Secret Superstar
Director: Advait Chandan
Cast: Zaira Wasim‎, ‎Meher Vij, ‎Aamir Khan, Aryan Ashik, Raj Arjun, Kabir Sajid, Tirth Sharma, Harsh Jha,
Rating: 4 Star

कहानी
एक मिडल क्लास गुजराती लड़की इंसिया अपने सिंगर बनने के सफर कैसे तय करती है यही है फिल्म की कहानी।

समीक्षा
कभी न कभी हम सभी ने अपने सपनों से समझौता किया ही है, सोचा कुछ है और हुआ कुछ और ही है, हम में से कितने लोग हैं, जो एक वक्त और सीमा पर आके हार मान लेते हैं, और अपने सपने को बीच रास्ते में छोड़ कर किसी और राह चल पड़ते हैं। निराशा और आशा में नीर का ही अंतर है, नीर मतलब दुख और हताशा के आंसू। जिसने नीर बहाए, उनके जीवन में आशा वापस आए, ऐसा कम ही होता है। इस फिल्म से मैं एक बात सीखा, आंसू दुख का प्रतिबिंब भले ही हैं, पर इस बात का सूचक भी हैं कि 'अभी ज़िन्दा हूं'...और आपकी पीड़ा ही आपको आगे भी ले जाएगी और हो सकता है कि अगर आप इनको अपना संबल बना लें तो इन्ही के सहारे आप अपने सपनों तक का सफर पार कर लें। फिल्म में जायरा यानी इंसिया का किरदार यही करता है। इस फिल्म से ज़्यादातर लोग रिलेट करेंगे, फिल्म में कई जगह पर आप रोएंगे और अंत में खड़े होकर तालियां भी बजाएंगे, पर ये नहीं कह पाएंगे कि फिल्म पसंद नहीं आयी। फिल्म माँ और बच्चों के रिश्ते पर बनी उम्दा फिल्मों में से एक है। फिल्म का निर्देशन बढ़िया है इसके लिए फिल्म के निर्देशक अद्वैत चंदन को बधाई।

 



अदाकारी
इंसिया का किरदार इस साल के सबसे पावरफुल फीमेल लीड किरदारों में से एक है, और जिस तरह से जायरा ने इसे निभाया है, वो काबिल ए तारीफ है। जैसे कि हमने पहले कहा है आप सिर्फ जायरा के पेरफ़ॉर्मेंस के लिए भी ए फिल्म देखने जा सकते हैं। सोडे मैं बुलबले की तरह अपने टैलेंट के बलबूते वो बहुत जल्दी सिनेमा जगत में ऊपर जाएंगी। उनकी माँ के किरदार में मेहर विज का काम भी माइंड ब्लोइंग है, इंसिया और नजमा के बीच का हर सीन देखने लायक है। स्टीरियोटाइप ज़ालिम बाप के किरदार में राज आपकी गालियों के पात्र बनेंगे। आमिर का एक अलग ही रंग आपको देखने को मिलेगा, उनकी कॉमिक टाइमिंग इतनी बढ़िया है कि उनकी झलक मिलते ही आपके चेहरे पर स्माइल आ जाएगी, फिर भो तारीफ की बात ए है कि वो किसी से लाइमलाइट छीनने की कोशिश नहीं करते, शायद इसीलिए उनका काम आपको और भी ज़्यादा अच्छा लगता है।

जो थोड़ी सी रह गई कमी
फिल्म परफेक्ट नहीं है, फिल्म की एडिटिंग लचर है और फिल्म कम से कम बीस मिनट ज़्यादा लंबी है, फिल्म काफी प्रेडिक्टेबल और मेलोद्रमाटिक भी है, पर वो तो हर अंडरडॉग स्टोरी होती है तो वो इतना बड़ा माइनस पॉइंट नहीं है। फिल्म का म्यूजिक बेहतर होना चाहिए था। कुल मिलाकर अगर आप दूसरों के सामने आंसू बहाने में शर्म आती है तो भी आप ए फिल्म देखने ज़रूर जाइए, हाल में अंधेरा होता है, किसी को पता नहीं चलेगा, और अगर पता चल भी गया तो भी कोई मज़ाक नहीं उड़ाएगा, बड़ी इमोशनल टाइप फिल्म है, सभी का हाल एक जैसा ही होगा। पर फिर भी आप जब हाल से निकलेंगे तो खुश होकर निकलेंगे कि इमोशनल ही सही पर एक बढ़िया फिल्म देखी।

Yohaann Bhargava
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