सत्यव्रत ने देश के सबसे बड़े टाइटल भारत केसरी पर कब्जा जमा लिया। इससे पहले सत्यव्रत जूनियर नेशनल चैैंपियनशिप 2012 का गोल्ड मेडलिस्ट होने के साथ कजाकिस्तान में हुए एशिया चैैंपियनशिप में इंडिया को रीप्रजेंट किया था। सत्यव्रत ने 2010 में सिंगापुर में हुए यूथ ओलंपिक चैैंपियनशिप में इंडिया को रीप्रजेंट करते हुए ब्रांज मेडल जीता था। 2012 में गोंडा में सीनियर नेशनल चैैंपियनशिप में भी सत्यव्रत का ब्रांज मेडल था। सत्यव्रत इस टाइम जूनियर इंडिया टीम में है.
खून में है कुश्ती
कुश्ती सत्यव्रत के खून में है। पिता सत्यवान ने 1988 ओलंपिक में इंडिया को रीप्रजेंट किया था और गवर्नमेंट ने अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया। रोहतक के सत्यवान बेटे सत्यव्रत को अपने ही अखाड़े में प्रैक्टिस कराते है। जूनियर इंडिया टीम के चीफ कोच सिटी के चन्द्रविजय सिंह ने बताया कि सत्यवान की परफार्मेंस मैट पर काफी अच्छी है। वह इंडिया के लिए एक उभरता हुआ पहलवान है.
कुश्ती महाकुंभ का नहीं बल्कि सैकड़ों नेशनल लेवल पर हुए टूर्नामेंट का सबसे बड़ा मूमेंट सिटी के सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम में संडे को घटित हुआ। जब भारत केसरी युद्धवीर और अभिमन्यु के बीच महान भारत केसरी के लिए सेमीफाइनल मुकाबला खेला जा रहा था। मुकाबला तगड़ा होगा, यह किसी को शक नहीं था, पर स्टेडियम में मौजूद हजारों लोग जीत युद्धवीर की तय मान रहे थे। मगर जो हुआ, उसे देख सभी हतप्रभ रह गए। फाइट में मजबूत युद्धवीर लगातार अभिमन्यु पर भारी पड़ रहा था। फर्स्ट राउंड के अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि अचानक अभिमन्यु ने बहिरल्ली दांव खेला और तत्कालीन भारत केसरी युद्धवीर को चारों खाने चित्त कर दिया। फिर क्या था। युद्धवीर और उसके कोच चौंक गए तो पूरा स्टेडियम तालियों की आवाज से गड़गड़ा उठा। कुश्ती के एक्सपर्ट एक दूसरे से सिर्फ यही कह रहे थे ऐसे दांव अखाड़े पर बहुत कम देखने को मिलते है, वह भी भारत केसरी टाइटल के लिए हो रही कुश्ती में। यह दांव हजारों फाइट में किसी एक में कोई पहलवान लगाता है.
जूनियर इंडिया टीम का है मेंबर
सत्यव्रत ने देश के सबसे बड़े टाइटल भारत केसरी पर कब्जा जमा लिया। इससे पहले सत्यव्रत जूनियर नेशनल चैैंपियनशिप 2012 का गोल्ड मेडलिस्ट होने के साथ कजाकिस्तान में हुए एशिया चैैंपियनशिप में इंडिया को रीप्रजेंट किया था। सत्यव्रत ने 2010 में सिंगापुर में हुए यूथ ओलंपिक चैैंपियनशिप में इंडिया को रीप्रजेंट करते हुए ब्रांज मेडल जीता था। 2012 में गोंडा में सीनियर नेशनल चैैंपियनशिप में भी सत्यव्रत का ब्रांज मेडल था। सत्यव्रत इस टाइम जूनियर इंडिया टीम में है।
कुश्ती सत्यव्रत के खून में है। पिता सत्यवान ने 1988 ओलंपिक में इंडिया को रीप्रजेंट किया था और गवर्नमेंट ने अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया। रोहतक के सत्यवान बेटे सत्यव्रत को अपने ही अखाड़े में प्रैक्टिस कराते है। जूनियर इंडिया टीम के चीफ कोच सिटी के चन्द्रविजय सिंह ने बताया कि सत्यवान की परफार्मेंस मैट पर काफी अच्छी है। वह इंडिया के लिए एक उभरता हुआ पहलवान है.
कुश्ती महाकुंभ का नहीं बल्कि सैकड़ों नेशनल लेवल पर हुए टूर्नामेंट का सबसे बड़ा मूमेंट सिटी के सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम में संडे को घटित हुआ। जब भारत केसरी युद्धवीर और अभिमन्यु के बीच महान भारत केसरी के लिए सेमीफाइनल मुकाबला खेला जा रहा था। मुकाबला तगड़ा होगा, यह किसी को शक नहीं था, पर स्टेडियम में मौजूद हजारों लोग जीत युद्धवीर की तय मान रहे थे। मगर जो हुआ, उसे देख सभी हतप्रभ रह गए। फाइट में मजबूत युद्धवीर लगातार अभिमन्यु पर भारी पड़ रहा था। फर्स्ट राउंड के अभी कुछ ही मिनट बीते थे कि अचानक अभिमन्यु ने बहिरल्ली दांव खेला और तत्कालीन भारत केसरी युद्धवीर को चारों खाने चित्त कर दिया। फिर क्या था। युद्धवीर और उसके कोच चौंक गए तो पूरा स्टेडियम तालियों की आवाज से गड़गड़ा उठा। कुश्ती के एक्सपर्ट एक दूसरे से सिर्फ यही कह रहे थे ऐसे दांव अखाड़े पर बहुत कम देखने को मिलते है, वह भी भारत केसरी टाइटल के लिए हो रही कुश्ती में। यह दांव हजारों फाइट में किसी एक में कोई पहलवान लगाता है.
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