- तीन सालों से स्कूली बस और ऑटो पर कंट्रोल करने के लिए छूट रहे है पसीने

PATNA: पिछले तीन सालों से लगातार परिवहन डिपार्टमेंट और ट्रेफिक पुलिस लगी हुई है, लेकिन अभी तक इस पर कुछ खासा काम नहीं हो पाया है। अब तक ऑटो के पीछे बैठने और बसों में ठूस कर ले जाने वालों पर भी कार्रवाई करने में काफी पीछे रही है। कई दफा जांच अभियान के दौरान फाइन और नोटिस भी दिया लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकला। ट्रैफिक पुलिस की ओर से इस तरह के ऑटो और स्कूली बस की जांच करने वाले डीएसपी ने बताया कि इसमें पूरी तरह से गार्जियन जवाबदेह है, क्योंकि वो खुद नहीं चाहते है कि बच्चे आराम से जाएं, कई दफा गार्जियन पुलिस से उलझ पड़ते है। उन्हें इसकी फिक्र नहीं है कि उनके बच्चों के जान के साथ वो खुद ही खिलवाड़ कर रहे हैं।

बच्चों की संख्या की होगी जांच

फिलहाल परिवहन डिपार्टमेंट जांच की एक और कड़ी शुरू की है। इसमें अब हर स्कूलों को उसके बसों की सारी जानकारी देने के साथ ही बस की सीट और उसमें बैठने वालों बच्चों की जानकारी देंगे, ताकि जांच में अगर उससे अधिक पाया जाएगा तो फिर उसकी रिपोर्ट स्कूल और बस संचालक से लिया जाएगा। डीटीओ दिनेश कुमार ने बताया कि फर्जी बस की जांच और एमवीआई से रेगुलर फिटनेस जांच के बाद यह एक तरह का अलग कदम है। स्कूल व बस मालिकों से लिस्ट मिलने के साथ ही इस पर कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।