इन डोर, आउट डोर गेम से दूर हुए बच्चे मोबाइल पर करते हैं सर्फिंग

देखरेख के अलावा काउंसिलिंग से बचाया जा सकता है

आगरा। ब्लू व्हेल गेम सभी को अपना निशाना नहीं बनाता बल्कि उन बच्चों को कैच करता है जो सोशल नेटवर्किंग साइट पर अधिक एक्टिव रहते हैं। एक बार बच्चा चंगुल में आ जाए तो निकलना मुश्किल होता है। सभी केसों में ऐसे बच्चे शामिल हैं। वर्तमान में बच्चे अपने मोबाइल में खोए रहते हैं। ऐसे में उनकी काउंसिलिंग होना जरुरी है।

गेम नहीं बस टास्क पूरा करना होता है

आईटी एक्सपर्ट रक्षित टंडन के मुताबिक यह गेम मोबाइल और कम्प्यूटर सिस्टम दोनों पर खेला जा सकता है। इस गेम में कुछ ऐसा नहीं जिसे खेला जाए। इसमें मात्र टास्क पूरा करना होता है। एडमिट आपको टास्क देगा जो आपको पूरा करना है। लिंक पर क्लिक करते ही वह बच्चे का पूरा डेटा ले लेते हैं। विभिन्न प्रकार के खतरनाक चैलेंज दिए जाते हैं।

मोबाइल और कम्प्यूटर पर लगाए सिक्योरिटी

जब से मोबाइल का चलन तेजी से बढ़ा है। तब से बच्चे इनडोर और आउट डोर गेम से दूर हो गए हैं। बच्चे पूरा-पूरा दिन मोबाइल पर सोशल नेटवर्किंग साइट पर काम करते रहते हैं। गु्रप और मैसेंजर पर चैटिंग करते हैं। परिजनों को पता नहीं होता कि उनका बच्चा क्या कर रहा है। वह अपने में खोया हुआ रहता है। ऐसे में जरुरी है कि माता-पिता उसके मोबाइल व कम्प्यूटर पर सिक्योरिटी लगा कर रखें जिससे कि वह ऐसे गेम की चपेट में न आ सके।

काउंसिलिंग ही है आसान उपाए

आईटी एक्सपर्ट की राय में सिक्योरिटी के अलावा बच्चों से दूरी न बनाए। इसका सबसे बड़ा कारण बच्चों से दूर होना भी है। बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार बनाए। इसके अलावा सबसे अधिक है कि बच्चों की काउंसिलिंग की जाए जब तक बच्चे समझेंगे नहीं तब तक वह इस तरह के गेम की चपेट से बच नहीं सकेंगे। परिजनों की जिम्मेदारी ऐसे में बहुत बढ़ जाती है।