बिग बॉस पर बात ना करने की रिक्वेस्ट

वह विदाई की 'साधना' के किरदार में ऑडियंस का दिल जीत चुकी हैं। तो वही बिग बॉस में अली मर्चेंट से शादी ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। आठ साल पहले मिस एमपी बनने के बाद जब वह टीवी इंडस्ट्री में आईं तो उनकी मासूमियत और इनोसेंट स्माइल ने लोगों को उनका दीवाना बना दिया। अब वह डेली सोप 'जुनून' और डीडी वन की 'रंगोली' के जरिए ऑडियंस से रिश्ता बनाए हुए हैं। हम बात कर रहे हैं सारा खान की। एक रियल्टी शो के ऑडीशंस के लिए बरेली पहुंचीं सारा ने आई नेक्स्ट से खास मुलाकात की, पर इससे पहले उन्होंने बिग बॉस के बारे में बात ना करने की रिक्वेस्ट भी की।

अब तक के करियर के सफर को कैसे देखती हैं.

साधना का कैरेक्टर माइल स्टोन था, उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैं अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती हूं। पर मैं ज्यादा पाने के चक्कर में कुछ खोना भी नहीं चाहती हूं। मैं किसी भी काम को लेने से पहले उसमें मेरे इन्वॉल्वमेंट को जरूर देखती हूं। किसी एक इमेज में बंधना नहीं चाहती, इसलिए काम में वैरायटी जरूर रखती हूं। मैंने एक्टिंग भी की है, एंकरिंग की है। सबसे ज्यादा चैलेंजिंग रियल्टी शो होस्ट करना है, क्योंकि इसमें आपके लिए स्क्रिप्ट ज्यादा मायने नहीं रखती है। कई बार आपको खुद ही क्रिएट करना होता है। मैं अपने अब तक के क रियर के सफर से सैटिसफाइड हूं।

आपका ड्रीम रोल कौन सा है। कभी आपको निगेटिव रोल ऑफर हो तो क्या अक्सेप्ट करेंगी

निगेटिव रोल मिलेगा तो जरूर करूंगी। मुझे निगेटिव रोल प्ले करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है। मुझे लगता है कि निगेटिव रोल ज्यादा चैलेंजिंग होता है। दरअसल, टीवी के निगेटिव रोल नॉर्मल लाइफ से बिल्कुल मैच नहीं करते हैं, ऐसे में उन्हें पर्दे पर नैचुरल वे में उतारने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होती है। मेरा कोई ड्रीम रोल नहीं है, मैं कोई ऐसा रोल प्ले करना चाहती हूं, जो मुझे देखकर, मेरे लिए ही लिखा जाए। मैं किसी की तरह ना ही बनना चाहती हूं ना ही कुछ करना चाहती हूं।

आने वाले समय में क्या कर रही हैं.

फिलहाल तो मेरे पास अभी समय ही नहीं है, डेली सोप और रियल्टी शो में काफी बिजी हूं। पर कुछ फिल्मों क ो लेकर बात चल रही है। स्क्रिप्ट पूरी होते ही अनाउंस कर दूंगी। पर मेरा फोकस टीवी पर ही है। टीवी की ऑडियंस ज्यादा दिन तक एक्टर्स को याद रखती है.रियल्टी शो के ऑडीशन के लिए आपने तमाम सिटीज में विजिट किया है, कैसा एक्सपीरियंस रहा.यह बहुत अच्छा हुआ कि रियल्टी शो की वजह से मुझे कुछ दिनों के लिए मुंबई से बाहर निकलने का मौका मिला। इस दौरान मुझे डिफरेंट नेचर के लोगों से मिलने का मौका मिला। बरेली की ऑडियंस मुझे काफी अच्छी लगी। यहां के लोग तहजीब वाले हैं। वह वॉयलेंट नहीं हैं, बल्कि काम नेचर के हैं। जितने भी लोगों से मैं मिली वह सभी काफी स्वीट लगे।

टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में क्या डिफरेंस है?

टीवी और फिल्म में कोई अंतर नहीं है, मैंने फिल्म सांवरिया में काम किया है। मैं मानती हूं कि मुझे साधना के कैरेक्टर में इतनी फेम मिली है जितनी लोगों को तीन फिल्में करने के बाद भी नहीं मिलती है। पर इसके लिए मेहनत बहुत जरूरी है, लंबी पारी के लिए काम पर ध्यान देना जरूरी है। काम में क्वालिटी होगी तो ऑडियंस उसे जरूर पसंद करेगी। मुझे लगता है कि क्वांटेटिव वर्क एबिलिटीज को खत्म करने लगता है।