-2016 से बरेली कॉलेज में नहीं हुआ प्रतिभा सम्मान समारोह

-फैकल्टी टॉपर, स्पो‌र्ट्स और सांस्कृतिक कार्यक्रम के विनर को दिया जाता है सम्मान

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अपने ही कॉलेज के टॉपर रहे स्टूडेंट्स को बरेली कॉलेज तलाश नहीं पा रहा है। तीन वर्ष से प्रतिभावान स्टूडेंट्स नहीं मिल पाने के कारण बरेली कॉलेज प्रतिभा सम्मान समारोह भी नहीं करा पाया है। हालांकि बरेली कॉलेज के इस गैर जिम्मेदाराना रवैये से टॉपर रहे कई स्टूडेंट्स प्रतिभा सम्मान समारोह नहीं होने से परेशान भी हैं।

डीएसडब्ल्यू भी गंभीर नहीं

बरेली कॉलेज में स्टूडेट्स के वेलफेयर के लिए डीएसडब्लयू (डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर) बोर्ड बना हुआ है। यह बोर्ड स्टूडेंट्स के अधिकारों के लिए बनाया जाता है। कॉलेज ने प्रतिभा सम्मान समारोह का जिम्मा भी डीएसडब्ल्यू को सौपा है, लेकिन यह बोर्ड भी स्टूडेंट्स के वेलफेयर के प्रति गैर जिम्मेदारना रवैया अपना रहा है। बोर्ड के पास वर्ष 2016 से 2018 तक के टॉपर स्टूडेंट्स के नाम ही नहीं है। लापरवाही के चलते डीएसडब्ल्यू ने कॉलेज रिकॉर्ड से टॉपर के नाम की सूची कलेक्ट करना भी जरूरी नहीं समझा। इसीलिए वर्ष 2016 से अब तक टॉपर्स को कोई सम्मान नहीं मिल सका है।

30 को मिलता है सम्मान

कॉलेज की तरफ से करीब 30 प्रतिभावान स्टूडेंट्स को कॉलेज की तरफ से प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाता था। इसमें कुछ स्पॉन्सरशिप छात्रवृत्ति भी नकद दी जाती है, जिससे स्टूडेंट्स को भी आर्थिक मदद मिल जाती थी। स्पॉन्सरशिप छात्रवृत्ति की रकम भी प्रतिवर्ष बैंक में जमा हा रही है, लेकिन स्टूडेंट्स को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। कॉलेज की तरफ से यह सम्मान सभी फैकल्टी के एक-एक टॉपर को दिया जाता है, इसके साथ सब्जेक्ट बाइज अधिक मा‌र्क्स पाने वालों को भी सम्मानित किया जाता था। कॉलेज में स्पो‌र्ट्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम के भी विजेताओं को सम्मान होता था, लेकिन अब कॉलेज को टॉपर्स ही नहीं मिल पा रहे हैं।

ऑनलाइन रिकॉर्ड से प्रॉब्लम

डीएसडब्ल्यू से जब प्रतिभा सम्मान के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह 10 फरवरी को प्रतिभा सम्मान समारोह कराने की प्लानिंग थी, इसके लिए पत्र भी लिख लिया, लेकिन प्राचार्य को दिया नहीं। अब कॉलेज में कंट्रोलर बैठते ही सभी काम पर रोक लग गई है। अब इस वर्ष भी प्रतिभा सम्मान समारोह होना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड अब ऑनलाइन हो गया है, इसीलिए अब टॉपर की लिस्ट आरयू से मांगनी पड़ती है। पहले ऑफलाइन था तो कॉलेज से ही रिकॉर्ड मिल जाता था।

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मैं 2018 से डीएसडब्ल्यू का इंचार्ज बना हूं। पहले जब पूरा रिकॉर्ड ऑफ लाइन था तो टॉपर्स आसानी से मिल जाते थे लेकिन जब से पूरा रिकॉर्ड और फॉर्म प्रक्रिया ऑनलाइन हुई है तब से टॉपर्स तलाशना मुश्किल हो गया है।

डॉ.राजीव मेहरोत्रा, इंचार्ज डीएसडब्ल्यू