नई दिल्ली (पीटीआई)। राफेल मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा किया वे इस सौदे को लेकर वायुसेना अधिकारियों से पूछताछ करना चाहते हैं। इसके बाद वायुसेना के एयर वाईस मार्शल चलपति कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने चीफ जस्टिस के पूछे गए सवालों का वायुसेना की ओर से जवाब दिए। उन्होंने कहा कि वायुसेना के बेड़े में शामिल नये विमानों में सुखोई-30 की तैनाती का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एयर फोर्स को चौथी पीढ़ी के विमानों की जरूरत है। यही वजह है कि वायुसेना ने राफेल को अपनी आधुनिक जरूरतों के लिए चुना है।

रक्षा सौदों की प्रक्रिया के बारे में दी जानकारी

कोर्ट में मौजूद रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव ने रक्षा सौदों की प्रक्रिया को लेकर जानकारी दी। उन्होंने कोर्ट को आफसेट नियमों की जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में मुख्य कांट्रेक्ट के साथ ही आफसेट कांट्रेक्ट भी होता है। इधर सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की कीमतों को सार्वजनिक करने की मांग को ठुकरा कर उन्हें झटका दे दिया। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोर्ट खुद कीमत सार्वजनिक नहीं करे उस पर कोई चर्चा नहीं होगी। इससे पहले अटाॅर्नी जनरल ने कोर्ट में दलील दी कि कीमत का मामला इतना गोपनीय है कि अभी तक उन्होंने भी सील बंद लिफाफे में बंद कीमत संबंधी दस्तावेज नहीं देखे हैं। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कीमत की जानकारी देने पर रोक लगा दी।

सौदे की जांच पर कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

याचिकाकर्ता कोर्ट की निगरानी में राफेल सौदे की सीबीआई से जांच की मांग कर रहे थे। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने वायुसेना के अधिकारियों को भी बुलाकर सौदे से संबंधी पूछताछ की। इसके बाद कोर्ट ने जांच को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट में इस मामले की पांच घंटे तक सुनवाई चली। मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ कर रहे है।

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