इस बातचीत में अफ़गानिस्तान से अमरीकी फ़ौज की वापसी के अलावा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, ऊर्जा और सुरक्षा मामलों पर दोनों देशों के सहयोग पर तो बात होगी ही, कई ऐसे मामले भी होंगे जिन्हें हल करने की कोशिशें पर्दे के पीछे होंगी.

तीन साल से रुकी हुई इस रणनीतिक वार्ता का सबसे अहम मकसद है दोनों मुल्कों के रिश्तों को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए एक ब्लूप्रिंट या खाका तैयार करना.

अफ़ग़ानिस्तान का मुद्दा

"अफ़गानिस्तान में स्थायित्व एक अहम विषय होगा लेकिन साथ-साथ पाकिस्तान की अपनी अंदरूनी सुरक्षा चुनौतियों पर भी बात होगी. अमरीका उसमें किस तरह से मदद कर सकता है इस पर भी राय-मशविरा होगा"

-अधिकारी, अमरीकी विदेश विभाग

अमरीकी विदेश विभाग में होने वाली इस बातचीत में अमरीकी विदेश मंत्री  जॉन केरी के अलावा रक्षा, वित्त, ऊर्जा और यूएसएआईडी विभाग के प्रतिनिधि भी होंगे.

विदेश विभाग के उच्च अधिकारी का कहना है कि बातचीत में  अफ़गानिस्तान में स्थायित्व एक अहम विषय होगा लेकिन साथ-साथ पाकिस्तान की अपनी अंदरूनी सुरक्षा चुनौतियों पर भी बात होगी. अमरीका उसमें किस तरह से मदद कर सकता है इस पर भी राय-मशविरा होगा.

उनका कहना था कि आर्थिक सहयोग को बेहतर करने और ऊर्जा पर पाकिस्तान की ज़रूरतों पर ग़ौर करने का ये एक अहम मौका होगा.

अमरीकी अधिकारी का कहना था कि पाकिस्तान की तरफ़ से अब ख़ासतौर से कोशिश हो रही है कि इस रिश्ते की बुनियाद सिर्फ़ आर्थिक मदद न रहे इसे आपसी व्यापार की तरफ़ बढ़ाया जाए.

उनका कहना था कि अमरीका पाकिस्तान की आर्थिक तरक्की चाहता है और उसकी अंदरूनी सुरक्षा भी चाहता है.

एक और अधिकारी का कहना था कि नवाज़ शरीफ़ ने जो भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने की कोशिशें शुरू की हैं वो एक अच्छा कदम है और अमरीका सरताज अज़ीज़ से जानना चाहेगा कि उसमें बात कहां तक पहुंची है.

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