ऑफिसर को तीन हफ्ते में सरेंडर करने का निर्देश

न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और यूयू ललित की पीठ ने कारडोजा को निचली अदालत से इस मामले में गुनहगार ठहराए जाने को सही माना. चोरी के इस मामले में पीठ ने उन्हें तीन हफ्ते के अंदर आत्मसमर्पण कर जेल जाने का निर्देश दिया. पीठ ने सरकार के पूर्व अधिकारी रहे कारडोजा की उम्र और स्वास्थ को देखते हुए नरम रुख अपनाया व निचली अदालत से सुनाई गई तीन साल की सजा को कम कर एक साल कर दिया.

तीन साल की जेल और 20 हजार रुपये जुर्माना

तिरुअनंतपुरम के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीएसपी की पहल पर कारडोजा के खिलाफ इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. जांच में पाया गया कि 25 जून 1996 को उन्होंने कटहल के उस पेड़ को छोटे-छोटे टुकड़ों में कटवाया था व अपने अलापुझा स्थित आवास पर ले गए थे. निचली अदालत ने उन्हें वर्ष 2000 में तीन साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था. इसके बाद कारडोजा ने हाईकोर्ट में अपील की थी जिसे हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था. उसी के बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.

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