-हर महीने के बजाए 4 से 6 माह में होती है मीटर की रीडिंग

-समय पर मीटर रीडिंग न होने से उपभोक्ताओं की जेब हो रही बोझिल

-टेबल रीडिंग कर ही बना दिया जा रहा है बिल

Case-1

कंदवा के शुभम के घर में लगे बिजली मीटर की रीडिंग पिछले 6 माह से नहीं की जा रही है। उनका आरोप है कि विभाग का कोई कर्मचारी मीटर रीडिंग के लिए नहीं आ रहा है। जिसकी वजह से उन पर बिजली बिल के साथ उस पर लगने वाले ब्याज का बोझ भी बढ़ रहा है। शिकायत के बाद भी कोई कर्मचारी रीडिंग करने नहीं आ रहा है।

Case-2

अवलेसपुर के राजेश जायसवाल के घर भी 4 माह से बिजली विभाग का कोई कर्मचारी मीटर रीडिंग के लिए नहीं आया। उनकी शिकायत है कि एक तो विभाग समय पर मीटर रीडिंग नहीं कराता और जब बिल आता भी है तो उसमें खपत से ज्यादा का पैसा जुड़ा होता है।

Case-3

अमरा अखरी के राजू गुप्ता के मीटर की रीडिंग 3 माह से नहीं हुई। इनके यहां अक्सर बिना रीडिंग के एवरेज बिल भेज दिया जाता है। जबकि यहां कनेक्शन नंबर के बगैर बिल जेनरेट नहीं होता। एवरेज बिल में बढ़ी राशि को ठीक कराने के लिए उन्हें विभाग का चक्कर काटना पड़ता है।

बिना रीडिंग का आ रहा बिल

ये तीनों केस तो सिर्फ बिजली विभाग की व्यवस्था बताने भर को हैं। पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम कार्यालय से समीप चितईपुर, अवलेशपुर, पहाड़ी गेट, मड़ौली, कंदवा, अमरा जैसे एरिया के कई ऐसे बिजली उपभोक्ता हैं जो मीटर रीडिंग न होने से परेशान हैं। इनमें से कई घरों में बिना रीडिंग किये एवरेज बिल भेजा दिया जा रहा है तो कहीं 4 से 6 माह में बिजली रीडिंग होने के बाद बिल पहुंचता है। इस समस्या के समाधान के लिए लोगों को कई कई दिनों तक बिजली विभाग में धक्के भी खाना पड़ रहा है। बिजली उपभोक्ताओं की इस समस्या पर अधिकारियों का कहना है कि मीटर रीडिंग और बिल देने का काम प्राइवेट कांट्रेक्टर को दिया गया है।

बिल भेजने में भी लापरवाही

यही हाल बिल भेजने में भी है। अक्सर लोगों को बिल तो मिलता ही नहीं है। अगर मिलता भी है तो समय सीमा समाप्त होने के बाद। जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को पेनाल्टी राशि के साथ बिजली बिल अदा करना होता है। सीधे उपभोक्ता के हाथ में बिल न पहुंचने से उनमें खासी नाराजगी भी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि समय से बिजली बिल न मिल पाने के कारण वे बिल जमा नहीं कर पाते हैं। बिजली विभाग पहुंचकर बिल निकलवाने के बाद उस पर हर्जाना लगाकर बिजली विभाग एक प्रकार से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहा है। जिससे उनके सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो जा रही है।

एक नजर

700

मेगावाट पूरे जिले में बिजली की रोजाना है खपत

450

मेगावाट शहरी क्षेत्र में

250

मेगावाट ग्रामीण क्षेत्र में

400

मेगावाट की खपत पीक आवर में

300

मेगावाट की खपत सामान्य समय में

मीटर रीडिंग और बिल देने का काम प्राइवेट कांट्रेक्टर को दिया गया है। अगर उनके कर्मचारी किसी एरिया में मीटर रीडिंग करने नहीं जा रहे हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।

अवधेश पासवान, एक्सईएन, पीवीवीएनएल