- वाराणसी और आसपास के शहरों के युवाओं ने सावन के सोमवार पर लगाई बाइक से हाजिरी

- पढ़ाई और नौकरी के साथ भक्ति के लिए निकाला रास्ता

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शरीर पर गेरुआ कपड़े, सिर पर फेंटा, कंधे पर गंगाजल भरे कांवड़ और जुबान पर बोलबम का नारा, सावन में खासतौर पर सोमवार पर काशी में यह नजारा आम है। दूर-दूर से आने वाले भक्त बाबा का दर्शन कर कृतार्थ होते हैं। नई पीढ़ी के भक्तों ने इन तरीकों में थोड़ा बदलाव किया है। पढ़ाई, नौकरी या व्यवसाय के साथ भक्ति के लिए इन्होंने रास्ता निकाला है। कांवड़ उठाए यह धुरंधर बाइकों पर निकलते हैं। कुछ ही घंटों में बाबा दरबार में मत्था टेककर वह वापस भी हो लेते हैं।

बनारसियों ने नाम दिया 'बाइकर बम'

बोलबम और डाकबम की तर्ज पर बनारसियों ने बाइक पर आने वाले इन युवा कांवरियों को 'बाइकर बम' का नाम दिया है। खास यह कि यह युवा भी बाइक के जत्थों में निकलते हैं। 10 या 12 बाइकों पर सवार यह युवा रास्ते भर बाबा के उद्घोष करते चलते हैं और इनकी ऊर्जा देखते ही बनती है। कांवड़ यात्रा में कांवड़ की विशेष महत्ता है। पीछे बैठा युवक अपने और बाइक चलाने वाले के कांवड़ भी संभाले रहता है.काशी विश्वनाथ के दरबार में मत्था टेकने के लिए इलाहाबाद, मिर्जापुर, भदोही के अलावा जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली और बिहार तक से युवा कांवरिए बाइक पर पहुंचते हैं। मंदिर के सबसे पास वाली पार्किंग में बाइक रखकर वह कतारों में लगते हैं और कुछ ही घंटों में दर्शन कर लौट लेते हैं। जौनपुर से आये सुमित सिंह और उनके साथियों ने बताया कि सभी अपना व्यवसाय करते हैं। बाबा दरबार में मत्था टेकने की योजना बनी और रविवार की रात सभी रवाना हो लिए।