प्रशासन ने खड़े किए हाथ, गेंद एक बार फिर एमडीए के पाले में

रिवाइज मास्टर प्लान से पहले मुश्किल होगा स्थल का चयन

Meerut। शहर से अवैध डेयरियों को शिफ्ट करने के लिए प्रस्तावित कैटल कॉलोनी पर एक बार फिर पेंच फंसता नजर आ रहा है। कैटल कॉलोनी के लिए 20 जनवरी की हाईकोर्ट की डेडलाइन को मेरठ प्रशासन छूता नजर नहीं आ रहा है। आलम यह है कि एमडीए ने अभी जिला प्रशासन को जमीन के लिए पत्र लिखा ही था कि जिला प्रशासन ने जमीन उपलब्ध कराने पर हाथ खड़े कर दिए। कैटल कॉलोनी को लेकर गेंद एक बार फिर एमडीए के पाले में है।

जरा समझ लें

एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मेरठ और बनारस से अवैध डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने के आदेश दोनों प्राधिकरण और जिला प्रशासन को दिए थे। कोर्ट ने 20 जनवरी तक की डेडलाइन भी जिम्मेदार विभागों के लिए निश्चित की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर हरकत में आई सरकार ने गत दिनों बैठक के दौरान दोनों विकास प्राधिकरणों के अधिकारियों से कैटल कॉलोनी के विकास पर स्थिति तलब की तो वहीं निर्देश दिए कि जल्द से जल्द जमीन का चयन कर अवैध डेयरियों के शिफ्टिंग के निर्देश दिए थे।

प्रशासन खड़े कर रहा हाथ

एमडीए उपाध्यक्ष साहब सिंह ने जनपद की सदर, मवाना और सरधना तहसील के एसडीएम को लेटर जारी कर जमीन की उपलब्धता की जानकारी मुहैया कराने के निर्देश दिए तो वहीं सूत्रों के मुताबिक जिला प्रशासन ने जमीन उपलब्ध कराने के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। पूर्व में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए कराए गए सर्वे को संज्ञान में लेकर जिला प्रशासन का कहना है कि कैटल कॉलोनी के लिए आपेक्षित जमीन उनके स्वामित्व क्षेत्र में नहीं है। ऐसे में गेंद एक बार फिर प्राधिकरण के पाले में आ गई है।

रिवाइज प्लान पर आस

जानकारों के मुताबिक मेरठ विकास प्राधिकरण के परिक्षेत्र में 124 राजस्व गांवों के जुड़ने के बाद न सिर्फ प्राधिकरण की सीमा का विस्तार हुआ है बल्कि जनपद के ज्यादातर नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र प्राधिकरण की सीमा में शामिल हो गए हैं। प्रशासन के हाथ खड़े करने के बाद कैटल कॉलोनी के लिए जमीन प्राधिकरण हो ही तलाशनी है ऐसे में एमडीए के रिवाइज मास्टर प्लान के बाद ही कैटल कॉलोनी के लिए जमीन की तलाश पूरी हो सकेगी। एमडीए वीसी साहब सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में प्राधिकरण जमीन की तलाश तेज की जा रही है।