JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल की सुरक्षा में बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। एडीसी (अपर आयुक्त) द्वारा आउटसोर्सिग कर्मचारियों की जांच में कर्मचारियों की संख्या काफी कम पायी गई है। जी अलर्ट एजेंसी को एमजीएम में सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अंतर्गत कुल 91 सुरक्षाकर्मी रखना है, पर रिपोर्ट में उनकी संख्या काफी कम आंकी गई है। जबकि हकीकत में उससे भी कम है। रिपोर्ट में 75 सुरक्षाकर्मी को गिनाया गया है, यानी निर्धारित संख्या से 16 कम। 75 में से भी 30 सुरक्षाकर्मी को रांची, बुंडू सहित अन्य जगहों से बुलाया गया था जो शनिवार की देर रात लौट गए। इन्हें सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए बुलाया गया था। जांच में बाहर से सुरक्षाकर्मी आए भी और चले भी गये। हुआ कुछ भी नहीं।

लंबे समय से चल रहा खेल

एक सुरक्षाकर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एक सुरक्षाकर्मी का वेतन करीब 12 हजार रुपये है। इसके अलावे सप्ताह में एक दिन छुट्टी, पीएफ व मेडिकल की सुविधा देने का प्रावधान हैं। पर, इसमें से कुछ भी सुविधा नहीं मिलती। वेतन के रूप में मात्र छह हजार रुपये मिलते हैं। सातों दिन काम लिया जाता है। पीएफ, मेडिकल की सुविधा तो कभी नहीं मिली। डरते-डरते सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि फिलहाल अस्पताल में 36 सुरक्षाकर्मी ही तैनात है। बाकि 55 गायब हैं। अगर अब जांच हुई तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

2014 से दे रही सेवा

सुरक्षाकर्मियों के नाम पर सरकार हर माह करीब 13 लाख रुपये फंड उपलब्ध कराती है पर मिलता है सिर्फ दो लाख 16 हजार रुपये ही। कारण कि, सरकार 91 सुरक्षाकर्मी के हिसाब से वेतन देती है, पर तैनात तो सिर्फ 36 ही है। ऐसे में 10 लाख 84 हजार रुपये कहां जा रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए। ताकि गरीबों को उनका हक मिल सके। एमजीएम में जी अलर्ट एजेंसी वर्ष 2014 से सेवा दे रही है। वहीं वर्ष 2017 से एक्सटेंशन पर चल रही है।

हो रही कर्मचारियों की जांच

वहीं, श्रीराम व एडवांस लिमिटेड कंपनी द्वारा आउटसोर्स पर नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ, सफाई सेवक, कंप्यूटर ऑपरेटर, एंबुलेंस चालक सहित अन्य कर्मचारी रखे गए हैं। उनकी संख्या में भी काफी कमी पायी गई है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव निधि खरे के निर्देश पर सभी आउटसोर्स कर्मचारियों की जांच की जा रही है।

कर्मचारियों की संख्या में कमी पायी गई है। जितनी संख्या होनी चाहिए उतनी नहीं है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर डीसी को सौंप दी जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

- सौरव कुमार सिन्हा, एडीसी