-जीएसटी ने ढीली कर दी पैरेंटस की जेब

-स्कूल ड्रेस, बैग से लेकर स्टेशनरी तक हो गए महंगे

-घर चलाने से ज्यादा महंगा हो गया बच्चों को पढ़ाना

60 प्रतिशत की गिरावट की बात कह रहे
Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: जीएसटी को सरकार जहां कारगर मान रही है वहीं, स्कूली आइटम्स पर लगे जीएसटी को पेरेंट्स उचित नहीं ठहरा रहे। स्कूल खुलने के बाद स्टेशनरी, बैग और यूनीफॉर्म की बढ़ी दरों ने पेरेंट्स को टेंशन में डाल दिया है। स्कूली बैग जहां पहले तीन से साढ़े तीन सौ में मिल जाते थे अब वही बैग पांच से छह सौ रुपये में बिल पर्ची के साथ मिल रहे हैं। पहले सरकार की ओर से दावा किया गया था कि जीएसटी से महंगाई में बढ़ोत्तरी नहीं होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पैरेंटस का कहना है कि अब घर चलाने में उतना खर्च नहीं हो रहा जितना बच्चों की पढ़ाई में लग जा रहा है। स्कूल बैग्स पर सहित अन्य स्टेशनरी पर 5 से लेकर 28 प्रतिशत तक जीएसटी लिया जा रहा है। व्यापारियों ने बताया कि जीएसटी के कारण स्टेशनरी के सभी प्रोडक्ट महंगे हो गए हैं। जिसके कारण लोग कम से कम में अपना काम चला रहे हैं, नतीजा पिछले साल की अपेक्षा इस बार व्यापारी सेल में 60 प्रतिशत की गिरावट की बात कह रहे हैं।

बच्चों की पढ़ाई में जेब हो रही ढीली

जीएसटी से महंगी हुई स्टेशनरी के कारण पैरेंट्स की जेब ढीली हो रही है। स्कूल प्रबंधन की ओर से हर साल लगातार बढ़ रही फीस से बच्चों की पढ़ाई तो वैसे ही महंगी होती जा रही थी। लेकिन जीएसटी के लागू होने के बाद से यह रफ्तार और तेज हो गई है। कानवेंट स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाले पैरेंट्स के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस बार एडमिशन सहित स्टेशनरी की खरीदारी में 5 से 10 हजार अधिक खर्च हो गए हैं।

प्रोडक्ट जीएसटी बढ़ोत्तरी

स्कूल बैग- 288% 100-300

पंचिग मशीन- 288% 50-100

कलर- 288% 30-80

नोटबुक- 188% 10-40

टेप- 188% 5-15

पेपर बॉक्स- 188% 20-40

फाइबर कवर- 188% 30-50

कार्ड बोर्ड्स- 12% 50-80

कलर बुक्स - 12% 30-600

फीचर बुक्स- 12% 20-40

इंक और पेन- 12% 5-10

जुलाई में पिछले साल हम लोगों को खाना खाने तक का समय नहीं मिलता था। लेकिन अब घंटों तक कोई कस्टमर नहीं आता है।

अल्ताफ हुसैन, बिजनेसमैन

जीएसटी के कारण सभी प्रोडक्ट 20 से 30 फीसदी तक महंगे हो गए हैं। जिसके कारण खरीदार कम हो रहे हैं। इस बार सेल में 60 प्रतिशत गिरावट हुई है।

मुकेश कुमार, बिजनेसमैन

2017 में दोनों बच्चों की पढ़ाई में 40 हजार खर्च हुए थे। इस बार फीस से लेकर स्टेशनरी की खरीदारी में 50 हजार तक खर्च हो गए।

प्रो शरद मिश्रा, अभिभावक

पिछले साल बच्चे की स्टेशनरी पर 45 सौ रुपए खर्च हुए थे। इस बार करीब 52 सौ लग गए हैं। ऐसे ही खर्च बढ़ता रहा तो बच्चे को सरकारी स्कूल में भेजना पड़ेगा।

त्रिलोकी त्रिपाठी, अभिभावक