- बरेली के नवाबगंज में शुक्रवार शाम की घटना - भाई की पत्नी को विजयी घोषित न करने पर कथित रूप से बीजेपी जिलाध्यक्ष ने की थी एसडीएम की पिटाई -नाराज पीसीएस ऑफीसर्स ने सीएम योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र, तीन दिन का दिया अल्टीमेटम -कार्रवाई न होने पर दी कार्य बहिष्कार की धमकी lucknow@inext.co.in LUCKNOW : बरेली के नवाबगंज में नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर भाई की पत्नी के हारने के बावजूद विजयी न घोषित करने पर बिफरे बीजेपी जिलाध्यक्ष द्वारा एसडीएम की पिटाई का मामला गरमा गया है। नाराज पीसीएस अफसरों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आरोपी जिलाध्यक्ष के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। अफसरों ने इसके लिये तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है। कार्रवाई न होने पर कार्यबहिष्कार की धमकी दी है। बहू को जिताने की कर रहे थे मांग बरेली के नवाबगंज नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद पर बीएसपी शहला ताहिर को निर्वाचित घोषित किया गया। उन्हें 9271 वोट हासिल हुए। शहला ने अपनी करीबी प्रतिद्वंदी बीजेपी की प्रेमलता राठौर को 170 वोट से हराया। प्रेमलता बीजेपी के जिलाध्यक्ष रविन्द्र सिंह राठौर के भाई की पत्‍‌नी हैं। बहू की हार से आहत रविन्द्र सिंह राठौर पर आरोप है कि उन्होंने कथित रूप से अपने समर्थकों के साथ मतगणना स्थल में प्रवेश किया और एसडीएम नवाबगंज राजेश कुमार पर प्रेमलता को विजयी घोषित करने का दबाव बनाने लगे। अधिकारियों के मुताबिक, जब राजेश कुमार ने ऐसा करने से इंकार किया तो रविन्द्र सिंह राठौर ने समर्थकों के साथ मिलकर उनके संग बदसलूकी की और उन्हें पीट दिया। भुक्तभोगी एसडीएम राजेश कुमार ने रविन्द्र सिंह राठौर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। अफसर हुए लामबंद बरेली जिले में तैनात सभी पीसीएस ऑफिसर्स ने इस घटना के सामने आने के बाद बैठक की और सीएम योगी आदित्यनाथ को पूरी घटना का विवरण देते हुए एक पत्र लिखा। पत्र में अफसरों ने इस घटना के साथ ही पूर्व में पीसीएस अफसरों के साथ हुई हिंसक घटनाओं का हवाला देते हुए आरोपियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न होने से निराशा जताई गई है। पत्र में सीएम से आरोपी जिलाध्यक्ष के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। इसके लिये अफसरों ने उन्हें तीन दिन का अल्टीमेटम भी दिया है। अगर इस मियाद में कार्रवाई न हुई तो अफसरों ने अनिश्चितकालीन कार्यबहिष्कार की घोषणा की है। बॉक्स। कार्रवाई न होने से हो रहे हौसले बुलंद प्रदेश में यह कोई पहली घटना नहीं है, जब पीसीएस अफसर सत्ताधारी दल या खनन माफियाओं का शिकार बने हों। इससे पहले फीरोजाबाद में एक भाजपा विधायक की वहां तैनात पीसीएस अफसर से हुआ विवाद सुर्खियों में आया था। हालांकि, विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। इसी तरह प्रदेश में कई जगहों पर खनन माफियाओं द्वारा पीसीएस अफसरों पर हमले हो चुके हैं। हालांकि, आरोपियों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई न होने से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं रुक रही।