- संत रविदास की जयंती पर लाखों भक्तों ने मंदिर में टेका मत्था

- देश-विदेश से आये रैदासियों से गुलजार रही गुरु की जन्मस्थली

- पूरे दिन गुरु की अमृतवाणी से गूंजता रहा सीर गोवर्धन

VARANASI

शहर से सटे छोटे से गांव सीर में अनंत श्रद्धा का भाव समेटे हुए अनगिनत चेहरे और हर चेहरे पर संतुष्टि की एक खास लालिमा। सामाजिक असमानता का बोध कराने वाले अमीर गरीब, ऊंच-नीच, छोटा बड़ा जैसे शब्दों का यहां कोई मायने नहीं। यहां जो भी था गुरु का भक्त था और उनके चरणों में अपनी श्रद्धा समर्पित करने आया था। बुधवार को संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धनपुर में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। मौका था संत गुरु की जयंती का। समाज को 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' जैसे भाव सूत्र देने वाले महान संत रविदास के दरबार में श्रद्धालुओं ने मत्था टेका और खुद को निहाल किया।

कतारबद्ध दिखी आस्था

संत रविदास के जन्मोत्सव के अवसर पर देश-विदेश के हजारों श्रद्धालुओं ने गुरु मंदिर में शीश नवाया। मन में गुरु के प्रति असीम आस्था का भाव और हाथों में उनके चरणों में समर्पित करने के लिए श्रद्धा के चंद फूल लिए हजारों की संख्या में देशी-विदेशी श्रद्धालु अपने गुरू के दर्शन की प्रतीक्षा में कतार में लगे रहे। संत के दर्शन का सिलसिला भोर से ही शुरु हो गया था। श्री गुरु रविदास जन्मस्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से हुए जयंती कार्यक्त्रम का शुभारंभ स्वर्ण पालकी में विराजमान संत गुरु रविदास के पारंपरिक पूजन- अर्चन के साथ हुआ। सच्चाखंड बल्ला धाम के गद्दीनशीन संत निरंजन दास बाबा की अगुवाई में अमृतवाणी ग्रन्थ का पाठ किया गया। संत निरंजन दास ने मंदिर के पास स्थायी रुप से लगाये गये रविदासी पताका 'हरि' निशान साहब को फहराया।

लाखों ने लिया गुरु का प्रसाद

श्रद्धालुओं ने गुरु दर्शन के बाद लंगर छका। सुबह से शुरू हुए अटूट लंगर का कार्यक्त्रम देर रात तक चलता रहा। व्यवस्थापकों की मानें तो जन्मोत्सव के दिन तकरीबन चार लाख लोगों ने लंगर छका। देश के विभिन्न भागों से आये आस्थावानों के अलावा आसपास के गांवों के लोग भी लंगर में शामिल हुए और गुरु का प्रसाद ग्रहण किया। खाना बनाने से लेकर खिलाने तक की जिम्मेदारी सेवादारों ने संभाल रखी थी।

गुरु संदेश का किया बखान

पूरे दिन सीर गोवर्धनपुर का इलाका संत गुरु रविदास के संदेशों से गूंजता रहा। श्रद्धालु अपने-अपने शिविरों में भजन-कीर्तन करते दिखे। सड़क पर भी गुरु भक्तों का काफिला झूमते-गाते मंदिर की ओर जाते दिखा। श्रद्धालु सुध-बुध खोकर गुरु भक्ति में लीन दिखे। मुख्य शिविर में संत निरंजन दास का प्रवचन हुआ। जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने उनके मुख से संत गुरु रविदास के संदेशों को सुना।

मेला में उमड़ा रेला

मंदिर के आसपास के इलाकों में मेले का माहौल रहा। सड़क के दोनों ओर सजी दुकानें खरीदारों से भरी रहीं। चूड़ी, बिंदी से लेकर साडि़यों व अन्य घरेलू सामानों की खरीदारी भी जोरों पर हुई। खाने-पीने की चीजों की दुकानों पर भी लोग स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेते दिखे। अस्थाई रूप से सजी छोटी बड़ी दुकानें खरीदारों से भरी नजर आयी। गुरु रविदास के संदेशों की सीडी, निशान आदि चीजों की भी खूब बिक्री हुई।

शाम को निकली झांकियां

रविदास जयंती के अवसर पर हर साल निकलने वाली परंपरागत झांकियों के रविदास मंदिर में पहुंचने का क्त्रम देर रात तक जारी रहा। शाम को शहर के विभिन्न इलाकों से निकली झांकियां दोपहर में मैदागिन में एकत्र हुई और वहां से जुलूस की शक्ल में सीर पहुंची। जुलूस में हजारों की संख्या में लोग संत रविदास की जय का उद्घोष करते चल रहे थे। जुलूस में बड़ी संख्या में ट्रक व ट्रैक्टर पर सजी झांकियों के अलावा हाथी व घोड़ों पर सजी झांकियां भी सजाई गई थी।