- कई घोटाले ने सरकार की भद पिटवायी

PATNA : नीतीश कुमार सहित सारे मंत्री और जेडीयू के नेता नीतीश कुमार की सरकार को सुशासन की सरकार मानते हैं। सुशासन के कार्यक्रम भी चलते रहे। लेकिन गजब कि बात ये कि इस सरकार में भी कई घोटाले हुए। मरीजों की दवाओं तक में घोटाला हो गया। कई डॉक्टर्स और अस्पतालकर्मी इस घोटाले में पकड़े गए। लालू राज में जहां चारा घोटाला हुआ वहीं नीतीश राज में चावल घोटाला हुआ। नियुक्ति घोटाला हुआ। कुछ घोटालों पर गौर कीजिए-

पीएमसीएच घोटाला

बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में जो घोटाला हुआ उसमें लगभग क्ख् करोड़ का घोटाला हुआ। हद ये कि जिन कैमिलक्स की आयु तीन माह थी उसे भी खरीद लिया गया था, जबकि आपूर्ति के समय आयु 7भ् फीसदी रहना जरूरी होता है। जांच में पाया गया कि फ्रीज में रखे रिएजेंट्स का भौतिक सत्यापन किया गया। भौतिक सत्यापन के समय लैब तकनीशियन आनंद बिहारी सिंह भी उपस्थित थे। भौतिक सत्यापन के समय बतलाया गया कि फ्रीज में रखा गया रिएजेंट्स एक्सपायर नहीं है तथा उपयोग में लाया जा रहा है। लोकिन भौतिक सत्यापन में पाया गया कि करीब 9भ् फीसदी रिएजेंट्स यानी अधिकांश रिएजेंट्स एक्सपायर हो चुके थे। इस समय स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे थे। विजिलेंस ने बड़ी गड़बड़ी पाई।

एनएमसीएच घोटाला

यह घोटाला लगभग डेढ़ करोड़ का था। इसमें मशीन खरीद से लेकर बाकी कई तरह की गड़बडि़यां सामने आयी थीं। एसक्पायरी दवा बड़ी मात्रा में पकड़ाया था। एक ही विपत्र से दो बार भुगतान का खुलासा भी हुआ था। मलेरिया सहित कई विभाग कटघरे में आए थे। इस समय स्वास्थ्य मंत्री नंदकिशोर यादव थे। एनपी यादव तब सुपरीटेंडेट थे। इन्हें बाद में पीएमसीएच का प्रिंसिपल बनाया गया। इसमें भी विजिलेंस ने बड़ी गड़बड़ी पाई।

आईजीआईएमएस नियुक्ति घोटाला

इस घोटाले के तहत तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी बेटी को अस्सि्टेंट लाइब्रेरियन के पोस्ट पर नियमों को ताक पर रख कर बहाल करवाया। स्वास्थ्य मंत्री ही आईजीआईएमएस के चेयरमेन होते हैं। कई तरह की गड़बडि़यों का जब खुलासा हुआ तो मंत्री जी की बेटी ने रिजाइन कर दिया।

चावल घोटाला

चावल घोटाला सूबे के चर्चित घोटालों में गिना जाता है। लगभग क्0 हजार करोड़ का मामला सामने आया था। धान खरीद से लेकर चावल बनने की प्रक्रिया तक में कई बिचौलिए मालामाल हुए। कई अफसर मालामाल हुए। धान को मिल में चावल बनने के लिए भेजा तो गया पर उसे मिल ने वापस ही नहीं किया। मामला हाईकोर्ट गया । सीबीआई जांच कराने की मांग की गई। सीबीआई ने कहा कि उस पर पहले से कई मामलों का दवाब है। इस पर हाईकोर्ट ने सपेशल जांच कमेटी से जांच कराने का निर्देश दिया।

बीएमएसआईसीएल घोटाला

दवा खरीद में जब घोटाले होने लगे तो सरकार ने अलग से दवा खरीद की व्यवस्था ही कर दी। इसके लिए बीएमएसआईसीएल बनाया गया। लेकिन ये कहां यहीं हो गया दवा घोटाला। लगभग क्00 करोड़ का घोटाला था यह। इसमें दवाओं की खरीद अनाप-शनाप कीमत पर खरीदी गई। हद ये कि इस घोटाले में कई अफसरों के चेहरे का सच उजागर हो गए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि अफसरों को बचाने के लिए पूरी ताकत लगी दी नीतीश सरकार ने। बड़ी बात ये कि इस समय स्वास्थ्य विभाग भी सीएम नीतीश कुमार के पास ही था।

दरभंगा मेडिकल कॉलेज घोटाला

यहां मशीन खरीद में घोटाला हुआ। एजी बिहार ने भी यहां घोटाले की बात कही। करोड़ों का घोटाला हुआ। ख्008 के टेंडर के बाद ऑक्सीजन का टेंडर हुआ ही नहीं। ख्0क्फ्-क्ब् में भी यही कंपनी सप्लाई देती रही। पीएमसीएच के रेट से चौगुणा अधिक कीमत पर लिया गया।

किताब घोटाला

बिहार स्टेट टेस्ट बुक पब्लिशिंग कारपोरेशन लिमिटेड में करोड़ों की गड़बड़ी का मामला सामने आया। ख्008-09 से ख्0क्भ्-क्म् तक बुक बाइंडिंग के टेंडर में आश्चर्यजनक तरीके से एक कंपनी का बोलबोला रहा। कंपनी को करोड़ों को टेंडर दिए जाते रहे। एक बार तो ख्0क्क्-क्ख् में बिना टेंडर प्रकाशित ही काम दे दिया गया।