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LUCKNOW : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बाबत बुधवार को आदेश जारी किया है। दरअसल राज्य सरकार ने सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह सैनी ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में प्रारंभिक जांच में ही 16.40 करोड़ की गड़बडिय़ां होने का खुलासा किया था। साथ ही यह भी पाया था कि बांध के निर्माण के लिए जरूरी तमाम स्वीकृतियां और अनुमतियां लिए बगैर ही इसे शुरू कर दिया गया। इतना ही नहीं, बांध बनाने वाला ठेकेदार पूरा खनिज भी हड़प गया।

2015 में किया शिलान्यास
दरअसल झांसी जिले के एरिच  इलाके में बेतवा नदी पर बहुद्देशीय बांध बनाने की परियोजना का शिलान्यास विगत 9 मई 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। उस दौरान शिवपाल सिंह यादव सिंचाई मंत्री थे। करीब 721 करोड़ की लागत से दो साल में बनने वाले इस बांध से एक ओर जहां बिजली उत्पादन होना था तो दूसरी ओर पेयजल और सिंचाई के पानी की भी व्यवस्था की जानी थी। परियोजना के तहत बेतवा नदी पर 19 मीटर ऊंचा बांध बनाते हुएए 62 एमसीएम पानी का भंडारण किया जाना था। सरकार नदी के डाउन स्ट्रीम में 1.8 मेगावाट की दो विद्युत संयंत्र इकाईयों की भी स्थापना करने जा रही थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल इस परियोजना को लेकर आई तमाम शिकायतों के बाद इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने विगत 31 मार्च को बांध पर जाकर स्थलीय निरीक्षण भी किया था।  

नहीं ली जरूरी अनुमति
जांच समिति ने राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि इस परियोजना में शुरुआत से खामियां बरती गयी। जहां बांध का निर्माण प्रस्तावित था वह नदी का सैंड डिपोजिट एरिया होने की वजह से नियमों के मुताबिक इसका निर्माण संभव नहीं था। साथ ही बेतवा नदी का अधिकांश हिस्सा मध्य प्रदेश में होने के बावजूद अंतरराज्यीय समझौता भी नहीं किया गया। सिंचाई विभाग ने वन विभाग और ग्राम समाज की भूमि लेने की जरूरी औपचारिकताएं भी पूरी नहीं की और ना ही पर्यावरण समेत अन्य विभागों से कोई एनओसी ली। इसके बिना सेंटर वाटर कमीशन की अनुमति मिलना भी नामुमकिन था। इसके अलावा बांध के निर्माण की लागत को भी लगातार बढ़ाया जाता रहा। इतना ही नहीं, बांध के निर्माण से पहले कोई सर्वेक्षण कराने की जहमत तक नहीं उठाई गयी। समिति की रिपोर्ट मिलने पर राज्य सरकार ने इस परियोजना से जुड़े चीफ इंजीनियर समेत 18 अफसरों को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए थे। अब मुख्यमंत्री ने इसकी जांच ईओडब्ल्यू से कराने का निर्णय लिया है।

खास लोगों पर बरसनी थी कृपा
जांच में यह भी पाया गया कि एरच बांध परियोजना सत्ता पक्ष के कुछ खास ठेकेदारों का हित साधने के लिए तैयार की गई है। अधिकारियों ने बांध निर्माण के साथ यहां पर दस हेक्टेयर में एक आदर्श फार्म स्थापित करने की योजना बनाई, जिसमें इजरायल की तकनीक के आधार पर सब्जियों व फलों की खेती होनी थी। साथ ही बांध को विशेष पर्यटक स्थल पर विकसित करने के लिए करोड़ों रुपये आवंटित किए गए। बांध की तलहटी में निजी संस्था विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी में थी।

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