-इंग्लिश स्कूल्स में केजी-नर्सरी की पढ़ाई इंजीनियरिंग से भी हुई महंगी, देना पड़ रहा है ज्यादा फीस

-आईआईटी की पढ़ाई पर फूडिंग व लाजिंग के साथ सालाना खर्च हो रहा है 2.25 लाख रुपये

VARANASI

इंग्लिश स्कूल्स में केजी-नर्सरी की पढ़ाई वर्तमान में इंजीनियरिंग से भी महंगी हो गयी है। वर्तमान में केजी और नर्सरी क्लास में पढ़ाने पर पेरेंट्स को फीस के रूप में सालाना 35 हजार से लेकर 1.50 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। जबकि किताब-कापी व अन्य स्टेशनरी के साथ ही स्कूल जाने-आने का खर्चा अलग से है। खास बात यह है कि इन क्लासेज में गवर्नमेंट की ओर से किसी प्रकार की कोई स्कॉलरशिप भी नहीं दी जाती है। वहीं बीटेक में एडमिशन लेने वाले का फीस तक रिम्बर्स हो जाता है। महंगी शिक्षा का बोझ साल दर साल पेरेंट्स पर बढ़ता ही जा रहा है। यह तो सिर्फ उदाहरण मात्र है। बता दें कि आईआईटी से इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट्स को फूडिंग व लाजिंग के साथ फीस मात्र 2.50 लाख रुपये सालाना जमा करना पड़ता है।

हर क्लास में री एडमिशन फीस

वर्तमान में अधिकतर गार्जियंस अपने बच्चों को इंग्लिश स्कूल्स में पढ़ाना चाहते हैं। इसीलिए स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन भी खूब फायदा उठा रहा है। इन स्कूल्स में हर साल फीस बढ़ाई जा रही है। यहीं नहीं इनमें बच्चों का एडमिशन कराने के बाद पेरेंट्स को चिह्नित पब्लिशर्स की महंगी किताबें और तय दुकानों से यूनिफार्म खरीदने के लिए भी मजबूर किया जा रहा है। वहीं किसी स्कूल में पेरेंट्स यह सोचकर अपने बच्चे का एडमिशन करा दे रहे हैं कि उन्हें बार-बार एडमिशन फीस नहीं देना होगा। लेकिन हालत यह है कि एक ही स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से अगले क्लास में जाने पर उनसे री एडमिशन फीस लिया जा रहा है। जबकि एडमिशन फीस एक बार ही लिया जाना चाहिए।

हर साल बढ़ जा रही फीस

फीस को लेकर प्रत्येक स्कूल की अपनी अलग-अलग कहानी है। शैक्षणिक सेशन 2018-19 के शुरू होने से पहले फीस के संबंध में स्कूल्स एडमिनिस्ट्रेशन की मीटिंग हुई थी। इसमें सुविधाओं के आधार पर पांच से दस परसेंट फीस बढ़ाने का डिसीजन लिया गया था। इसके बावजूद कई स्कूल्स ने इसका पालन नहीं किया। स्कूल्स ने 15 से 20 परसेंट तक फीस बढ़ा दी। जिसकी कम्प्लेन गवर्नमेंट तक पहुंची। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

नहीं मिलता पक्का बिल

हर साल सेशन स्टार्ट होने से पहले डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से यह आदेश आता है कि बुक सेलर कापी व किताब की बिक्री का पक्का बिल अवश्य दें। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ टैक्स चोरी की कार्रवाई की जाएगी। कई परेंट्स इसकी लिखित शिकायत भी संबंधित विभाग में करते हैं। लेकिन बुक सेलर अपनी मनमानी से बाज नहीं आते। इसमें स्कूल्स का भी बहुत बड़ा रोल है। कारण कि स्कूल्स से पेरेंट्स को किताबों की लिस्ट की बजाए बुक सेलर की दुकान की पर्ची पर बुक का नाम लिखकर थमा दिया जाता है। उधर बुक सेलर किताब और कापियों के बिल नहीं देते। बल्कि एक सादे कागज पर पूरा हिसाब लिखकर दे देते हैं। कई तो कच्ची पेंसिंल से लिख रहे हैं। इसके अलावा कई कंप्यूटर से प्रिंट निकालते हैं। बता दें कि किताबों पर टैक्स नहीं है लेकिन कॉपियों, बैग व अन्य स्टेशनरी पर टैक्स है। और इनका पक्का बिल दिया जाना अनिवार्य है।

इस प्रकार है स्कूल्स की फीस

-सामान्य स्कूल में एडमिशन फीस 15000-20000 रुपये तक

-इंग्लिश स्कूल में एडमिशन फीस 25000-30000 तक

-बड़े पब्लिक स्कूल में एडमिशन फीस 50000-80000

किताबों और कॉपी पर खर्च

-नॉर्मल स्कूल में 1800-2500 रुपये

-इंग्लिश स्कूल में 2800-3000 रुपये

-बड़े पब्लिक स्कूल में 4000-4500 रुपये

यूनिफॉर्म पर खर्च

-नॉर्मल स्कूल के यूनिफॉर्म पर 4000-4200 रुपये

-इंग्लिश स्कूल के यूनिफॉर्म पर खर्च 4800-5000 रुपये

-बड़े पब्लिक स्कूल के यूनिफॉर्म पर 7000-8000 रुपये

वाहन से आने-जाने का खर्च

-12000-15000 रुपये खर्च आता है सालाना