वैज्ञानिकों ने मंगल पर ज्वालामुखी की चट्टानों के उल्कापिंडों के छह नमूनों की जांच की। इन उल्कापिंडों में मंग्रल ग्रह के वायुमंडल के ही अनुपात में गैसें मिलीं। सभी नमूनों में मीथेन गैस पाई गई है। इसकी जांच पत्थरों को चूर कर उससे निकलने वाली गैस से की गई। वैज्ञानिकों के दल ने दो अन्य उल्कापिंडों की भी जांच की जो मंगल से जुड़े नहीं थे। इन उल्कापिंडों में मीथेन की मात्रा अपेक्षाकृत कम थी। इस खोज से इस संभावना को बल मिला है कि मंगल की सतह के नीचे रहने वाले प्राथमिक जीव मीथेन का उपयोग भोजन के स्रोत के रूप में करते हैं। पृथ्वी पर भी सूक्ष्मजीव कई परिस्थितियों में ऐसा करते हैं।
येल विश्वविद्यालय में भूगोल एवं भू-भौतिकी विभाग के पोस्टडॉक्टरल ऐसोसिएट सीन मैकमहोन ने बताया, ‘अन्य अनुसंधानकर्ता इन निष्कर्षों की वैकल्पिक जांच उपकरण एवं तकनीक का उपयोग कर फिर से पुष्टि करने के लिए उत्सुक होंगे।’ आबरदीन विवि के प्रो. जॉन पारनेल ने कहा, ‘अनुसंधान इस बात का मजबूत संकेत देता है कि मंगल की चट्टानों में मीथेन के विशाल भंडार हैं।’ मैकमहोन ने कहा, ‘अगर मंगल की मीथेन प्रत्यक्ष रूप से सूक्ष्म जीवों का पोषण नहीं भी करती है तो यह गर्म, नम और रासायनिक रूप से प्रतिक्रियाशील वातावरण की मौजूदगी की तरफ इशारा है, जहां जीवन परवान चढ़ सकता है।’
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