- डॉक्टर्स को ट्रामा मैनेजमेंट की दी गई ट्रेनिंग

LUCKNOW:लास्ट इयर यूपी में रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट में 17 हजार 500 लोगों की मौत हुई थी। जिनमें से 75 पर्सेंट की ट्रॉमा सेंटर या अन्य अस्पतालों में पहुंचने से पहले ही रास्ते में मौत हो गई थी। जबकि इनमें से ज्यादातर को बचाया जा सकता था यदि उन्हें समय पर लाइफ सेविंग फ‌र्स्ट एड दे दिया जाता। यह जानकारी रविवार को केजीएमयू में स्किल स्कूल ऑन ट्रामा मैनेजमेंट विषयक ट्रेनिंग कार्यशाला के दौरान पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के एचओडी प्रो। अजय सिंह ने दी।

डॉक्टर्स को दी गई ट्रेनिंग

अकेडमी ऑफ ट्रामाटोलॉजी की ओर से कलाम सेंटर में आयोजित एक दिवसीय ट्रामा मैनेजमेंट ट्रेनिंग कार्यक्रम में प्रो। अजय सिंह ने कहा कि हाई स्पीड मोटर साइकिलों व तनाव भरी जीवन शली की वजह से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं, इसकी वजह से एक्सीडेंट में डेथ की संख्या बढ़ी है। जिसका सबसे बड़ा कारण है कि लोगों के पास अस्पताल पहुंचने से पहले मरीज को फ‌र्स्ट एड देने की स्किल नहीं है। डॉक्टर्स भी इसमें शामिल हैं। इसके लिए ही पीएमएस डॉक्टर्स, प्राइवेट डॉक्टर्स और रेजीडेंट्स को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है।

बदल चुकी है इलाज की तकनीक

आर्थोपैडिक विभागाध्यक्ष प्रो। जीके सिंह ने स्किल स्कूल ऑन ट्रामा मैनेजमेंट का शुभारंभ करते हुए बताया कि समय के साथ इलाज की तकनीक भी बदल चुकी है। दुर्घटना पीडि़तों को नजदीक के अस्पताल पहुंचाया जाता है, यदि वहां का डॉक्टर ट्रामा मैनेजमेंट से ट्रेंड होगा तो लाइफ सेविंग फ‌र्स्ट एड देकर ही मरीज को आगे रेफर करेगा।

इससे गंभीर मरीज को समय रहते उच्च संस्थान में पहुंचाया जा सकता है। कहा कि ट्रामा मैनेजमेंट ट्रेनिंग केजीएमयू व अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ चिकित्सक देंगे। ट्रेनिंग प्रोग्राम में गुजरात के डॉ। राकेश दीवान, डॉ। पंकज पटेल और डॉ। धीरेन गंजवाला ने डॉ‌र्क्स को सांस का रास्ता क्लियर करने, शॉक मैनेजमेंट, टूटी हड्डियों में स्पिलंट, कॉलर बोन बांधना, सहित अन्य लाइफ सेविंग फ‌र्स्ट एड की जानकारी दी।