कहीं वो आतंकी तो नहीं?

लश्कर-ए-तैयबा के इस लेटर और नक्सलियों के मूवमेंट की भनक से रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन की नींद उड़ चुकी है। वह कोई रिस्क लेना नहीं चाहता है। पूरा महकमा हाई एलर्ट पर है। कैंट स्टेशन पर आतंक फैलाने का मंसूबा रखने वाले शिव भक्तों के वेश में भी हो सकते हैं। इंटेलिजेंस की ऐसी इंफॉर्मेशन ने रेलवे प्रशासन की धड़कनें बढ़ा दी हैं। यह खबर मिलते ही स्टेशन पर चप्पे-चप्पे पर निगहबानी बढ़ा दी गयी है। यहां शिव भक्तों और उन्हें ले जाने वाली ट्रेन्स पर खास तौर से नजर रखी जा रही है। इन सब के बावजूद दहशतगर्द अपने इरादे में कामयाब नहीं हो सकेंगे, इसका दावा कोई नहीं कर सकता। इसकी वजह भी है कि कैंट स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था में छेद ही छेद है। यह हाल तब है जबकि यह स्टेशन आतंकियों का निशाना बन चुका है और मोस्ट सेंसटिव है।

 

मिले हैं inputs

रेलवे इंटेलिजेंस को अब तक मिले इनपुट्स के बाद यही सामने आया है कि टेररिस्ट अटैक झेल चुका यह स्टेशन अब भी सेफ नहीं है। मौके का फायदा उठाकर सनसनी फैलाने वाले सावन के दौरान स्टेशन कैंपस व ट्रेन्स को अपना निशाना बना सकते हैं। अंजाम देने वाले कांवरिये का वेश पकड़ सकते हैं। बाबा विश्वनाथ की नगरी में सावन के दौरान बनारस के आसपास से ही नहीं देश के कोने- कोने से हजारों शिवभक्त यहां आते हैं। ये अपने साथ गंगा जल, खाने-पीने की चीजें बैग आदि में भरकर लाते हैं। शिवभक्तों के प्रति बेहद आस्था जुड़ी रहती है। इनको चेक करना तो दूर इनसे कड़े लब्जों में बात करना भी परेशानी खड़ी कर देता है। तमाम ऐसे एग्जाम्पल्स हैं जब शिवभक्तों की नाराजगी ने बड़ा बखेड़ा खड़ा किया है। इंटेलिजेंस को मिले इनपुट्स के अनुसार इसी वजह से दहशतगर्द कांवरियों का वेश धारण कर सकते हैं।

ये है तैयारी

अमन-चैन के दुश्मनों से निबटने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है। स्टेशन पर व ट्रेन्स में ये अपने मंसूबे में कामयाब न हों इसकी पूरी तैयारी की गयी है। तीन प्लाटून पीएसी ने पूरे स्टेशन परिसर की घेरेबंदी कर रखी है। इंट्री पॉइंट्स पर जीआरपी के जवान मुस्तैद हैं। आरपीएफ के जवान 24 घंटे प्लेटफॉम्र्स पर मूवमेंट कर रहे हैं। इसके अलावा डॉग स्क्वॉड, बम स्क्वॉड को भी तैनात किया गया है। खुफिया एजेंसी से जुड़े लोग भी सादे वर्दी में हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर जमाए हुए हैं। ट्रेन्स से उतरने वाले हर पैंसेजर को चेक किया जा रहा है। डॉग व बम स्क्वॉड द्वारा पैसेंजर्स के सामानों की बारीकी से जांच की जा रही है। खास तौर से ट्रेनों को प्रॉपर चेकिंग करने के बाद ही रवाना किया जा रहा है। शिवभक्तों की सतर्कता के साथ जांच की रही है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि उनकी आस्था को चोट न पहुंचे। उनसे सहयोग की भी अपील की जा रही है। संदेह होने पर उनकी आइडेंटिटी पूछी जा रही है। नाम, पता नोट करने के साथ उसका वेरिफिकेशन भी किया जा रहा है।

लेकिन खतरा अभी टला नहीं है

Varanasi: रेलवे ने कैंट स्टेशन पर काफी तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। लेकिन उसमें तमाम लूपहोल्स भी हैं। इसका फायदा टेररिस्ट्स उठा सकते हैं। लगभग एक किमी लंबे स्टेशन कैंपस में हर सौ से दो सौ मीटर पर एक एंट्री पॉइंट है। इससे होकर लोग बेधड़क स्टेशन कैंपस में आते-जाते हैं। कई जगहों पर तो बाउंड्रीज टूटी पड़ी हैं तो कहीं गेट ही नदारद है।

जिसको मन में आया घुस गया

इन स्थानों पर कोई रोकटोक नहीं है। जहां से जिसको मन में आया घुस गया वाली हालत है। वहीं कुछ एंट्री पॉइंट्स ऐसे हैं जिनमें से लोग वाहन लेकर स्टेशन कैंपस के अंदर तक घुस आते हैं। सन् 2007 में स्टेशन इन्हीं लूप होल्स के चलते टेररिस्ट्स का शिकार बना था। इस आतंकी घटना के बाद स्टेशन की सिक्योरिटी के लिए लंबा-चौड़ा प्लैन बना था। लेकिन उसे अब तक अमल में नहीं लाया गया। स्टेशन कैंपस में आने-जाने वालों पर नजर रखने के लिए एक साल पहले 68 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। लगने के  कुछ दिन बाद तक ये कैमरे चले। लेकिन अब हालत यह है कि कुछ को छोड़ दें तो बाकी सब खराब हैं। यही हाल डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर की है। स्टेशन के इंट्री पॉइंट्स पर डीएफएमडीज लगाये गये हैं। ये भी काम नहीं कर रहे हैं। यहां किसी की तैनाती भी नहीं है जो आने-जाने वालों पर नजर रख सके।

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सावन को देखते हुए स्टेशन कैंपस में सिक्योरिटी के तगड़े इंतजाम किए गए हैं। आने जाने वाले हर पर्सन पर हमारी नजर है। किसी भी तरह की गड़बड़ी करने वाले के मंसूबे कामयाब नहीं होने दिए जाएंगे।

त्रिपुरारी पांडेय, इंस्पेक्टर, जीआरपी कैंट

पहले से कायम है खौफ

कुछ दिनों पहले मुरादाबाद के सीनियर डीसीएम को लश्कर-ए-तैयबा का धमकी भरा लेटर मिला था। इसमें कई स्टेशंस को उड़ाने की बात लिखी थी। उसके बाद से रेलवे ने हाई एलर्ट जारी कर दिया। स्टेशंस से लेकर ट्रेन्स तक में सिक्योरिटी बढ़ा दी गयी। पैसेंजर्स ट्रेन्स की पॉयलटिंग की जाने लगी। बात यहीं खत्म नहीं होती है। ट्रेन्स और स्टेशंस को नक्सलियों से भी गंभीर खतरा है। हाल ही में कई बड़े नक्सलियों की गिरफ्तारी के बाद उनके साथी बदला लेने की फिराक में हैं। उनके लिए ट्रेन्स व स्टेशंस सॉफ्ट टारगेट हैं। इसे लेकर भी रेलवे सतर्कता बरत रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नक्सल प्रभावित एरिय सोनभद्र, चंदौली, मीरजापुर से बड़ी संख्या में शिवभक्त सावन के दौरान बनारस पहुंचते हैं। तमाम तरह के वेश बदलने में महारथ हासिल रखने वाले नक्सली शिवभक्तों के रूप में भी खून खराबा कर सकते हैं. 

ये हैं loopholes

= स्टेशन कैंपस में चार अथराइज एंट्री पॉइंट्स हैं

= टूटी बाउंड्री वॉल्स सहित अनगिनत  अनअथराइज्ड रास्ते हैं

= किसी भी पॉइंट पर आने-जाने वालों की नहीं होती चेकिंग

= कहीं नहीं सिक्योरिटी का कोई अरेजमेंट

= तीन जगहों पर लगे हैं डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर्स

= कैंपस में लगे 68 सीसीटीवी कैमरों में से अधिकतर नहीं करते काम

= अधिकतर टीसीज भी रहते हैं ड्यूटी से नदारद