RANCHI : रिम्स में फर्जी रसीद से कैश कराने का मामला सामने आया है। हॉस्पिटल के कर्मचारियों की मिलीभगत से दलालों ने मरीजों के टेस्ट के नाम पर लाखों रुपए कैश रिफंड कर लिया। इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब रिपोर्ट में टेस्ट होने के कुछ दिन बाद कैश रिफंड कराने की पुष्टि हुई। अब रिम्स प्रशासन इस मामले की छानबीन में जुट गई है।

मिलती है दो रसीद

टेस्ट कराने के लिए मरीजों को कैश काउंटर से रसीद कटानी होती है। यहां मरीजों को दो रसीद दी जाती है। इसमें एक ऑरिजनल कॉपी टेस्ट सेंटर में रख लिया जाता है, जबकि दूसरी कॉपी रसीद मरीज को दी जाती है। इस रसीद को दिखाने के बाद ही मरीज को टेस्ट रिपोर्ट सौंपी जाती है। ऐसे में ओरिजनल कॉपी के बाहर जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

हर दिन दर्जनों मरीज का टेस्ट

रिम्स में वैसे तो इलाज के लिए हर दिन 1500 मरीज आते हैं, लेकिन उनमें से 50-60 मरीजों को सिटी स्कैन और एमआरआइ टेस्ट किया जाता है। यहां एमआरआइ के लिए 3500 रुपए से लेकर पांच हजार रुपए लगते है, जबकि सिटी स्कैन के लिए 800 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक चार्ज है।

कैसे चलता है कैश रिफंड का खेल

कैश काउंटर पर से मरीजों को टेस्ट के लिए रसीद जारी किया जाता है। ऐसे में अगर किसी मरीज का टेस्ट नहीं हो पाता है या फिर मशीन खराब होती है तो उसे दोनों रसीद लेने के बाद कैश रिफंड कर दिया जाता है। लेकिन, टेस्ट कराने के बाद भी दलाल उसी नंबर की रसीद निकालकर एक हफ्ते से दस दिनों के बी कैश रिफंड कराने में सफल हो गए।

सिटी स्कैन हो गया, फिर भी कैश रिफंड

प्रदीप तुरी ने होल एबडोमेन के सिटी स्कैन के 4 अक्टूबर को तीन हजार रुपए की रसीद कटाई। इसके बाद उन्होंने टेस्ट भी करा लिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद 20 नवंबर को रसीद की ऑरिजनल कॉपी दिखाकर पैसे रिफंड करा लिया गया।

टेस्ट कराकर लौट गई, निकाल लिए पैसे

गुडि़या देवी ने 21 अगस्त को सीपी स्पाइन एमआरआई वीथ स्क्रीनिंग के लिए 5000 रुपए की रसीद कटाई। इसके बाद वह एमआरआई कराकर चली गई। लेकिन, 8 सितंबर को उसकी पर्ची लाकर कैश करा लिया गया।