- आंवलखेड़ा से जलेसर के बीच बरती गई अनियमितता

- ढाई फीट पर ही डाली केबल, अधिकारियों पर सवाल

आगरा। बीएसएनएल में केबल बिछाने के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल जारी है। केबल बिछाने के नाम पर कई किलोमीटर की साइटों पर काम किया जाता है। लेकिन इसमें मानकों की अनदेखी की जाती है और लाखों रुपए का नुकसान बीएसएनएल को पहुंचाया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला आंवलखेड़ा से जलेसर की लाइन को बिछाने में सामने आया है। जिसको डालने में जमकर धांधली की गई। इसका नतीजा यह है कि लाइन को अब तक सुधारा नहीं जा सका है।

मानक अधूरे, भुगतान पूरा

बीएसएनएल के प्रोजेक्ट विभाग ने आंवलखेड़ा से जलेसर तक कुल 55 किलोमीटर ओएफसी लाइन 2008-09 में बिछाई गई। इसमें मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत से जमीन से महज ढाई से तीन फीट नीचे केबल डाल दी गई, ये कारनामा लगभग 15 किलोमीटर के दायरे में किया। इसमें प्राइवेट लैंड को भी नहीं छोड़ा गया। जमीन स्वामी की बिना अनुमति के ही निजी जमीनों से केबल डाल दी गई। यही वजह रही कि शुरुआत से ही लाइन कटने की समस्या सामने आने लगी। इसके बाद भी विभागीय जांच टीम ने केबल बिछने के सभी मानकों को ओके कर दिया और पूरा भुगतान करा दिया। हालांकि ये लाइन एनटीआर (नॉर्दन रीजन) को हैंडओवर की जा चुकी है, लेकिन केबल बिछाने में की गई धांधली से ये अब तक सौ प्रतिशत रिस्पॉन्स देने में सक्षम नहीं है।

यह है मापदंड

बीएसएनएल प्रोजेक्ट ने केबल डालने के लिए एक मापदंड निर्धारित किया है। उसके अनुसार 1.65 मीटर या 6 फुट से नीचे लाइन बिछानी है। इतने नीचे लाइन बिछाने के पीछे तर्क है कि कोई अन्य निर्माण कार्य हो, तो केबल को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। कहीं-कहीं पर ये मानक 1.71 मीटर तक हैं। हालांकि विशेष परिस्थितियों पर कुछ परिवर्तन किए जाते हैं। इसके साथ ही प्राइवेट लैंड में लाइन बिछाने से पहले अनुमति लेनी जरूरी है।

यहां बरती है अनियमितता

आंवलखेड़ा से जलेसर के बीच केबल बिछाई गई। इसमें नगला छोंकर से गुदाउ तक लगभग 12 किलोमीटर लाइन में गहराई मानक को ताक पर की गई। यह तीन फुट तक गहराई है। ग्राम पंचायत गुदाऊं के सड़क किनारे ही लाइन बिछाई गई है, जिसका गड्ढा तक भरा नहीं गया। वहीं किसानों की जमीन, नहरों के ऊपर से लाइन को बिछा दिया गया। इन मनमानी के बाद भी भुगतान कर दिया गया।

अधिकारियों पर उठे सवाल

ये 55 किमी लाइन प्रोजेक्ट के एक एसडीओ के देखरेख में बिछाई गई। एसडीओ ने लाइन बिछाने में मानक का पालन नहीं कराया। इतना ही नहीं इसका भुगतान होने से पहले विभाग के दूसरे जिले के एक एसडीओ ने लाइन बिछाने में मानकों की जांच पड़ताल की। उन्होंने भी तीन फीट पर लाइन बिछी होने के बाद भी आपत्ति नहीं की और भुगतान करवा दिया। इस तरह से लगभग 80 लाख रुपए का भुगतान अधिकारियों की मिलीभगत से करा दिया गया।

फॉल्ट से जूझ रहे हैं

अधिकारियों की कारनामे का खामियाजा अब नेटवर्क प्राब्लम के रूप में उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। इस लाइन में हमेशा फाल्ट बनी रहती है और नेटवर्क दिक्कत।