स्पेशल न्यूज

- सरस मेले का बजट कम होने से शासन की मंशा पर प्रश्न चिह्न लगने की जताई जा रही संभावना

- पूर्व में 15 लाख रुपए हुए थे जारी, इस बार प्रचार प्रसार के लिए दिया गया 4 लाख रुपए कम बजट

BAREILLY:

सरस मेले में हस्तशिल्प के हुनरमंदों को आमंत्रित कर उनकी बेहतरीन कारीगरी को बढ़ावा देने का उद्देश्य फ्लॉप होने की संभावना है। साल भर पहले आयोजित सरस मेले के लिए 15 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ था, लेकिन इस बार बजट बढ़ाने के बजाय बजट में करीब 4 लाख की कटौती कर दी गई है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस बार प्रचार प्रसार पर खर्च होने वाला बजट कम कर दिया गया है। इससे शहरवासियों को मेले की जानकारी न होने से इस बार सरस मेले में आए कारीगरों की कला के लिए काफी कम संख्या में कद्रदान मिलने की संभावना है।

बगैर भीड़ कैसा मेला

मेला का उद्देश्य सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाना है। साथ ही, हस्तशिल्प की कारीगरी से शहरवासियों को रूबरू कराना है। ताकि दम तोड़ रही हस्तशिल्प कला को नए आयाम मिल सकें। मेला प्रभारी सहायक संख्याधिकारी सलमान जमीर ने बताया कि बजट कम हुआ है लेकिन जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी इसमें भरपूर सहयोग कर रहे हैं। उम्मीद है कि बगैर प्रचार प्रसार के भी बड़ी तादाद में शहरवासी मेले में पहुंचेंगे।

सम्मान काे मिले पहचान

जानकारी के मुताबिक मेले में एक से बढ़कर एक हस्तशिल्पी पहुंच रहे हैं। इनमें कई ऐसे भी हैं जो प्रदेश और देश स्तर पर हस्तशिल्प अवॉर्ड से नवाजे जा चुके हैं। अगर लोग कम आएंगे तो एक ओर जहां जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार का अभियान प्रभावित होगा वहीं, इन हस्तशिल्पियों के सम्मान को पहचान भी नहीं मिल पाएगी। बता दें कि शासन की ओर से दोनों ही पक्षों को साथ लेते हुए सरस मेले का आयोजन बड़े स्तर पर प्रदेश के सभी जिलों में किया जा रहा है। जिसका मकसद लोगों को कला, संस्कृति समेत जनकल्याणकारी सरकारी योजनाओं से परिचित कराना है। सूत्रों के मुताबिक इस बार अधिकारियों ने सरस मेले के आयोजन के लिए शासन को बजट कम करके प्रस्ताव भेजा, जिसके चलते प्रचार-प्रसार न होने से लोगों को मेले की जानकारी नहीं मिल पा रही है।

बॉक्स मैटर

कमिश्नर ने किया मेले का शुभारंभ

थर्सडे शाम को कमिश्नर डॉ। पीवी जगनमोहन ने सरस मेले का शुभारंभ किया। कहा कि, ऐसे आयोजनों से हस्तशिल्प समेत जनकल्याणकारी योजनाओं का व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार होगा। मेला प्रभारी ने बताया कि मेले में कई सरकारी विभागों ने भी अपनी-अपनी योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के लिए स्टॉल लगाए हैं। फूड प्लाजा भी संचालित हैं। बताया कि यहां बरेली समेत शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत के प्रमुख कारीगर अपने अपने उत्पादों का स्टाल लगाए हैं। शाम को 'बहारों फूल बरसाओ' प्रोग्राम आयोजित हुआ। यहां सीडीओ सतेंद्र कुमार, पीडी डीआरडीए वीरेंद्र कुमार मौजूद रहे।

एक नजर में

- 2016 में हुआ था मेले आयोजित

- 15 लाख रुपए का बजट आवंटित

- 10 दिनों तक जमकर प्रचार प्रसार

- 80 स्टाल पर हुई जमकर बिक्री

- 2017 में बजट नहीं हुआ था जारी

- 2018 में 11 लाख का बजट जारी

- 4 लाख रुपए कम हुआ है बजट

- 105 स्टाल हुए हैं आवंटित

इस बार आयोजित सरस मेले का बजट कम कर दिया गया है। जरूरत के मुताबिक ही बजट जारी हुआ है। मेला सफल बनाने के लिए सभी प्रयासरत् हैं।

सतेंद्र कुमार, सीडीओ