लगाई थी सील

कैंट बोर्ड ने राजेंद्र कुमार के सदर स्थित चौक बाजार हाउस नंबर 89/ए टू सी एक जून को सील लगाने के आदेश दिए थे। 13 जून को कैंट बोर्ड कैंट बोर्ड पर कार्रवाई करते हुए सील लगा दी थी। कैंट बोर्ड के अधिकारियों की माने तो निर्माण में 6 कमरे अटैच बाथरूम और दो डक्ट बना दिए गए थे। जिसके बाद कैंट बोर्ड के खिलाफ राजेंद्र कुमार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। जिसके बाद हाई कोर्ट ने पार्टी को तीन हफ्ते के अंदर अपीलांट अथॉरिटी में अपील करने को कहा था। जहां उसकी सुनवाई होनी थी।

लगी रहेगी सील

अपीलकर्ता की सुनवाई 6 सिंतबर को मध्य कमान लखनऊ में डायरेक्टर जेएस धारवाड़ ने की। जिस पर उन्होंने कहा कि कैंट बोर्ड ने जो सील लगाई है वो पूरी तरह से सही है। राजेंद्र कुमार जो दलीलें रखी हैं वो पूरी तरह से गलत है। कैंट बोर्ड सील लगाने में समर्थ है। भले ही मौजूदा एक्ट के बायलॉज न तैयार हुए हों। फिर भी आदेश का पालन जरूर होगा। कैंट बोर्ड 1924 एक्ट के बायलॉज के तहत कार्रवाई कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट भी

दे चुका है फैसला

मध्य कमान ही नहीं सुप्रीम कोर्ट भी अपने दो फैसलों में इस तरह के फैसले दे चुका है। पहला फैसला 1986 में सुरेंद्र सिंह बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिया था। दूसरा मामला 2009 का था। जनविप हिल ट्रक ऑनर्स बनाम एसए कोल डीलर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था।

'कमान से हमारे पक्ष में फैसला आया है। ये कैंट बोर्ड के लिए बड़ी सफलता है। आने वाले समय भी कोर्ट से हमारे पक्ष में फैसले आते रहे तो कैंट में अवैध निर्माण को रोकने में बड़ी सफलता मिलेगी.'

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड