- प्रदेश के सभी सरकारी स्कूल में चलेगा अभियान

LUCKNOW : खेलों में स्टूडेंट्स की रुचि बढ़ाने के लिए अब राजधानी समेत प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में मशहूर खिलाडि़यों की गौरव गाथा बखान की जायेगी। जिसमें उनके संघर्ष की दास्तां भी होगी। साथ ही इन खिलाडि़यों की ट्रेनिंग के पीछे खेल विभाग की मेहनत और स्कीम के बारे में बताया जायेगा। अगले महीने से प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में यह अभियान शुरू हो जाएगा। अभियान में सिर्फ नर्सरी से कक्षा आठ तक स्कूलों के बच्चों को टार्गेट किया जायेगा।

नहीं मिल रहे अच्छे खिलाड़ी

पिछले साल खेल विभाग ने कई खेलों के हॉस्टल शुरू किए। इसमें लखनऊ में जहां ग‌र्ल्स के लिए स्विमिंग हॉस्टल खुला तो वहीं सोनभद्र में तीरंदाजी और फैजाबाद में कुश्ती के साथ ही प्रदेश भर में आठ खेलों के हॉस्टल खोले गए। लेकिन जब हॉस्टल सेलेक्शन आयोजित किए गए, तो खिलाड़ी ही नहीं मिले। सेलेक्शन ट्रायल के दौरान कहीं पर एक तो कहीं पर दो खिलाड़ी सामने आए। क्रिकेट जैसे खेल में खिलाड़ी दाखिला लेने नहीं पहुंचे, इसके लिए फतेहपुर में खुले क्रिकेट हॉस्टल में खिलाडि़यों की कमी देखने को मिल रही है। ऐसे में खेल विभाग ने यह योजना तैयार की हॉस्टल के लिए होने वाले सेलेक्शन ट्रायल के लिए सरकारी स्कूलों के बच्चों के सामने डिमांस्ट्रेशन किया जाए और उन्हें यह बताया जाए कि किस तरह से वह पढ़ाई के साथ खेल की फील्ड में जा सकते हैं।

तैयार किया जा रहा फोल्डर

ऐसे में यूपी के खिलाडि़यों का फोल्डर तैयार किया जा रहा है कि इन खिलाडि़यों ने इंटरनेशनल लेवल पर किस तरह का प्रदर्शन किया। स्कूलों में खिलाडि़यों को बताया जाएगा कि हॉस्टल के लिए सेलेक्ट होने वाले खिलाडि़यों को खेल विभाग प्रशिक्षकों, खेल के उपकरणों के साथ ही उनके रहने और खाने का खर्च भी उठाता है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर घरों के बच्चे भी सेलेक्शन ट्रायल में हिस्सा ले सकते हैं। ये भी बताया जाएगा कि सरकारी नौकरी में जाने के लिए खेल से होकर भी रास्ता गुजरता है। खेल विभाग के डायरेक्टर डॉ। आरपी सिंह भी इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर रहे हैं और आज वह अपने विभाग के मुखिया हैं। खेल विभाग के अलावा पुलिस, फोर्स, सुरक्षा बल, आरटीओ ऑफिस, वन विभाग, परिवहन निगम और रेलवे समेत कई कार्यालय ऐसे हैं जो अपने यहां इंटरनेशनल और नेशनल लेवल के खिलाडि़यों की भर्ती करते हैं। सिर्फ पढ़ने से ही जॉब की तैयारी नहीं की जा सकती बल्कि खेलने से भी सरकारी नौकरी हासिल की जा सकती है।

प्राइजमनी भी बताई जायेगी

खिलाडि़यों की वीरता सुनाने के दौरान यह भी बताया जाएगा कि खेल विभाग मेडल जीतने वाले खिलाडि़यों को मेडल लाने पर आर्थिक पुरस्कार भी देता है। स्टेट और नेशनल लेवल पर मेडल जीतने वाले खिलाडि़यों को मिलने वाली प्राइजमनी खिलाड़ी के एकाउंट में ट्रांसफर की जाती है। प्रदेश भर में खिलाडि़यों की बहादुरी के किस्से सुनाने के लिए सभी क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे अपने स्टेडियम में तैनात क्रीड़ाधिकारियों को भेज कर स्कूलों में खेल का प्रचार प्रसार करेंगे। इस व्यवस्था के सत्यापन के लिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग की व्यवस्था की गई है.जो प्रशिक्षक इसमें लगाए जाएंगे, उन्हें स्कूल अपने आयोजित होने वाले प्रोग्राम को फोटो आरएसओ को भेजना होगा। ड्यूटी ना मानने वाले प्रशिक्षकों पर एक्शन तक लिए जाने की तैयारी है।

सेलेक्शन ट्रायल के दौरान ग‌र्ल्स की संख्या बहुत कम रहती है। इसको बढ़ाने के लिए यह प्लानिंग की गई है। खेल विभाग की प्लानिंग ग्राउंड आने वाले लोग जानते है लेकिन इनमें उनकी संख्या बहुत कम होती है, जो सेलेक्शन ट्रायल में हिस्सा लेते हैं। ब्वायज में भी अच्छे खिलाड़ी सामने आ सके, इसलिए यह योजना शुरू की जा रही है।

- अनिता भटनागर जैन

अपर मुख्य सचिव खेल

ये हैं हॉस्टल से निकले दिग्गज

हॉस्टल से निकले खिलाडि़यों में इंटरनेशनल एथलीट सुधा सिंह, माधुरी सक्सेना, इंटरनेशनल क्रिकेटर सुरेश रैना, हॉकी में पूर्व ओलम्पियन सैयद अली, सुजीत कुमार, समेत कई खिलाडि़यों की लिस्ट तैयारी की जा रही है। इन खिलाडि़यों के खेल के सफर के बारे में बताया जाएगा। हॉस्टल में प्रैक्टिस से लेकर नौकरी में आने तक इन खिलाडि़यों की जानकारी स्कूलों में दी जाएगी।