-मेंटेनेंस के अभाव में बदहाल चिल्ड्रन पार्क

-टूटे पड़े हैं झूले, ग्राउंड भी नहीं है समतल

-फाइलों में कैद है किड्स जोन बनाने की प्लानिंग

DEHRADUN: पिछले कई सालों से गांधी पार्क के कुछ एरिया को किड्स जोन का रूप देने की प्लानिंग चल रही है, लेकिन अफसोस यह प्लानिंग धरातल पर न आकर सिर्फ फाइलों में ही कैद हो गई है। नतीजतन मेंटेनेंस के अभाव में गांधी पार्क का चिल्ड्रन पार्क धीरे-धीरे बदहाल होता जा रहा है। सबसे अधिक परेशानी इस बात से है कि बच्चों के लिए बने इस जगह पर अक्सर बड़ों का कब्जा रहता है। लब ब‌र्ड्स भी सुकून की तलाश में इसी तरफ आकर बैठ जाते हैं, जिसके कारण बच्चों को लेकर यहां पहुंचने वाले पैरेंट्स भी परेशान रहते हैं।

टूटे पड़े हैं कई झूले

गांधी पार्क के चिल्ड्रन पार्क में कई झूले टूटे पड़े हुए हैं, जो यहां पर खेलने के लिए आने वाले बच्चों को कभी भी चोट पहुंचा सकते हैं। इतना ही नहीं झूलों के आसपास ग्राउंड में घास भी नहीं है, जिस कारण यहां खेलने वाले बच्चों के हर समय चोट खाने का डर बना रहता है।

खस्ताहाल हैं बेंच और ग्राउंड

चिल्ड्रन पार्क का ग्राउंड समतल न होकर ऊबड़-खाबड़ है। जबकि पार्क के ग्राउंड में कई-कई जगहों पर घास है ही नहीं। छोटे-छोटे पत्थर व बजरी ग्राउंड में बिखरी रहती है। इस कारण बच्चों के गिरने का खतरा बना रहता है। पार्क में गिनी-चुनी ही बेंच है, और उनमें से अधिकांश बेंच खस्ताहाल हैं। इस कारण पार्क में आने वाले लोगों को असुविधा होती है, लेकिन निगम की ओर से इन्हें मेंटेनेंस नहीं किया जा रहा है।

सफाई व्यवस्था का अभाव

चिल्ड्रन पार्क में सफाई व्यवस्था का भी घोर अभाव है। पार्क के अंदर जगह-जगह कूड़े का ढेर देखा जा सकता है। निगम के कर्मचारियों द्वारा यहां से नियमित रूप से कूड़ा नहीं उठाया जाता है। कहने को तो गांधी पार्क का एक एरिया किड्स के लिए बना हुआ है, लेकिन यहां पर लव ब‌र्ड्स का डेरा रहता है। चिल्ड्रन पार्क में कई जगह लव ब‌र्ड्स देखे जा सकते हैं, लेकिन पार्क में सिक्योरिटी की कोई व्यवस्था न होने के कारण इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं होता है।

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किड्स जोन बनाने की प्लानिंग

नगर निगम की गांधी पार्क के करीबन 7 बीघा एरिया को किड्स जोन में तब्दील करने की प्लानिंग है। इस एरिया में बच्चों के एंटरटेनमेंट के लिए डिफरेंट टाइप के झूले लगाए जाएंगे। निगम ने चिल्ड्रन पार्क को डेवलप करके इसे पीपीपी मोड पर देने की प्लानिग बनाई है, लेकिन बजट नहीं मिलने के कारण यह प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है।

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एक तो राजधानी में वैसे ही चिल्ड्रन पार्क का अभाव है और जो हैं भी वो भी खस्ताहाल है। सिटी के सेंटर प्वॉइंट में होने के कारण काफी संख्या में पेरेंट्स अपने बच्चों को लेकर यहां पहुंचते हैं। इसके बावजूद पार्क का मेंटेनेंस नहीं किया जा रहा है।

-रश्मि बधानी

झूलों में बच्चे कम और बड़े लोग अधिक झूलते हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। इतना बड़ा पार्क है, लेकिन यहां पर कैंटीन की कोई व्यवस्था नहीं है। पार्क में एक कैंटीन भी होनी चाहिए।

-किरन रावत

चिल्ड्रन पार्क तो बना दिया गया है, लेकिन नगर निगम की ओर से इसके मेंटेनेंस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मेंटेनेस के अभाव में पार्क बदहाल होता जा रहा है।

-अमिता चौहान

पार्क में कई झूले टूटे पड़े हैं। इससे बच्चों को चोट पहुंचने का खतरा बना रहता है। कम से कम टूटे-फूटे झूलों को तो यहां से हटा देना चाहिए।

-नीलम

छोटे बच्चों के लिए पार्क सेफ नहीं है। झूलों के आसपास ग्रीन ग्रास भी नहीं लगाई है। बच्चे स्लाइड करके नीचे आते हैं तो उनको चोट लगने का डर बना रहता है।

-संजय चौहान

पार्क में सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। ग्राउंड प्लेन नहीं है। छोटे बच्चे खेलते हुए इधर-उधर भागते हैं तो इससे उनके गिरने का डर लगा रहता है।

मनोज खन्ना

कहने को तो चिल्ड्रन पार्क है, लेकिन यहां पर कोई भी आकर बैठ जाता है। अक्सर कपल भी यहां पर बैठे हुए देखे जा सकते हैं। इससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है।

जावेद अहमद

वर्जन

गांधी पार्क में बने चिल्ड्रन पार्क को किड्स जोन में तब्दील करने की प्लॉनिंग है। बजट उपलब्ध नहीं होने के कारण फिलहाल प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

विनोद चमोली, मेयर