-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, जल प्रबंधन के लिए काम कर कृषि क्षेत्र में इतिहास रचेगा बिहार

PATNA: पटना के ज्ञान भवन से गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुद्ध और महावीर के ज्ञान का सार बताया। राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक इसी ज्ञान के सहारे पहुंचने की बात कहकर उन्होंने हर किसी का दिल जीत लिया। संतों की तपोभूमि को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार की धरती एक बार फिर हरित क्रांति का गौरव प्राप्त कर इतिहास रचने को तैयार है। उन्होंने तीसरे कृषि रोड मैप के लोकार्पण के साथ कृषि से संबंधित 9 विभिन्न योजनाओं की बुनियाद रखी जिसमें ब् जल प्रबंधन से जुड़ी हैं।

साझा किया दो साल का अनुभव

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार के राज्यपाल के रूप में अपने दो साल के अनुभवों को साझा करते हुए यहां की कई विशेषता बताई। सुखद अहसास की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में कृषि विकास की अपार संभावनाएं हैं। जल प्रबंधन के लिए सही प्रयास किया गया तो अगली हरित क्रांति का गौरव इस धरती को मिल सकता है। राज्य में पर्याप्त पानी, उर्वरा भूमि और मेहनती लोग हैं। जो थोड़े से प्रयास से इतिहास रच सकते हैं। उन्होंने कहा बस परम्परागत जलस्त्रोतों को रिचार्ज करने की जरूरत है। आहर एवं पइन प्रणाली को फिर से सक्रिय करने की सलाह देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बाढ़-सुखाड़ की स्थितियों से बिहार की हिफाजत के लिए केंद्र एवं राज्य को समन्वय पर जोर देना होगा। इससे आपदा के असर को कम करने में मदद मिल सकती है।

बिहारियों का बड़ा योगदान

राष्ट्रपति ने गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर सीएम नीतीश कुमार के स्टैंड का समर्थन करते हुए कहा कि नमामि गंगे के तहत बिहार में बड़ा प्रयास हो रहा है। बिहार से बेहतर छवि की अपेक्षा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य के बाहर इसे सही रूप में निखारने के लिए जरूरी कदम उठाना चाहिए। राष्ट्र निर्माण में यहां की श्रम शक्ति का बड़ा योगदान है। दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों के विकास में बिहारी प्रतिभा की अनदेखी नहीं की जा सकती है।

धन्य है बिहार की धरती

नवनिर्मित ज्ञान भवन की स्मृति को राष्ट्रपति ने भगवान बुद्ध और महावीर के ज्ञान से जोड़ा और कहा कि राजभवन से राष्ट्रपति भवन की दूरी तय करने का गौरव उन्हें इसी धरती से मिला है। चंपारण सत्याग्रह के शता?दी वर्ष समारोह का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन किसानों पर केंद्रित था। इसलिए कृषि रोडमैप को शुरू करने का यह बेहतर मौका है। महात्मा गांधी ने भी किसानों को राष्ट्र निर्माता बताया था। समारोह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं कृषि मंत्री डॉ। प्रेम कुमार ने भी संबोधित किया। अंत में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

दिल में बसता है बिहार

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की बातों से लगा कि वह बिहार से दूर हैं लेकिन आज भी उनके दिल में बिहार बसता है। उनका 'बिहारीपन' वैसा ही बरकरार है जैसा राज्यपाल रहते दिखता था। वह अक्सर कहा करते थे कि मैं भी बिहारी हूं। गुरुवार को उन्होंने ये साबित कर दिया कि उनके दिल में कितना अपनापन है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के रूप में काम करते हुए उन्हें बिहार के हर वर्ग से जो स्नेह मिला, उसे जीवनभर नहीं भूल पाएंगे।

धान उत्पादन में चीन को पछाड़ा

कृषि रोडमैप (ख्0क्7-ख्0ख्ख्) के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कृषि रोडमैप के माध्यम से किसानों की आमदनी बढ़ाना चाहते हैं। खेती से संबंधित कोई भी काम करने वाला व्यक्ति किसान है। ऐसे लोगों की संख्या बिहार में 7म् प्रतिशत है। इन लोगों की आमदनी बढ़ाना लक्ष्य है। बिहार के तीसरे कृषि रोडमैप के लोकार्पण के बाद मुख्यमंत्री ने इसकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पिछले कृषि रोडमैप से कृषि क्षेत्र में बहुत काम हुए। उन्हीं से प्रभावित होकर तीसरा कृषि रोडमैप लाया गया है। रोडमैप बनने से किसानों में उत्साह का संचार हुआ। धान की उत्पादकता में बिहार ने चीन को पछाड़ दिया है। आलू उत्पादन में भी बिहार ने विश्व के रिकॉर्ड को तोड़ा है।

कृषि के लिए होगा अलग बिजली फीडर

सीएम ने कहा कि कृषि के लिए बिजली के लिए अलग फीडर बनाया जाएगा। यह कृषि रोडमैप का खास अंश है। पटना के नौबतपुर में प्रयोग के तौर पर यह आरंभ हो रहा है। यहां लोग डीजल चालित पंपसेट का यूज अधिक करते हैं, यह काफी मंहगा है।

राष्ट्रपति को मानते हैं बिहारी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बारे में कहा कि हमलोग मानकर चलते हैं कि वह बिहारी हैं। मुख्यमंत्री ने एक पुराने प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति जब बिहार के राज्यपाल थे तो वह कहा करते थे कि हम भी बिहारी हैं। उनका अभिनंदन करना हमारे लिए गौरव की बात है।

राज्यपाल ने कहा देश को बिहार से उम्मीद

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि पूरा देश बिहार को काफी आशा भरी निगाहों से देख रहा है। कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि बिहार से ही अगली हरित क्रांति होगी। उन्होंने कहा कि कृषि रोडमैप में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। बिहार सरकार कृषि, शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में बेहतर पहल कर रही है। कृषि रोड मैप किसानों की जरूरतों को पूरा करने का प्रमाणिक दस्तावेज होगा।