- पैदा होने से पहले ही मार देते हैं, कहां से लाएं कन्या पूजन के लिये

- भले ही सरकार ने सख्त कानून बनाया हो लेकिन 20 साल बाद भी यह कानून असरदार नहीं

LUCKNOW: प्रदेश में लगातार अल्ट्रासाउंड मशीनों से गर्भ में लिंग परीक्षण कर गर्भ में ही कन्याओं को मारने का गोरखधंधा चल रहा है। हत्यारे रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टरों से लेकर सीएमओ और डीएम तक के अफसर इसके लिए जिम्मेदार हैं। अगर प्रदेश में कन्याओं को गर्भ में मारने का सिलसिला यूं ही चलता रहा तो आने वाले समय में कन्याएं पूजने के लिए नहीं मिलेंगी। भले ही सरकार ने सख्त कानून बनाया हो लेकिन ख्0 साल बाद भी यह कानून असरदार नहीं है।

है सुधार की आवश्यक्ता

ख्00क् में प्रदेश में प्रति क्000 ब्वायज पर 898 ग‌र्ल्स का था। जो ख्0क्क् में बढ़कर 9क्ख् तक पहुंच गया। लेकिन यह काफी नहीं है। इसे और भी अधिक सुधार की आवश्यक्ता है। यह आंकड़ा भी सिर्फ सरकारी अस्पतालों में पैदा होने वाले बच्चों का है। जबकि आज भी ज्यादातर बच्चे प्राइवेट अस्पतालों में पैदा होते हैं। ये प्राइवेट अस्पताल भी इनकम टैक्स व अन्य कानूनों से बचने के लिए पैदा होने वाले लड़का-लड़की व अन्य डाटा सरकार से शेयर नहीं करते। ऐसे में हो सकता है कि वास्तविक रेशियो इससे इतर हो। अगर इन आंकड़ों को ही माने तो भी अभी इसमें बहुत अधिक सुधार की आवश्यक्ता है।

डॉक्टर जांच कर बता दो

गुरुवार को सिटी के एक बड़े अस्पताल में आई नेक्स्ट रिपोर्ट के सामने ही दो महिलाएं आई। एक गर्भवती और साथ में उसकी सास। उन्होंने डॉक्टर से कहा कि मेडम लड़की पैदा होई कि लरिका हमें बताए दो। चाहे जितना पैसा लग जाए हम देंगे। डॉक्टर ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि पहली बात तो यहां अल्ट्रासाउंड ही नहीं होता। दूसरी बात यह जांच कराने पर जेल हो जाएगी। डॉक्टर ने पूछा कि ऐसा क्यों कराना है तो गर्भवती महिला ने बताया कि घरवालों ने कहा है कि लड़की नहीं चाहिए। लड़की हुई तो घर से भगा देंगे। घरवालो ने ही कहा कि अस्पताल में जांच से पता चल जाता है। डॉक्टर ने उन्हें समझा कर घर भेज दिया। लेकिन ऐसे कितने ही केस रोजाना आते हैं और रेडियोलॉजिस्ट कुछ एक्स्ट्रा पैसे लेकर उन्हें इसकी जानकारी दे देते हैं।

भ्0 से ज्यादा मशीनें कर रही लिंग परीक्षण

प्रदेश में लगभग भ्0 स्थानों पर अल्ट्रासाउंड मशीने धड़ल्ले से गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग की जांच कर बता रही हैं। परिवार कल्याण विभाग की इंटरनल जांच में यह आश्चर्यजनक बात निकल कर आई थी। इनमें से ज्यादातर मशीनों का तो पंजीकरण ही नहीं है। धड़ल्ले से वे बेटी होने की जानकारी परिजनों को दे रहे हैं। जिसके कारण ही बेटियों की संख्या में गिरावट जारी है। डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की स्टडी में यह निकलकर आया था कि कानपुर, आगरा रीजन, मेरठ और गोरखपुर रीजन में सबसे ज्यादा अल्ट्रासाउंड सेंटर सेक्स डिटरमिनेशन के काम में लगे हुए हैं। लेकिन, किसी के भी खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है।

प्रदेश में ब्8भ्0 सेंटर

यूपी में लगभग ब्8भ्0 अल्ट्रासाउंड सेंटर पंजीकृत चल रहे हैं। जबकि अकेले लखनऊ में ही ब्भ्0 अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं। इसके अलावा दूरदराज के जिलों में दर्जनों अल्ट्रासाउंड बिना पंजीकरण के ही धड़ल्ले से चल रहे हैं और लिंग परीक्षण कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की माने तो कानून की जटिल प्रक्रियाओं के कारण कार्रवाई नहीं हो पाती। सीएमओ भी किसी के खिलाफ मामला दर्ज कराकर आफत मोल नहीं लेना चाहते। सीएमओ नोटिस देते हैं तो जवाब आने पर डीएम साहब मामले को निबटा लेते हैं। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में यही खेल चल रहा है।

सिर्फ आठ पर मामले दर्ज

राजधानी में पिछले कुछ सालों में समय-समय डीएम की टीम ने अल्ट्रासाउंड केन्द्रों पर जाकर जांच की। अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर भारी खामियां मिलीं, लेकिन ज्यादातर के साथ कोई कार्रवाई नहीं होती। लखनऊ में शुरू से लेकर अब तक सिर्फ 8 अल्ट्रासाउंड केन्द्रों के खिलाफ ही मामले दर्ज कराए गए। लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन मिलकर किसी को सजा नहीं दिलवा पाए। सभी मामले कोर्ट में ही पेंडिंग पड़े हुए हैं।

राजधानी में ज्यादातर डिफॉल्टर

अकेले राजधानी लखनऊ में ब्फ्0 से ज्यादा अल्ट्रासाउंड रजिस्टर्ड हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर अपनी नियमित रिपोर्ट तक सीएमओ ऑफिस नहीं भेजते। सीएमओ ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक सिर्फ ख्00 अल्ट्रासाउंड केन्द्र ही अपनी नियमित रिपोर्ट सीएमओ आफिस को भेज दिया हैं। शेष कानून को ही नहीं मानते। फिर भी प्रशासन इन के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। नियमानुसार इन केंद्रों के खिलाफ सीएमओ और जिला प्रशासन को मिलकर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इसके बाद अभी तक किसी भी केंद्र को नोटिस भी जारी नहीं की गई है।

तो सीएमओ भी कराते हैं अल्ट्रासाउंड

दो हफ्ते पहले ही सीएमओ बख्शी का तालाब सीएचओ का दौरा करने पहुंचे तो पता चला कि उनके खुद के भेजे मरीजों का भी अल्ट्रासाउंड प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर से किया जा रहा है। जिस पर डॉक्टर की जगह सीएमओ लिखा था। इस पर सीएमओ भी आश्चर्यचकित रह गए। इस पर सीएमओ आफिस की टीम अगले ही दिन लक्ष्मी डायग्नोस्टिक सेंटर पर छापा मार कर उसे अनियमितताओं के आरोप में सील कर दिया।

तेजी से कम हुई लड़कियां

जिला ख्00क् ख्0क्क् अंतर

बलिया 9ब्ख्--900--ब्ख्

बहराइच 970--9फ्ब्--फ्भ्

वाराणसी 9क्9--88ब्--फ्ब्

सोनभद्र 9भ्म्--9ख्भ्--फ्क्

आजमगढ़ 9ब्9--9क्9--ब्0

सिद्धार्थ नगर 9म्ब्--9फ्भ्--ख्9

पीलीभीत 9ब्0--9क्ख्--ख्8

मिर्जापुर 9ख्9--90ख्--ख्7

महाराजगंज 9भ्8--9फ्क्--ख्7

गाजीपुर 9फ्ब्--908--ख्म्

प्रदेश भर सिर्फ क्0फ् मामले

वहीं प्रदेश भर में अब तक कुल क्0फ् मामले ही दर्ज किए गए। जिनमें से सिर्फ क्भ् केस ही निस्तारित हुए। इन्हीं क्भ् में से फ् को मामूली अर्थदंड लगा बाकी सब छूट गए। इनमें से ख् के खिलाफ एक-एक हजार रुपए का जुर्माना लगा है। तीसरे को एक साल की जेल और भ्000 का जुर्माना लगा है। यह सजा भी हाईकोर्ट से माफ हो गई।

इस तरह हो रही कार्रवाई

जिला- दायर वाद- निस्तारित केस

आगरा- भ्- फ्

कानपुर- 9- 0

लखनऊ- 8- 0

वाराणसी- 0- 0

हरदोई- क्-0

सीतापुर- क्-क्

गोरखपुर- 0-0

कुशीनगर- ख्7-0

मेरठ- क्फ्-क्

बरेली- ख्-0

बाराबंकी- क्-0