गांधी पार्क में मनचलों की भीड़
गांधी पार्क में सुबह से लेकर शाम तक मनचले इधर-उधर घूमते नजर आते हैं। जो पार्क में आने वाली गल्र्स के साथ मिसबिहेव करते हैं। उन पर गलत-गलत कमेंट पास करते हैं। इस कारण गल्र्स यहां पर काफी अनसेफ महसूस करती हैं। शहर के बीचों बीच मौजूद इस पार्क में अक्सर इस तरह की घटनाएं होती हैं, लेकिन लोक लाज की भय से लड़कियां पुलिस में कंप्लेन करने नहीं जाती हैं।

पार्क में नहीं सिक्योरिटी गार्ड

पार्क में रोजाना सैकड़ों की तादाद में लोग आते हैं। इसके बावजूद यहां पर नगर निगम की ओर से सिक्योरिटी गार्ड तक तैनात नहीं किए गए हैं। कोई भी प्रॉब्लम होने पर लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि किससे कंप्लेन की जाए, जबकि पार्क में नियमित रूप से सिक्योरिटी गार्ड की ड्यूटी का प्रावधान है।

पार्क के आसपास नहीं पुलिस
मनचलों को सबक सिखाने के लिए पार्क के आसपास पुलिसकर्मी नहीं होते हैं। इस कारण इनके हौसले बुलंद होते हैं। यही वजह है कि पार्क के अंदर मनचले अक्सर गल्र्स व लेडीज के साथ मिसबिहेव करते हुए देखे जा सकते हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं होता है। पार्क से महज दो सौ मीटर की दूरी पर धाराचौकी है, लेकिन कभी भी पुलिस पार्क में गस्त करती नजर नहीं आती है।

कहां है वुमन प्रोटेक्शन सेल
कहने को तो दून पुलिस ने गल्र्स की सेफ्टी के लिए वुमन प्रोटेक्शन सेल का गठन कर रखा है। पर चंद दिनों की चौकसी के बाद इस सेल के मेंबर्स का कोई अता पता नहीं रहता है। पिछले साल भी काफी शिकायतें आने के बाद प्रोटेक्शन सेल के मेंबर्स ने गांधी पार्क में कार्रवाई थी, पर चंद दिनों के बाद यह चौकसी भी गायब हो गई। इस कारण भी मनचलों की हरकतें और हौसले बढ़ जाते हैं।


दो पल सुकून के
सिटी के सेंटर प्वाइंट में होने के कारण गांधी पार्क में लोगों की काफी भीड़ रहती है। कोई यहां की हरियाली के बीच शांति के कुछ पल बिताने के लिए आते हैं तो कुछ राहगीर सुस्ताने के लिए यहां पहुंचते हैं। कॉलेज गल्र्स भी यहां पर ग्रुप डिस्कशन और सुकून के दो पल बिताने के लिए यहां आती हैं, लेकिन गांधी पार्क की बदहाल स्थिति अक्सर गल्र्स के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है।

जब भी कहीं से कोई कंप्लेन आती है तो पुलिस मौके पर पहुंचकर मनचलों के खिलाफ कार्रवाई करती है। इसके अलावा वुमन प्रोटेक्टशन सेल भी समय-समय पर सिटी के अलग-अलग एरियाज में मनचलों के खिलाफ अभियान चलाती है, जिसमें गांधी पार्क के साथ सिटी के अन्य प्रमुख पार्क भी शामिल हैं।
नवनीत सिंह, एसपी सिटी

पार्क एक पब्लिक प्लेस है। इस कारण यहां पर हर टाइप के लोग आते हैं, लेकिन पार्क के आसपास न तो पुलिसकर्मी दिखते हैं और न ही नगर निगम की ओर से यहां पर सिक्योरिटी गार्ड तैनात किए गए हैं।
संगीता बिष्ट

गांधी पार्क में सिक्योरिटी नहीं है। इस कारण यहां आने वाली गल्र्स सेफ फील नहीं करती हैं। यह एक पब्लिक पार्क है, इसलिए यहां पर ऐसा माहौल होना चाहिए कि गल्र्स भी खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।
रिचा दारमोरा

गांधी पार्क में मनचलों की भरमार रहती है। जिस तरफ भी नजर घुमाओ, वहीं पर लड़कों का झुंड रहता है, जो अक्सर गल्र्स को कमेंट पास करता है। गल्र्स की सेफ्टी के लिए पार्क में फीमेल कांस्टेबल जरूर होनी चाहिए।
प्रेरणा बैंजवाल

पार्क में रेगुलर पेड़ों की कटाई-छंटाई भी नहीं होती है। एक कोने से दूसरे कोने तक नजर भी नहीं जाती है। इस कारण पार्क में गल्र्स व लेडीज को अनसेफ लगता है।
दीक्षा कश्यप

पार्क में लोग कुछ पल राहत के बिताने के लिए आते हैं, लेकिन अक्सर गल्र्स को यहां पर भी हूटिंग और ईव टीजिंग का शिकार होना पड़ता है। यहां पर कोई होता भी नहीं है, जिससे कंप्लेन कर सकें।  
सपना थापा

वैसे तो मैं अक्सर फ्रेंड्स के साथ ही आती हूं, लेकिन यदि कभी अकेले आना पड़े तो चिल्ड्रन पार्क में ही बैठती हूं। पूरे पार्क में बस यही एक जगह है जहां थोड़ा सुरक्षित महसूस किया जा सकता है।
संगीता भट्ट