RANCHI देवभाषा संस्कृत पढ़ने की घटती चाहत इस भाषा के भविष्य पर सवाल खड़े कर रही है। रोजगार और ज्ञान-विज्ञान की भाषा होने के बावजूद स्टूडेंटस इस विषय की ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं। चाहे रांची कॉलेज का संस्कृत विभाग हो या रांची यूनिवर्सिटी का पीजी संस्कृत डिपार्टमेंट, हर जगह विभाग में जितनी सीटें हैं उसकी तुलना में बहुत कम स्टूडेंट आ रहे हैं। हालांकि विषय के जानकार बताते हैं कि स्टूडेंटस को अगर जानकारी दी जाये तो सीटें पूरी तरह भर जायेंगी।

सीट 60, एडमिशन हुआ 22

रांची कॉलेज के यूजी संस्कृत विभाग में 60 सीटें हैं। पर इसमें सत्र 2017-20 के लिए केवल 22 सीटों पर एडमिशन हुआ है। पिछले सेशन में तो केवल 19 सीटें भरी थीं। संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ दिलोत्तम कुमार ने बताया कि संस्कृत एक क्लासिकल भाषा है। संस्कृत पढ़ना भी आसान नहीं है और इसका व्याकरण भी दुरुह है इसलिए छात्र कम हुए हैं पर जब रांची कॉलेज डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय बनेगा तो यहां छात्रों की संख्या बढ़ेगी।

पीजी में और कम छात्र

रांची यूनिवर्सिटी के पीजी संस्कृत डिपार्टमेंट में स्थिति और भी बुरी है। यहां 72 सीटें हैं और नामांकन सिर्फ 11 का हुआ है। हालांकि यहां 40 स्टूडेंट पीएचडी कर रहे हैं और पीएचडी कोर्स वर्क में 24 छात्र अध्ययनरत हैं। वहीं एक स्टूडेंट एमफिल कर रहा है। विभागाध्यक्ष डॉ मधुलिका वर्मा ने बताया कि दसवीं और बारहवीं में स्कूलों में संस्कृत भाषा के तौर पर पढ़ाई ही नहीं जा रही है। तो ग्रेजुएशन और पीजी के स्तर पर स्टूडेंट कहां से आयेंगे।

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए है सबस उपयुक्त

पीजी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत डॉ ब्रजेश कुमार मिश्र ने बताया कि संस्कृत कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए भी यह सर्वाधिक उपयुक्त भाषा है। जर्मनी और नासा में संस्कृत पर सबसे अधिक रिसर्च हो रहा है। वहीं रिसर्च स्कॉलर राहुल कुमार ने बताया कि जागरुकता के अभाव में संस्कृत को केवल पूजा-पाठ की भाषा समझ लिया गया है। जबकि सेना में धार्मिक शिक्षकों की बहाली में इसके अध्येता को अवसर मिलता है और समाज को सुसंस्कृत बनाने में भी इस भाषा की अहम भूमिका है।

इसलिए पढ़ना जरुरी है संस्कृत

- लगभग 3,000 वर्ष पहले तक भारत में संस्कृत बोली जाती थी। ईसा से लगभग 500 वर्ष पहले पाणिनी ने दुनिया का पहला व्याकरण ग्रंथ अष्टाध्यायी लिखा।

- इसका सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण इसकी सर्वश्रेष्ठता स्वयंसिद्ध है

- संस्कृत ही एकमात्र साधन है जो जीभ और अंगुलियों को लचीला बनाता है।

- संस्कृत पढ़नेवाले स्टूडेंट को गणित, विज्ञान और अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सहायता मिलती है।

- संस्कृत केवल भाषा नहीं बल्कि एक विचार है। संस्कृत एक संस्कृति है संस्कार है।

- नासा का कहना है कि सिक्स और सेवेंथ जेनरेशन के कंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारित होंगे

- संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। अरब आक्रमण से पहले संस्कृत भारत की राजभाषा थी

- जर्मनी के 14 विश्वविद्यालय में संस्कृति की पढ़ाई हो रही है,ं पर मांग की तुलना में फैकल्टी नहीं मिल रहे।

- हिन्दू यूनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करनेवाला स्टूडेंट बीपी, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल से मुक्त हो जायेगा।