- 72 में से एक भी स्कूलों से पैसा वापस नहीं ले पाया विभाग

- 100 से अधिक स्कूलों में विभाग ने दी थी परिवर्तन राशि

- 15 लाख से अधिक की दी गई थी परिवर्तन लागत राशि

- 2013-14 में एमडीएम योजना के तहत जारी हुई थी राशि

आई कंसर्न

मेरठ। तीन साल पहले राजकीय और वित्तविहीन विद्यालयों को दी गई परिवर्तन लागत वसूलने के निर्देश दफ्तरों में धूल फांक रहे हैं। 72 में से एक भी स्कूल से शिक्षा विभाग पैसा वापस नहीं ले पाया है। बड़ी बात यह है कि डीआईओएस ऑफिस से स्कूलों तक नोटिस पहुंचा ही नहीं हैं। पैसा रिकवर न होने के चलते बच्चों के मिड डे मील पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। जबकि शासन के निर्देश एक विभाग से दूसरे विभाग के कागजों में ही धूल फांक रहे हैं।

यह है मामला

शिक्षा विभाग ने वर्ष 2013-14 में ऐडिड और राजकीय स्कूलों में एमडीएम योजना के तहत स्कूलों को परिवर्तन लागत जारी की थी। विभाग ने सौ से अधिक स्कूलों में 15 लाख से अधिक की परिवर्तन लागत राशि दी थी। इसी दौरान एनजीओ से मिड डे मील सप्लाई हो जाने की वजह से यह लागत स्कूल संचालक प्रयोग नहीं कर पाएं और उनके खातों में अटक कर रह गई। मिड डे मील विभाग को शासन की ओर से चालू सत्र में इसी लागत को एडजस्ट करने के निर्देश मिले हैं।

पल्ला झाड़ रहे विभाग

गौरतलब है कि निर्देशों के डेढ़ महीने बाद भी तकरीबन 72 स्कूलों में अभी तक पैसा अटका है। इसे रिकवर करने के लिए बीएसए की ओर से डीआईओएस कार्यालय में पत्र भी भेजा गया था लेकिन डीआईओएस ने पहले पत्र न मिलने और बाद में स्कूलों को लेटर भेज दिए जाने की बात कह पल्ला झाड़ लिया है। मिड डे मील विभाग की ओर से भी बार-बार नोटिस देने के बाद भी 72 में से एक भी स्कूल से पैसा रिकवर नहीं किया गया है।

आ सकता है संकट

इन स्कूलों के पास शासन के तकरीबन 15 लाख रुपये अटके है। मिड डे मील प्राधिकरण ने विभाग को इस सत्र में इसी पैसे को एडजस्ट करने के निर्देश जारी किए है। ऐसे में अगर पैसा रिकवर नहीं किया गया तो बच्चों के मिड डे मील पर संकट गहरा सकता है।

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हमारी ओर से डीआईओएस को इसके लिए निर्देश भेजे जा चुके हैं। लेकिन अभी तक एक भी स्कूल से पैसे वापस नहीं आए हैं।

सतेंद्र सिंह ढाका, बीएसए, मेरठ

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स्कूलों से पैसा रिकवर करने के लिए कहा है लेकिन पैसा मिल नहीं रहा है। किसी भी स्कूल से पैसा नहीं मिला है।

वीरेंद्र कुमार, डिविजनल कोर्डिनेटर, मिड डे मिल