साल 1998 में पहली बार प्रकाश में आए इस चर्चित मामले में कोलकाता के एडवांस मेडीकेयर रिसर्च इस्टीट्यूट अस्पताल (एएमआरआई) को कोर्ट ने मेडिकल लापरवाही का दोषी पाया था.

अमरीका में रहने वाले भारतीय मूल के डॉक्टर कुणाल साहा की पत्नी डॉक्टर अनुराधा साहा साल 1998 में भारत आईं थी जहां उनकी त्वचा से जुड़ी एक असाधारण बीमारी से मौत हो गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुआवज़े के लिए पहले जो राशि तय की थी, साहा उससे नाखुश थे और उसे बढ़ाए जाने के लिए उन्होंने अदालत में अपील की थी.

समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार जस्टिस गोपाल गौड़ा ने कहा, “आठ सप्ताह के भीतर डॉक्टर कुणाल साहा को मुआवज़े की राशि का डिमांड ड्राफ्ट दे दिया जाना चाहिए.”

पेशे से बच्चों की डॉक्टर रहीं अनुराधा साहा की मौत के बाद से ही उनके पति मेडिकल लापरवाही के मामलों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. डॉक्टर कुणाल साहा अमरीका के ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में एड्स के एक बड़े रिसर्चर हैं.

बाद में उन्होंने ‘पीपल फॉर बेटर ट्रीटमेंट’ नाम की एक संस्था बनाई और मेडिकल लापरवाहियों के खिलाफ आवाज़ और बुलंद की. उन्होंने एएमआरआई के तीन डॉक्टरों के खिलाफ मामले भी दर्ज करवाएं जो अनकी पत्नी के इलाज से जुड़े हुए थे. इस मामले में 17 डॉक्टरों की अदालत में पेशी हुई थी.

मेडिकल लापरवाही

एएमआरआई में इलाज के बाद अनुराधा साहा की हालत बिगड़ने पर उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया था जहां टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस (एनइटी) से उनकी मौत हो गई.

"आठ सप्ताह के भीतर डॉक्टर कुणाल साहा को मुआवज़े की राशि का डिमांड ड्राफ्ट दे दिया जाना चाहिए.”"

-जस्टिस गोपाल गौड़ा

साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने एएसआरआई को मेडिकल लापरवाही का दोषी पाया था और इस मामले को नेशनल कंस्यूमर डिसप्यूट रिड्रेसल कमीशन को रेफर किया गया था जिसने मुआवज़े की राशि 1.7 करोड़ तय की थी, जो साहा को नामंज़ूर था.

एनसीडीआरसी ने एएमआरआई और दोषी पाए गए तीन डॉक्टरों को मुआवज़े की राशि जुटाने के लिए योगदान देने को कहा था.

डॉक्टर कुणाल साहा ने सुप्रीम कोर्ट को अपील में कहा था कि मुआवज़े की रकम के साथ साल 1998 से अब तक का सूद भी दिया जाना चाहिए, जो कि कुल मिलाकर करीब 200 करोड़ बनता.

मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुआवज़े की राशि 5.96 करोड़ तय कर दी.

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