निगम में फ्यूल फ्रॉड की जांच को किया जा रहा प्रभावित

नगर आयुक्त के निर्देश के बावजूद जांच रिपोर्ट तैयार नहीं

7 दिन की थी समय सीमा, अब होली के बाद तैयार होगी रिपोर्ट

BAREILLY: पिछले कुछ समय से एक के बाद एक हो रहे घोटाले से सुर्खियों में रहे नगर निगम में अब घोटालेबाजों को बचाने की कवायद चल रही है। निगम में हुए डीजल घोटाले की जांच में भी अब घोटाला किया जा रहा है। डेढ़ महीने से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद निगम में फ्यूल फ्रॉड के दोषियों की पहचान नहीं की जा सकी है। लाखों रुपए के इस घोटाले को उजागर करने में निगम की ओर से न तो अब तक कोई गंभीर कदम उठाए गए, और न ही जांच में अब तक किसी अहम कड़ी का खुलासा किया गया। जांच के लिए तय किए गए जिम्मेदार भी गोपनीयता के नाम पर जांच रिपोर्ट पूरी होने के बाद ही इसका खुलासा करने की बात कह मामले को लटका रहे हैं।

नगर आयुक्त के निर्देश्ा ठेंगे पर

निगम में हुए फ्यूल फ्रॉड की जांच को जिम्मेदार गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हाल यह है कि जांच पर नगर आयुक्त के निर्देशों को भी अंगूठा दिखाया जा रहा है। नगर आयुक्त ने भ् मार्च को अपर नगर आयुक्त को फ्यूल फ्रॉड की जांच रिपोर्ट 7 दिन में देने के निर्देश दिए थे। क्ख् मार्च को जांच रिपोर्ट देने की समय सीमा पूरी हो गई लेकिन जिम्मेदार घोटाले की असलियत नहीं पकड़ सके। सोर्सेज के मुताबिक घोटाले की जांच में अब तक कोई ठोस कड़ी ही नहीं जुटाई जा सकी है। इस पूरे फर्जीवाड़े में जानबूझ कर लेटलतीफी को अंजाम दिया जा रहा है।

कागजी फॉर्मेलिटी भी सुस्त

निगम में चल रहे डीजल घोटाले का पर्दाफाश नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। एसपीएस सिंधु ने किया था। इसके बाद फ्क् जनवरी को नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह ने इस घोटाले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी थी। कमेटी में जलकल इंजीनियर समेत, नगर स्वास्थ्य अधिकारी व अपर नगर आयुक्त को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। कुछ दिनों बाद ही नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने खुद को विभाग का हेड बताते हुए जांच कमेटी से अलग हो गए। इसके बाद जांच के नाम पर चल रही कागजी फॉर्मेलिटी भी सुस्त हो गई।

कमेटी की नीयत पर सवाल

डेढ़ महीने की जांच में एक भी कदम चलने में नाकाम कमेटी की नीयत पर भी अब सवाल उठाए जा रहे हैं। निगम को डीजल सप्लाई मे खेल कर लाखों की चपत लगाने वालों पर अब तक कार्रवाई न होने से इन सवालों में दम भी दिख रहा है। फ्यूल फ्रॉड का खुलासा होने के बाद ट्रांसपोर्ट इंचार्ज की जगह सभी गैराज इंचार्ज को डीजल खपत का ब्यौरा रखने की जिम्मेदारी देकर सुधार की औपचारिकता भर निभा दी गई। वहीं बड़े अधिकारियों की मामले में चुप्पी से भी डीजल की काली कमाई का असर साफ नजर आता है।

डीजल घोटाले की जांच फिलहाल अभी पूरी नहीं हुई है। इसके पूरा होने के बाद ही सारी रिपोर्ट नगर आयुक्त को सौंपी जाएगी। होली के बाद ही जांच रिपोर्ट तैयार होने की उम्मीद है।

-सच्चिदानंद सिंह, अपर नगर आयुक्त

समय सीमा पूरी हो गई है पर डीजल घोटाले की जांच रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। चुनाव की वजह से थोड़ा प्रेशर भी है। अधिकारी अपनी जांच जल्द पूरी कर रिपोर्ट भेजेंगे।

- उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त