इस्लामाबाद (रॉयटर्स)। पाकिस्तानी सरकार ने मंगलवार को बताया कि सऊदी अरब पाकिस्तान को एक साल के लिए फाइनेंसियल सपोर्ट के रूप में 3 अरब डॉलर (करीब 220 करोड़ रुपये) देने और देश में तेल आयात के लिए 3 बिलियन डॉलर तक का लोन देने पर सहमत हुआ है ताकि मौजूदा आर्थिक संकट को दूर करने में मदद मिल सके। 6 बिलियन डॉलर (439 डॉलर भारतीय रुपये) की कुल राशि विश्लेषकों के पूर्वानुमानों से अधिक है और यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता को कम कर देगा।

पत्रकार की मौत के चलते हुआ था सम्मेलन का बहिष्कार
सऊदी अरब के साथ यह समझौता सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि पाकिस्तान के नए प्रधानमत्री इमरान खान ने सऊदी निवेश सम्मेलन में भाग लिया था। बता दें कि इस्तांबुल में देश के वाणिज्य दूतावास में सऊदी लेखक की मौत के चलते कई अन्य विदेशी नेताओं ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया था। कहा जा रहा है कि इमरान खान आईएमएफ के कर्ज को कम करने के लिए अपने सभी साथी देशों से आर्थिक सहायता का अनुरोध कर रहे हैं। खान ने अगस्त में कार्यालय संभालने के बाद पिछले महीने अपनी पहली विदेश यात्रा में सऊदी अरब का दौरा किया था लेकिन यह यात्रा किसी भी महत्वपूर्ण सहायता का उत्पादन करने में विफल रही।

तीन सालों तक सऊदी अरब करेगा पाकिस्तान की मदद
मंगलवार की रात पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि पीएम इमरान की यह यात्रा सफल रही। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'सऊदी अरब पाकिस्तान को फाइनेंसियल सपोर्ट के रूप में 3 बिलियन डॉलर एक साल के लिए देने पर तैयार हुआ है।' इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा, 'तेल आयात के लिए सऊदी अरब की तरफ से लोन के रूप में 3 अरब डॉलर तक की सहायता राशि दी जा रही है और इसे भी देश को सिर्फ एक साल में चुकाना है। यह व्यवस्था फिलहाल तीन साल के लिए है। हालांकि इस अवधि के बाद इस फैसले की समीक्षा की जा सकेगी।'

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