-शासन ने संशोधन कर नई नियमावली की लागू

-बस के साथ वैन में भी आगे-पीछे लिखना होगा स्कूल

BAREILLY: स्टूडेंट की रोड सेफ्टी को लेकर स्कूल और वाहन ड्राइवर खिलवाड़ नहीं कर सकेंगे। स्टूडेंट्स की सेफ्टी की जिम्मेदारी वाहन चालक के साथ स्कूल की भी होगी। स्कूल बस या वैन में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम भी लगाया जाएगा। स्कूल बस या वैन में आगे और पीछे दोनों ओर स्कूल का नाम लिखवाना होगा। ड्राइवर की जिम्मेदारी होगी कि वाहन में बैठे सभी स्टूडेंट्स सीट बेल्ट बांधें। बस में हेल्पर के साथ स्कूल का एक टीचर भी जाएगा। इसके लिए सरकार उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली में छब्बीसवां संशोधन कर रही है। शासन ने इसकी प्रारंभिक सूचना जारी कर दी है और 30 दिनों तक कोई भी दावे आपत्ति कर सकते हैं। उसके बाद नए नियम को लागू कर दिया जाएगा। जीपीएस और सीसीटीवी नियमावली लागू होने के बाद 3 महीने के अंदर लगाने होंगे।

परमिट के लिए यह जरूरी

परमिट के लिए कोई भी वाहन मालिक या संचालक तब तक स्टूडेंट्स को पब्लिक प्लेस पर वाहन में नहीं ले जा सकेगा, जब तक वह किसी शिक्षा संस्थान के द्वारा परमिट नहीं जारी करा लेगा। शिक्षा संस्था बस को सक्षम प्राधिकारी के सामने निजी सेवा यान का परमिट हासिल करना होगा, किसी भी प्राइवेट बस का स्वामी, जिसके पास कॉलेज के प्राधिकारी के साथ लिखित करार होगा, वही परमिट के लिए अप्लाई कर सकेगा। स्कूल वैन के मालिक को भी स्कूल के साथ करार की प्रति के साथ परमिट के लिए अप्लाई करना होगा। किसी प्राइवेट ऑपरेटर से करार करने से पहले स्कूल को वाहन मालिक और ड्राइवर का चरित्र प्रमाण पत्र लेना होगा, करार एक वर्ष तक होगा और उसे सरकार के नियमों का पालन करना होगा।

15 वर्ष से अधिक पुरानी बस नहीं चलेगी

स्कूल-कॉलेज की डीजल और स्वच्छ ईधन से चलने वाली बस 15 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी। इसके अलावा डीजल और सीएनजी से चलने वाली प्राइवेट बस यानी ठेका गाड़ी 10 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी। डीजल, पेट्रोल, सीएनजी या अन्य किसी ईधन से चलने वाली स्कूल वैन भी 10 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी।

परिवहन सुरक्षा समिति होगी गठित

स्टूडेंट्स की सेफ्टी के लिए प्रत्येक जिले में एक स्कूल वाहन परिवहन सुरक्षा समिति गठित की जाएगी। इस कमेटी के अध्यक्ष डीएम और उपाध्यक्ष एसएसपी होंगे। इसके अलावा सदस्य आरटीओ, एआरटीओ सदस्य सचिव, डीएम द्वारा नामित नगर आयुक्त या पालिका या पंचायत का ईओ, डीआईओएस, बीएसएस और डीएम द्वारा नामित स्कूल परिवहन व्यवसाय से जुड़े दो लोग सदस्य होंगे। सदस्यों की मीटिंग में 5 सदस्य होना जरुरी होगा और मीटिंग वर्ष में दो बार जनवरी और जुलाई माह में होगी। समिति की जिम्मेदारी होगी कि वह वर्ष में कम से एक बार वाहन की जांच स्कूल परिसर या नियत स्थान में आरआई या आरटीओ की मौजूदगी में कराए।

विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति भी बनेगी

नई नियमावली के मुताबिक विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति भी बनायी जाएगी। इसमें स्कूल का डायरेक्टर अध्यक्ष, डीएम के द्वारा नामित एक सदस्य जो तहसीलदार से नीचे न हो, एसएचओ या चौकी इंचार्ज, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी, स्कूल संरक्षकों के दो प्रतिनिधि, उप खंड निरीक्षक, स्कूल व्हीकल मालिक के दो प्रतिनिधि, मेयर द्वारा नामित सदस्य या निकाय का एक प्रतिनिधि होंगे। इसकी मीटिंग में भी 5 सदस्य जरूर शामिल होंगे और मीटिंग वर्ष में जुलाई, अक्टूबर, जनवरी और अप्रैल में करनी होगी।

ड्राइवर का होगा पुलिस वैरीफिकेशन

विद्यालय सुरक्षा समिति को स्कूल वाहन का रजिस्ट्रेशन, फिटनेस सर्टिफिकेट, बीमा, पॉल्यूशन, परमिट और चलने की अनुमति को चेक करना होगा। समिति किराया और स्टॉपेज निर्धारित करेगी। साल में एक बार ड्राइवर का हेल्थ और आई टेस्ट कराना होगा। सभी ड्राइवर का पुलिस वैरीफिकेशन होना जरूरी होगा। स्कूली वाहनों की पार्किंग और विश्राम स्थल को भी चिह्नित किया जाएगा।

ड्राइवर के पास ये हाेना जरूरी

कोई भी स्कूल मालिक, स्कूल वाहन को ड्राइवर को तब तक चलाने की अनुमति नहीं देगा, जब तक ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होगा। ड्राइवर के पास 5 वर्ष का एक्सपीरियंस होना चाहिए, ड्राइवर वर्ष में दो बार रेड लाइट या लेन जंप करने के लिए दंडित नहीं होना चाहिए। सभी ड्राइवर को हेल्थ और आई टेस्ट में शामिल होना होगा। वाहन की लॉग बुक रखनी होगी और उसे इसमें कमियों को भी लिखना होगा। ड्राइवर ओवर स्पीड में व्हीकल नहीं चलाएगा। ड्राइवर सुनिश्चित करेगा कि सभी स्टूडेंट्स सीट बेल्ट बांधे हों।

यह भी होगा जरूरी

-बस ड्राइवर को खाकी फुल शर्ट और फुल पेंट पहननी होगी

-स्कूल वैन ड्राइवर को स्लेटी शर्ट और फुल पेंट पहननी होगी

-बस और वैन हेल्पर को नेवी ब्लू फुल शर्ट और फुल पेंट पहननी होगी

-ड्राइवर को स्कूल द्वारा जारी पहचान पत्र और मोबाइल नंबर सहित नेम प्लेट

-बस या वैन येलो कलर में रंगी जाएगी और आगे-पीछे स्कूल वाहन लिखना होगा

-स्कूल बस या वैन के दोनों साइड में स्कूल का नाम भी लिखना होगा

-बस में इमरजेंसी गेट, फ्रंट गेट पर हैंडरेल पायदान, छत में होल्डिंग रॉड

-प्रेशर हॉर्न नहीं लगाया जाएगा,

-फायर एक्सटिंग्यूसर और फ‌र्स्ट एड बॉक्स रखना होगा

-सीट के नीचे बैग रखने के लिए रैक होगी

-बस में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम भी लगाना होगा

-स्पीड 40 होगी और स्पीड गर्वनर भी लगा होगा

-स्कूल में छोटे बच्चों को पेरेंट्स के लेने न आने पर संरक्षक को बुलाकर सौंपा जाएगा

-हेल्पर को अपने पास मोबाइल भी रखना होगा, ताकि वह इमरजेंसी में सूचना दे सके

-वैन कैनवास हुड वाली नहीं चलेगी और बंद बॉडी की होगी