फ्लैग : निजी स्कूलों में मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के लिए बनी जिला समिति ने नहीं किया कोई फैसला

- फीस न जमा होने से राधा माधव स्कूल ने बच्चों को क्लास से निकालने की दी धमकी, कॉम्पीटेंट स्कूल पहले ही निकाल चुका है

- डीएम और सचिव डीआईओएस एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर मामले से पल्ला झाड़

BAREILLY:

निजी स्कूलों में मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के लिए बनाई गई जिला समिति ने बच्चों का भविष्य दांव पर लगा दिया है। मंडल समिति को भंग कर बनाई गई जिला समिति अब तक फीस को लेकर कोई फैसला ही नहीं कर पाई है। 12 दिसंबर को हुई पहली बैठक के बाद अब तक दूसरी बैठक ही नहीं हुई है। फैसले के इंतजार में बैठे कई अभिभावकों द्वारा फीस न जमा करने से उनके बच्चों को स्कूलों में घुसने से रोका जा रहा है। तो कहीं उनके एडमिट कार्ड रोकने की धमकी दी जा रही है। उधर, जिला समिति के अध्यक्ष डीएम और सचिव डीआईओएस एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं। डीआईओएस का कहना है कि डीएम समिति की बैठक के लिए डेट नहीं दे रहे हैं। इससे फीस को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है। वहीं डीएम का कहना है कि बच्चों को स्कूल से क्यों निकाला गया है, यह देखना डीआईओएस की जिम्मेदारी है। अफसरों की इस रस्साकशी में बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। ऐसे में बच्चे और उनके पेरेंट्स राहत मिलने की उम्मीद में अफसरों का मुंह ताकने को मजबूर हैं।

राधा माधव स्कूल ने भी दी चेतावनी

राधा माधव पब्लिक स्कूल ने भी उन बच्चों को क्लास से बाहर निकालने की चेतावनी दे दी है, जिनकी अब तक फीस जमा नहीं हुई है। दरअसल राधा माधव स्कूल ने क्लास वाइज बच्चों को ग्रुप बना रखा है। उसी ग्रुप में सभी सुचनाओं का आदान प्रदान होता है। ग्रुप में ही स्कूल की ओर से मैसेज डाला गया है कि जिन स्टूडेंट्स की फीस सबमिट नहीं है उन्हें वेडनेसडे से क्लास में नहीं बैठने दिया जाएगा।

कॉॅम्पीटेंट बच्चों को निकाल चुका है बाहर

स्कूल की फीस नहीं देने पर कॉम्पीटेंट स्कूल ने बच्चों को मंडे को स्कूल से बाहर निकाल दिया था। पेरेंट्स के विरोध करने पर स्कूल का कहना था कि जब तक फीस नहीं आएगी तब तक बच्चों को क्लास में एंट्री नहीं देंगे। वही दूसरी ओर पेरेंट्स का कहना था कि जब तक समिति का कोई फैसला नही आ जाता तब तक वह फीस जमा नही करेंगे।

क्यों बनी थी जिला समिति कमेटी

मंडल समिति के भंग होने के बाद शासन की ओर से डीएम की अध्यक्षता में जिला समिति का गठन किया गया था। इस कमेटी का काम था कि जिन स्कूलों के खिलाफ मनमानी फीस वसूलने की शिकायत मिली हैं, उनकी जांच की जाए। साथ ही उन पर कार्रवाई भी की जाए। इसके लिए डीएम ने भी समिति को आदेश जारी किए थे। वही दूसरी ओर कहा गया था कि जिन स्कूलों में अधिक फीस ली गई हो उनकी फीस समायोजित कराई जाए, लेकिन अभी तक न तो फीस समायोजित हुई और न ही उन पर कोई कार्रवाई हुई।

पढ़ाई का हो रहा नुकसान

स्कूलों और जिला समिति में शामिल अधिकारियों की मिलीभगत के चलते बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। इससे उनकी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है।

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वर्जन

पेरेंट्स को फीस जमा करनी चाहिए। यदि स्कूल फीस ज्यादा लेंगे तो फीस उनकी समायोजित कर दी जाएगी और जब तक डीएम की ओर से अगली बैठक के लिए कोई डेट नही दी जाती तब तक कोई फैसला नहीं हो सकता है।

डॉ। अचल कुमार मिश्र, डीआईओएस

पेरेंट्स फीस नहीं दे रहे हैं या स्कूल बच्चों को क्लास में बैठने नहीं दे रहे हैं यह देखना डीआईओएस की जिम्मेदारी है। रही बात जिला समिति की अगली बैठक की तो जल्दी ही बैठक कराई जाएगी।

वीरेंद्र कुमार सिंह, डीएम

समिति का निर्णय तभी हो सकता है जब डीआईओएस की तरफ से काम हो। डीआईओएस की ओर से न तो काम किया जा रहा है और न ही करने दिया जा रहा है। ऐसी स्थित में पेरेंट्स को राहत मिलना मुश्किल ही है।

अंकुर सक्सेना, अध्यक्ष अभिभावक संघ