-जोश और उमंग से लबरेज युवाओं की एक टोली 'सत्य मंथन' के मेंबर्स समाज को दिखा रहे हैं नई दिशा

-सोसाइटी से जुड़ी हर बुराइयों पर गहराई से मंथन कर उनके समाधान की कर रहे हैं कोशिश

VARANASI: कौन कहता है कि आसमान में नहीं हो सकता सुराख, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों दुश्यंत कुमार की ये लाइनें सिर्फ चंद शब्दों की जुगत नहीं, इन शब्दों में खुद के दम पर कुछ कर दिखाने के जज्बात छिपे हैं। कुछ करने की ठान ली तो कठिन क्या और आसान क्या? युवा मन तो यही है। उत्साह और उमंग से लबरेज और वायु के वेग को भी खुद से पीछे रखने की ललक। पर अपने लक्ष्य के प्रति दृढ संकल्प। ऐसे ही युवाओं की एक टोली है सत्य मंथन ग्रुप। स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानने वाले इस गु्रप ने समाज को कुछ देने, कुछ बताने की ठानी है। देना ऐसा कि जो ले वह दूसरों को भी दे और बताना ऐसा कि जो सुने वह दूसरों को भी सुना सके।

साथगये और कारवां बनता गया

सत्य मंथन की शुरुआत चंद लोगों से हुई जो आज ब्0 से अधिक युवाओं की एक टोली का रूप ले चुकी है। समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने की पहल हो या फिर अशिक्षा की समस्या, बेरोजगारी नियंत्रण हो या फिर कैंसर के प्रति अवेयरनेस। सत्य मंथन के कार्यकर्ता पूरी शिद्दत से हर विषय पर गहन मंथन करते हैं और उसका समाधान करने की कोशिश करते हैं। उनका मानना है कि समाज से व्यक्ति नहीं बनता बल्कि व्यक्ति से समाज बनता है और जब तक समाज का व्यक्ति शिक्षित, स्वाभिमानी, देशभक्त, कर्मठ नहीं होगा तब तक वह रुढि़यों को तोड़ कर अपने देश, अपने समाज को आगे नहीं ले जा सकता। सत्य मंथन की शुरुआत देवांश सोनकर ने ख्0क्फ् में की। फिर धीरे धीरे और भी लोग जुड़ते गये। खास यह है कि इसमें कोई स्टूडेंट है तो कोई नौकरी पेशा। कोई उद्यमी हो तो कोई बिजनेसमैन। पर लक्ष्य सभी का एक ही है समाज को कुछ बेहतर देने का।

पांच के जरिये दे रहे हैं खास

सत्य मंथन गु्रप के सौरभ बताते हैं कि उनका गु्रप फिलहाल पांच कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है। जिनके जरिये वे समाज को कुछ बेहतर देने की कोशिश कर रहे हैं।

'सत्यांश' के जिरये शिक्षा

सत्य मंथन गु्रप की ओर से संचालित इस कार्यक्रम में शिक्षा को आधार बनाया गया है। शहर से सटे काशीपुर गांव के बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। प्रेजेंट में क्क्0 बच्चे डेली गांव के ही रवि राय, प्रदीप राय, पूनम राय व सत्य मंथन कार्यकर्ताओं के द्वारा मुफ्त ट्यूशन प्राप्त कर रहे हैं। शिक्षा देने का एक और कार्यक्रम कबीर प्राकट्य स्थल लहरतारा में भी चलाया जा रहा है। बच्चों को राष्ट्रप्रेम, स्वास्थ्य व सामाजिक दायित्व के प्रति जागरूक करना भी सत्य मंथन का मेन एम है।

'शुभम' है खुशी बांटने का साधन

सत्य मंथन के मेंबर्स का मानना है कि खुशी बांटने से बढ़ती है। बस इसी बात पर अमल करते हुए वे अपना व अपने परिजनों का जन्मदिन किसी अनाथालय, वृद्धाश्रम या कुष्ठाश्रम में मनाते हैं। ऐसे लोग जिनके प्रति हमारे समाज में संवेदनशीलता कम है उनके लिए अच्छी भावनाएं व्यक्त कर अपनी खुशी में शामिल करने का सत्य मंथन का यह प्रयास काशी अनाथालय तो कभी मदर टेरेसा वृद्धाश्रम, शिवाला तो कभी काशी विश्वनाथ कुष्ठाश्रम में दिखायी देता है।

'ऋृचा' के जरिये पर्यावरण संरक्षण

सत्य मंथन पर्यावरण के प्रति भी उतना ही संवेदनशील है। यही कारण है कि वेद की ऋचाओं की तरह समाज के कल्याण को समर्पित अपने कार्यक्रम ऋचा के तहत ग्रुप के मेंबर्स समय समय पर प्लांटेशन का भी आयोजन करते रहते हैं। मलदहिया स्थित दास नगर कालोनी के पार्क को उन्होंने हरा-भरा रखने की जिम्मेदारी ली है। शहर में अलग अलग स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को पौधरोपण के लिए प्रेरित भी करते हैं।

ये सृजन है कुछ खास

सत्य मंथन के कार्यकर्ता हर वक्त कुछ नया करने की सोचते रहते हैं। पर कोशिश यह होती है कि उनका हर नया प्रयास समाज के लिए उपयोगी हो। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए वे सृजन कार्यक्रम के अंर्तगत विभिन्न तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। जरिया कभी नुक्कड़ नाटक बनता है तो कभी पोस्टर प्रदर्शनी। बच्चों के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लंग्स कैंसर जैसी बीमारियों, महिला सशक्तिकरण, वोटिंग, स्वच्छ भारत मिशन, आत्महत्या का विरोध आदि को लेकर लोगों को अवेयर कर रहे हैं।

'सत्योग' के जरिये याेग की बात

योग न सिर्फ शरीर को फिट रखने का जरिया है बल्कि इसकी साधना से मन को भी नियंत्रित किया जा सकता है। सत्य मंथन गु्रप के कार्यकर्ताओं ने इस बात को गहराई से महसूस किया है और विशुद्ध भारतीय ज्ञान योग के जरिये इसे युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश की है। जिसके तहत वे राजकीय बाल संप्रेषण गृह रामनगर और राजकीय पश्यवर्ती देखरेख संगठन जैतपुरा में छह दिनी योग व ध्यान कैंप लगायेंगे। योग के जरिये उनकी कोशिश बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने की है।

योग देता है बेहतर जीवन

सत्य मंथन के सत्योग कार्यक्रम में बतौर चीफ ट्रेनर शामिल और योगसूत्र सेंटर की कोऑर्डिनेटर पुष्पांजलि शर्मा बताती हैं कि योग शुद्ध रूप से भारतीय ज्ञान है लेकिन इसके बारे में लोग अभी बहुत कम जानते हैं। युवाओं को योग साधना से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य है कि वे अपने शरीर को फिट रखने के साथ अपने मन को भी नियंत्रित रख सकें। लोग योग को शरीर से जोड़ते हैं जबकि योग दिमाग से जुड़ा है। योग में शरीर, दिमाग और अध्यात्म तीनों चीजें शामिल हैं। यूथ को अगर योग की साधना करायी जाये तो वे खुद को आपराधिक कर्मो से दूर रख सकते हैं। महिलाएं जो अपना पूरा जीवन अपने परिवार को समर्पित कर देती हैं अगर वे योग की साधना करें तो खुद को अधिक ऊर्जावान व फिट रख सकती हैं।