सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी में किताबों के डिजिटलाइजेशन के लिए लखनऊ की कंपनी को दी गई थी जिम्मेदारी

ALLAHABAD: किसी भी लाइब्रेरी का महत्व तब और अधिक बढ़ जाता है जब वहां की पुस्तकों को डिजिटल कर दिया जाए या पाठकों की समस्याओं का समाधान वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए उन्हें दूसरी लाइब्रेरी से जोड़कर कर दिया जाए। इलाहाबाद की सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी को कुछ ऐसा ही लुक देने का प्रयास किया जा रहा था जो अचानक रुक गया है। कारण कि यहां काम कर रही लखनऊ की बीएसएन कंपनी के संविदा कर्मचारियों को रिन्यूवल नहीं किया गया है।

पदेन अध्यक्ष को तीन बार भेजा पत्र

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सभापति अमरनाथ वर्मा सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी के पदेन अध्यक्ष हैं। लाइब्रेरी में 12 अगस्त से पुस्तकों को डिजिटल करने का काम ठप है। लाइब्रेरी के अध्यक्ष रवि कुमार यादव ने पदेन अध्यक्ष को तीन बार पत्र लिखकर यह जानकारी दी है, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है।

1947 में हुई थी सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी की स्थापना

12 हजार है इससे जुड़े रजिस्टर्ड पाठकों की संख्या

1947 से अब तक का राजपत्र लाइब्रेरी में रखा है

01 लाख 25 हजार पुस्तकों का खजाना है लाइब्रेरी में

15 जुलाई से शुरू हुआ था पुस्तकों के डिजिटलाइजेशन का काम

16 हजार पुस्तकों को ही अब तक किया जा सका है डिजिटलाइज

सवा लाख पुस्तकों को डिजिटल करने के लिए कंपनी को काम सौंपा गया था। कर्मचारियों के रिन्यूवल नहीं होने से कंपनी ने काम ठप कर दिया है। लाइब्रेरी के पदेन अध्यक्ष को तीन बार पत्र लिखने के बाद भी समाधान नहीं हुआ है।

रवि कुमार यादव, अध्यक्ष, सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी