- आरटीए के अनुसार सभी स्कूली वाहनों में स्पीड गवर्नर जरूरी
- पुराने वाहन में बिना स्पीड गवर्नर के फिटनेस सर्टिफिकेट है बैन
Meerut: बुधवार को हुई आरटीए की बैठक में आरटीओ ने दावा किया था कि मेरठ में सभी स्कूली वाहनों में स्पीड गवर्नर लगने के आदेश पहले से हैं, लेकिन आज सच्चाई इससे बिल्कुल इतर है। आज भी 50 फीसदी स्कूली वाहन बिना स्पीड गवर्नर के सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं।
नहीं मिलेगा सर्टिफिकेट
विभागीय जानकारी के अनुसार ऐसे किसी भी स्कूली वाहन को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा, जिसमें स्पीड गवर्नर नहीं लगा होगा। साथ ही बिना स्पीड गवर्नर के चलने वाले पुराने वाहनों पर भी अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
नियमों की अनदेखी
शहर में लगभग 300 स्कूली वाहन रजिस्टर्ड हैं, जिनके वाहन चालक खुलकर नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ जाएंगे, जिसके चलते स्कूली वाहनों में हादसे बढ़ रहे हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा हादसे ओवर स्पीड होने की वजह से होते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने स्कूली बसों में स्पीड गवर्नर लगवाने की योजना बनाई थी।
शहर में रजिस्टर्ड हैं 300 स्कूली वाहन
ये नियम हैं
- स्कूल वाहन में अग्नि शमन यंत्र जरूरी है।
-पंजीकृत सीट क्षमता से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जाएंगे।
-स्कूल वाहन गैस से नहीं चलाया जाएगा।
-वाहन फस्ट एड बॉक्स रहना जरूरी है।
-वाहन में प्रेशर हॉर्न प्रतिबंधित है।
- वाहन में स्कूली बच्चों, चालक परिचालक के अलावा अन्य सवारी नहीं बैठाई जाएंगी।
- वाहन 40 किमी प्रति घंटा की स्पीड से ज्यादा नहीं चलाया जाएगा।
- स्कूल वाहन 15 वर्ष से पुराना नहीं होना चाहिए।
स्कूलों का नया सत्र शुरू होने वाला है। नवीन सत्र में जिन स्कूली वाहनों में गवर्नर नहीं लगे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई निश्चित है।
-ममता शर्मा, आरटीओ