हर सोमवारी को छह टन बेलपत्र

बीआईटी, मेसरा के मेकेनिकल डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो अरविंद कुमार ने बताया कि सावन के महीने में कई टन बेलपत्र हर दिन निकलते हैं। सावन के महीने में चार सोमवारी के दौरान सबसे ज्यादा बेलपत्र मंदिर में चढ़ाए जाते हैं। हर सोमवारी को करीब छह टन बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा पूरे सावन महीने के हर दिन करीब ढाई से तीन टन बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। इतने अधिक बेलपत्र को हर दिन मंदिर के बाहर डंप किया जाता है।

लगाया जाएगा plant
प्रो अरविंद ने बताया कि अभी शुरुआत में बीआईटी मेसरा के मेन कैंपस में एक छोटा-सा प्लांट लगाया जाएगा। देवघर में जो भी बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं, उनको वहां से मंगवाकर पहले एक ड्रम में डाला जाएगा, जिसमें छोटे-छोटे होल्स होंगे। उस ड्रम में पानी डालकर बेलपत्र को धोया जाएगा। इससे बेलपत्र पर जो भी रोड़ी चंदन लगा रहेगा, वह धुल जाएगा। बेलपत्र धुलने के बाद उसे सोलर ड्रायर में सुखाया जाएगा। बेलपत्र को सुखाने के  बाद उसको जलाया जाएगा। इससे जब वह पाउडर बन जाएगा, तो उसकी पैकिंग्स तैयार कर मार्केट में भी बेचा जाएगा। प्रो अरविंद ने बताया कि बेलपत्र से भभूत बनाने की प्रॉसेस से पॉल्यूशन न हो, इसका भी खास ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए बेलपत्र को जलाने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी का यूज किया जाएगा। सूखे बेलपत्र को इलेक्ट्रिक इंसिनरेटर में जलाया जाएगा, जिससे पॉल्यूशन नहीं होगा और जो भभूत निकलेगा, वह काला नहीं होगा।

50-100 kg से होगी शुरुआत
झारखंड गवर्नमेंट के  टूरिज्म डिपार्टमेंट के डायरेक्टर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने बताया- अभी शुरुआत में हमलोग बीआईटी, मेसरा के साथ एक मॉडल के लिए काम करेंगे, जिसमें 50 केजी से 100 केजी के बेलपत्र से भभूत बनाया जाएगा। इस भभूत को पैकिंग करके बाबा के मंदिर में बेचा जाएगा। उन्होंने बताया कि यह बेलपत्र बाबा मंदिर में चढ़ाया हुआ है, इसलिए यह प्रसाद के रूप में बेचा जाएगा।