर्यटक दल जब पिछली बार आया था तो मठ से मिट्टी ले गया था। वे कबीरदास से जुड़ी वस्तुओं को थाइलैंड में स्थापित करने की बात कह रहे थे।

रविवार को हुई जानकारी

कीमती माला के चोरी होने की जानकारी मठ के पुजारी बनारसी दास को रविवार की सुबह तब लगी जब वो साफ सफाई व आरती के लिए मंदिर खोलकर अंदर पहुंचे। इस घटना पर उन्होंने शोर मचाया जिसके बाद लोग भागते हुए मंदिर में पहुंचे। मंदिर के अंदर से माला गायब होने की सूचना से हड़कंप मच गया। पुजारी को मंदिर से गायब कीमती माला की जगह वहां रखी गई रुद्राक्ष की माला मिली।

मठ प्रशासन को नहीं पता कौन थे लामा

पुलिस को इस मामले की जांच करने में काफी प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है। वजह मठ प्रशासन के पास मठ में आये लामाओं की कोई सूचना मौजूद न होना। इसके अलावा मठ में सीसीटीवी कैमरा न होने और आने जाने वालों के बारे में कोई रिकॉर्ड न होने से भी पुलिस परेशान है। मंदिर हमेशा बंद रहता है और सिर्फ खास या लोगों के दर्शन के लिए खोला जाता है। पुलिस पर्यटक दल के बारे में अभिसूचना इकाई से पता लगा रही है।

काफी पुरानी थी माला

चोरी गई माला छह सौ साल पुरानी थी। मठ प्रबंधन के मुताबिक इस माला को संत कबीर को उनके गुरु रामानंद जी ने दिया था.इसके अलावा मठ के बीजक मंदिर में अन्य दुर्लभ वस्तुएं भी हैं। इनमें कबीरदास की चरण पादुका, उनका पेय पात्र काष्ठ की हांडी व गोरखपंथी योगी का पराजय-प्रतीक त्रिशुल प्रमुख हैं। बीजक मंदिर के बगल में ही महान संत का समाधि स्थल भी है।