-पहले से अब डांस के स्वरूप में कुछ बदलाव आया है?
मैंने साधना के लिए भी डांस कंपोज किया है और माधुरी के लिए भी। आज मैं करीना के लिए भी कोरियोग्राफी कर रही हूं। यह सही है कि डांस का स्वरूप बदला है। पहले केवल हीरोइन के लिए ही डांस कोरियोग्राफ करना होता था। उसके बाद हीरोइन के साथ को-ऑर्टिस्ट और हीरो के लिए भी कोरियोग्राफ  किया जाने लगा। अब तो आइटम का जमाना है। डांस एक बार फिर हीरोइन को ही केंद्र में रखकर कोरियोग्राफ किया जाने लगा है।

-अब डांस में क्लासिकल स्टेप्स नजर ही नहीं आते। आपको क्या लगता है?
आइटम डांस ने क्लासिकल को मार दिया है। अब तो सब आइटम के ही पीछे भाग रहे हैं। पर कोरियोग्राफर्स आइटम के नाम पर जो डांस स्टेप्स परोस रहे हैं वह नृत्य की आत्मा को मारने जैसा है। कोरियोग्राफर्स ऐसे ही डांस कंपोज करते रहे तो क्लासिकल डांस के स्टेप्स ढूंढना भी मुश्किल हो जाएगा। वहीं दर्शकों की भावी पीढिय़ां भी अब इसी क ो डांस समझती हैं।

-कोरियोग्राफी का सफर कहां से शुरू हुआ?
जब मैं तीन साल की थी तब से ही शीशे के सामने डांस किया करती थी। मां ने सोचा शायद मुझे कोई बीमारी है, वह मुझे डॉक्टर के पास ले गई। उसके बाद डॉक्टर ने ही उन्हें डांस के बारे में बताया और मास्टर बी। सोहनलाल से भी मिलवाया। मैं उनकी असिस्टेंट बनी और उसके बाद तो फिर मुझे खुद ही फिल्मों में कोरियोग्राफी करने के ऑफर्स आने लगे। अब तक मैं 200 फिल्मों में क ोरियोग्राफर की भूमिका निभा चुकी हूं।

-किसे कोरियोग्राफ करना सबसे अच्छा लगा?
माधुरी और रितिक बेस्ट डांसर्स हैं। कह सकते हैं कि फिल्मों में यूं तो पहले से ही हीरो के लिए डांस कोरियोग्राफ किया जाता रहा है पर रितिक  के इंडस्ट्री में आने के बाद हीरो क ो सेंटर में रखकर डांस कंपोजिंग शुरू हो गई। माधुरी और रितिक दोनों ही डांस में जीते हैं। माधुरी जिस समय डांस करती है उस समय वह उसकी रूह में रम जाता है। डोला रे कोरियोग्राफ करना मुझे अब तक सबसे अच्छा लगा है।

-बरेलियंस के लिए कुछ कहना चाहेंगी?
बरेली के झुमके के बारे में खूब सुना है। बरेली वालों के लिए यही कहूंगी कि झूमो, नाचो, गाओ, मस्त रहो।

Report by: Nidhi Gupta

Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk