- ट्रेनिंग के बाद हार्ट अटैक से होने वाली मौतों को कर सकते हैं कम

- समय पर इलाज न मिलने से अधिकतर की हो जाती है मौत

LUCKNOW: अचानक ह्रदयगति रूकने या हार्ट अटैक पड़ने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है, लेकिन इनमें से ज्यादातर लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट से बचाया जा सकता है। इसकी ट्रेनिंग मेडिकल प्रोफेशनल्स से लेकर आम आदमी सबके लिए अनिवार्य होनी चाहिए। यह जानकारी शनिवार को केजीएमयू में बेसिक लाइफ सपोर्ट कोर्स की कोआर्डिनेटर डॉ। रजनी गुप्ता ने दी।

बढ़ती है जान बचने की संभावना

केजीएमयू में डॉक्टर्स, अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ व जर्नलिस्ट्स के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट एवं एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ। रजनी गुप्ता ने बताया कि हार्ट बीट रुकने पर यदि आस-पास के व्यक्ति बेसिक लाइफ सपोर्ट दे देते हैं तो मरीज के बचने की संभावना दो से तीन गुना बढ़ जाती है। यह ट्रेनिंग अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के सहयोग से दी जा रही है। आटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रीलेटर के प्रयोग के साथ जानकारी देते हुए बताया कि कैसे हार्ट बीट रूकने पर या सांस रूकने पर उसकी हार्ट बीट वापस दिलाई जा सकती है साथ ही सांस वापस दी जा सकती है। ऐसा करने से डॉक्टर के पहुंचने तक उसके ब्रेन व अन्य अंगों तक ब्लड सर्कुलेशन व ऑक्सीजन सप्लाइ। बनाए रख सकते हैं।

तो करें यह काम

डॉ। रजनी गुप्ता ने बताया कि कोई व्यक्ति बेहोश हो जाए तो कंधों को हिला कर चेक करें। सांस की गति फिर पल्स रेट चेक करें। यह न मिलने पर डॉक्टर, एंबुलेंस को कॉल करने के बाद चेस्ट को तेज दबाएं। फिर मुंह से दो बार सांस दें। यह काम तब तक करते रहें जबतक मेडिकल सुविधा न मिल जाए या फिर उसकी पल्स व सांस वापस न चलने लगे। इससे हम बड़ी संख्या में हार्ट अटैक की वजह से होने वाली मौतों को कम कर सकते हैं