PATNA : आज भी एक बड़ी आबादी ऐसी है जो कि बैंकिंग चैनल की किसी भी सेवा से नहीं जुड़ी हुई है। संस्थागत तौर पर पूंजी का आदान-प्रदान नहीं होने से सरकार भी कई मामलों में अर्थव्यवस्था में विकास और वृद्धि से जुड़ी पहलूओं का सही आंकलन नहीं कर पाती है। दूसरी ओर, संस्थागत तौर पर जमा और निकासी न होने से इसमें आम आदमी का पैसा गलत हाथों में जाने का डर भी रहता है।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई स्कूल स्तर पर ही जागरूकता अभियान चला रहा है। मकसद है वित्तीय समावेशन का लक्ष्य पूरा हो और ग्राहकों के हितों का संरक्षण भी हो। इन्हीं बातों को केन्द्र में रखते हुए सोमवार को आरबीआई की ओर से एक वित्तीय साक्षरता और जागरूकता कार्यक्रम स्कॉलर अबोड स्कूल में आयोजित किया गया।

छात्रों के सवालों का दिया जबाव

आरबीआई के रीजनल ऑफिस में आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम में स्कूल के क्0वीं कक्षा के करीब म्0 छात्र-छात्राएं तथा शिक्षकगण मौजूद थे। कार्यक्रम में बच्चों को संबोधित करते हुए आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक एमके वर्मा ने आम जीवन में मुद्रा की भूमिका, वित्तीय योजना बनाकर चलने का महत्व, प्राईवेट तथा सरकारी बैंकों मे अंतर, स्टार्ट अप के लिए सुविधाएं, बैंकिंग लोकपाल, पेमेंट बैंक का सिस्टम आदि पर व्यापक रूप से जानकारी दी। इस अवसर पर आरबीआई से एजीएम प्रवीण कुमार, मैनेजर राघवेंद्र कुमार तथा स्कूल की प्रिंसिपल डॉ। बी। प्रियम, मैनेजर राणा राहुल सिंह, मनीष कुमार आदि उपस्थित थे।

केवाईसी का महत्व

पैसे के असंवैधानिक लेन-देन पर रोक कैसे लगायी जा सकती है।

किसी भी प्रकार के पैसे का लेन-देन के लिए साईबर कैफे का प्रयोग नही करना चाहिए।

हैकिंग से बैंक अकाउंट की महत्वपूर्ण जानकारियां लीक हो सकती है।

वित्तीय समावेशन का क्या महत्व है, क्या लाभ है

क्0 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों का व्यक्तिगत खाता खुल सकता है।

ए.टी.एम./ क्रेडिट / डेबिट कार्ड का पासवर्ड किसी को न बताए। अब कार्ड चिप की अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जा रही है, जिसके लिए बैंक से संपर्क किया जा सकता है।

बच्चों को आरबीआई की मौद्रिक नीति के बारे में विस्तार से बताया गया।

नकदी लेन-देन का प्रयोग कम कर कैश-लेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने पर जोर। पर्यावरण की सुरक्षा पर किया जागरूक।

इलेक्ट्रानिक बैंकिंग के सुरक्षा के तरीके बताए गए।

सभी गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियां जनसाधारण से जमा राशियां नही ले सकती।