-विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पर्यावरण संसद का आयोजन

-एक्सप‌र्ट्स बोले कटते रहे पेड़ तो आने वाले दिनों में और मुश्किल होगा जीना

ALLAHABAD: पेड़ सिर्फ पर्यावरण के लिए जरूरी नहीं हैं। ये नहीं रहे तो मुफ्त में मिलने वाले आक्सीजन के लिए हर साल चार लाख से अधिक रुपए खर्च करने पड़ जाएंगे। यानी हर किसी के लिए बराबर जरूरी है इनकी मौजूदगी। इसे प्रमोट करके हम इनकम का नया स्रोत जेनरेट कर सकते हैं। यह फैक्ट सामने आया विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर आई नेक्स्ट और विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से आयोजित पर्यावरण संसद में। बायोवेद शोध संस्थान इलाहाबाद के डायरेक्टर डॉ। वीके द्विवेदी ने महत्वपूर्ण तथ्य पेश किए।

सबको चाहिए क्भ् केजी आक्सीजन

डॉ। द्विवेदी ने बताया कि एक आदमी को प्रतिदिन कम से कम क्भ् किलोग्राम आक्सीजन की जरूरत होती है। जबकि साल भर में वह चार टन कार्बन डाई आक्साइड रिलीज करता है। आईसीयू में एक आक्सीजन सिलेण्डर की कीमत करीब क्भ्00 रुपए है। यह सिर्फ आठ घंटे इस्तेमाल हो सकता है। यानी ख्ब् घंटे के लिए करीब ब्भ्00 रुपए पे करने होंगे। साल भर में यह आंकड़ा क्म्,ब्ख्,भ्00 रुपए तक पहुंच जाएगा। पेड़ों के जरिए ये आक्सीजन हमें फ्री में मिलती है। सोचें पेड़ नहीं होंगे तो क्या होगा।

रासायनिक खाद बना रही अंडर ग्राउण्ड वाटर को जहरीला

उन्होंने कहा कि अंडर ग्राउण्ड वाटर को सबसे ज्यादा नुकसान रासायनिक खाद से हो रहा है। खाद के प्रयोग के लिए बनाये गए मानक के अनुसार एनपीके यानी नाइट्रोजन, फास्फोसर व पोटैसियम का रेसियों ब्:ख्:क् होना चाहिए। वर्तमान समय में किसान अधिक पैदावार के लिए एनपीके को ख्भ्:क्भ्:8 के रेसियो में प्रयोग कर रहे हैं। जमीन सिर्फ अपनी आवश्यकता के अनुसार रासायनिक खाद को ग्रहण करती है। बाकी हिस्सा जमीन के अंदर चला जाता है। जमीन के अंदर जाने वाला हिस्सा अंडर ग्राउण्ड वाटर में नाइट्रेट के रूप में घुल जाता है और उसे दूषित करता है। पहले के समय में पेड़ों की संख्या अधिक होने से पेड़ नाइट्रेट को अवशोषित कर लेते थे। लेकिन, लगातार पेड़ों की कमी के कारण नाइट्रेट को अवशोषित करने की स्थिति कम होती जा रही है। जिससे अंडर ग्राउण्ड वाटर भी दूषित हो रहा है। वातावरण में फैलने वाला भाग अमोनिया के फार्म में ओजोन परत को पिघलाने का काम कर रहा है।

आय का बड़ा श्रोत भी हैं पेड़

डॉ। द्विवेदी के अनुसार पेड़ पर्यावरण के लिए जितने फायदेमंद हैं उतना ही हमारी आर्थिक स्थिति सुधारने की क्षमता रखते हैं। डॉ। द्विवेदी के अनुसार कई ऐसे पेड़ हैं जिनकी खेती करके हम लाखों रुपए कमाने के साथ ही पर्यावरण भी संरक्षित कर सकते हैं। इसमें पलास, शिरीश, पीपल, बेर, बबूल, शीशम, जंगल जलेबी, कुसुम जैसे करीब ब्00 प्रजातियों का नाम शामिल है। एक पलास के पेड़ से करीब क्म् हजार की लाह प्रतिवर्ष पैदा की जा सकती है। जबकि बबुल से ब्000 रुपए और कुसुम के पेड़ से प्रति वर्ष करीब ढाई लाख रुपए की लाह पैदा की जा सकती है। शहरी क्षेत्र के लोग गमले में फ्लेमेंजिया लगाकर ख्भ्0 रुपए प्रति माह लाह की खेती करके कमा सकते है।

ख्भ् पेड़ों को लगाकर दिया संदेश

स्नेह एवं मित्र संस्थाओं मैत्रेयी, रंगवीथिका, समयांतर, जगतकला वेलफेयर सोसाइटी, सुसंस्कृति, मीडिया फोरम, लक्ष्य व स्नेह वेलफेयर एवं एजुकेशनल सोसाइटी की ओर से पर्यावरण संसद के समापन पर ख्भ् पौधे रोपित किए गए। इन्होंने अशोक, नीम, गुलमोहर, पीपल समेत अन्य कई वैरायटी के पेड़ लगाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक किया। जीटीए क्लब के चौकीदार को इसे संभालने की जिम्मेदारी दी गई और चैलेंज दिया गया कि नेक्स्ट पर्यावरण दिवस तक ये पेड़ सलामत रहे तो उसे सम्मानित किया जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हम सभी को पूरे वर्ष कार्य करना चाहिए। पेड़ों से सिर्फ पर्यावरण को ही फायदा नहीं है, ये आपके लिए आय का सुनहरा अवसर भी बन सकता है।

डॉ। वीके द्विवेदी

-जल प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी है कि प्रत्येक वर्ग के लोग प्रयास करें। जल है, तभी जीवन है। पर्यावरण को बचाए रखना हम सभी का कर्तव्य है।

मनोज श्रीवास्तव

-हमें संकल्प लेना चाहिए कि जन्म से लेकर मृत्यु तक होने वाले सभी संस्कार के दौरान प्रत्येक व्यक्ति दो पेड़ लगाए। तभी पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकेगा।

डॉ। विभा मिश्रा

-जल को प्रदूषण से बचाने के लिए जरूरी है कि हम जागरूक हों। बगैर जन जागरूकता के ये कार्य सम्भव नहीं है।

दीपक श्रीवास्तव