- 15 जनवरी से सूनी हो गई थी रोहिन नदी

- नदी किनारे लगेपंपिग सेट, घाट पर कपड़े लेकर पहुंचे धोबी

GORAKHPUR : एक सप्ताह पहले गोरखपुर के उत्तरांचल में एक आपदा आई थी। उत्तरांचल की जीवन रेखा कही जाने वाली रोहिन का पानी जहरीला होने लगा था। नदी की मछलियां मरने लगी थी, आस-पास के गांवों में गंदे पानी की बदबू के कारण रहना मुश्किल हो गया था। हजारों लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया था। जब आई नेक्स्ट को मामले की जानकारी हुई तो टीम रोहिन नदी का निरीक्षण किया और क्9 जनवरी के अंक में 'रोहिन नदी पर काला साया', ख्0 जनवरी को 'नेपाल से आ रहा काला पानी', ख्क् जनवरी को 'संकट में हजारों की रोजी रोटी' हेडिंग से खबर पब्लिश की। खबर छपने के बाद लोकल प्रशासन में हड़कंप मच गया और उन्होंने आई नेक्स्ट की खबर को संज्ञान में लेते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों को तत्काल रोहिन नदी के निरीक्षण का आदेश दिया। आई नेक्स्ट के लगातार खबर प्रकाशित करने पर प्रशासन के हड़कंप की खबर आखिरकार नेपाल के सोनवल में लगी फैक्ट्री प्रबंधक के कानों में पहुंची और रोहिन नदी में गंदा पानी छोड़ना बंद किया। स्थिति यह हुई कि ख्ख् जनवरी को रोहिन में काले की जगह साफ पानी दिखा।

भारत में हंगामे के बाद नेपाल ने रोका पानी

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्राधिकारी एसबी सिंह ने बताया कि सोनवल से जब काला पानी छोड़ा गया और गोरखपुर पहुंचते ही उसके असर से मछलियों मरने की खबर से हड़कंप मच गया। भारत में मछलियां मरने की खबर से मचे हड़कंप की जानकारी नेपाल में जिम्मेदारों को हुई तो उसने गंदा पानी छोड़ना बंद कर दिया। आई नेक्स्ट टीम क्9 जनवरी को झरही नदी के किनारे थी। उस समय से नेपाल से साफ आना शुरु हो गया था। रोहिन नदी के पानी का गति फ्भ् से ब्0 किमी प्रतिदिन है। इस तरह फ् दिन में साफ पानी गोरखपुर पहुंचा है। जिस तरह से इस बार भारत में रोहिन के प्रदूषित पानी को लेकर हंगामा हुआ है, उससे यह लगता है कि अब नेपाल गंदा पानी नहीं छोड़ेगा।

आई नेक्स्ट ने रोहिन में प्रदूषित पानी को लेकर जिस तरह की खबर पब्लिश की है। इसके लिए वह काबिले तारीफ है। रोहिन के पानी की जांच रिपोर्ट फ् से ब् दिन में आ जाएगी। रिपोर्ट कमिश्नर को देने के साथ ही केंद्र सरकार को भी इसकी कॉपी भेजी जाएगी।

एसबी सिंह, क्षेत्राधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

अब पानी साफ आ रहा है। दो दिन तक स्थिति यह थी कि गांव के नदी वाले हिस्से में आना मुश्किल हो गया था। नदी किनारे खेत होने पर भी खेत में सिंचाई के लिए दूर से पाइप से पानी लाकर सिंचाई करनी पड़ रही थी।

विनोद कुमार, डोमिनगढ़

एक सप्ताह से मवेशी घर में ही बंद थे। अब फिर से उन्हें हम नदी किनारे चरने लिए छोड़ेंग। गंदे पानी के कारण हमे बहुत परेशानी हो रही थी.नदी का पानी साफ हो जाने के कारण नदी में अब जल्द ही मछलियां भी आ जाएगी।

सुधीर गुप्ता, माधवधाम