अटैक हुआ तो पुलिस उससे कैसे निबटेगी?

हमने अपने शहर में सिक्योरिटी का रियलिटी चेक किया तो सबकुछ भगवान भरोसे दिखा। यहां कोई टेरोरिस्ट अटैक हो या एक सनकी व्यक्ति आम्र्स लेकर घूम जाए तो सैंकड़ों लोगों की जान सांसत में पड़ सकती है। मॉल या शॉपिंग कांप्लेक्स में आम्र्स के साथ गार्ड नहीं हैं तो थाना के पास मॉल का नक्शा नहीं। अगर अटैक हुआ तो पुलिस उससे कैसे निबटेगी?

हादसे से निपटने के लिए भी तय नहीं है कोई प्लान

अगर आप मॉल या मार्केटिंग कांप्लेक्स में शॉपिंग के लिए जाते हैं तो अपनी सिक्योरिटी का हिसाब खुद रख लीजिए, क्योंकि आपकी सिक्योरिटी की फिक्र किसी को नहीं है। मेटल डिटेक्टर के अलावा कहीं भी किसी तरह की चेकिंग नहीं होती है। गेट पर सिक्योरिटी का प्रॉपर अरेंजमेंट नहीं रहता है। गन वालों का तो कहीं अता-पता भी नहीं रहता है। यही नहीं इस बावत लोकल थाने की पुलिस को भी इनकी सिक्योरिटी पर कोई ध्यान नहीं रहता है। हर दिन हजारों लोग मार्केटिंग कंप्लेक्स, सिनेमा हॉल या कमर्शियल कंप्लेक्स जाते हैं। अंदर और बाहर सिक्योरिटी क्लोज सर्किट कैमरे के भरोसे चलती है। इस दौरान अगर किसी तरह का हादसा होता है तो फिर पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन किसी भी सूरत में अंदर फंसे लोगों को बचाने में नाकाम रहेगा। क्योंकि इन बिल्डिंग के एंट्री प्वाइंट तो सबको पता है, लेकिन एग्जिट प्वाइंट के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। लिहाजा हादसे से निपटने के लिए पुलिस और मार्केटिंग एसोसिएशन दोनों फेल साबित होंगे। लोकल थाने की यह जवाबदेही बनती है कि उसके पास अपने एरिया की बड़ी बिल्डिंग-मॉल या कमर्शियल कांप्लेक्स का नक्शा हो। वहीं इन बिल्डिंग वालों को भी उसकी एक कॉपी प्रोवाइड करवानी चाहिए।

पुलिस निगम के भरोसे लड़ेगी

सीनियर एसपी मनु महाराज ने बताया कि अगर कोई घटना इस तरह की बिल्डिंग में होती है तो फिर नक्शा निगम से ले लिया जाएगा और उस हिसाब से पुलिस अपना एक्शन प्लान बनाएगी, लेकिन इस बावत जब निगम के सीनियर ऑफिसर से बात की गई तो उन्होंने बताया निगम के पास नक्शा तो है, लेकिन इमरजेंसी होने पर एक वीक का वक्त लग जाएगा। अगर नैरोबी जैसी घटना से निपटने के लिए नक्शा मांगा जाए तो एक दर्जन कर्मी को आठ घंटे लगाना होगा तभी संभव है।  

एंट्री प्वाइंट पर कोई पूछता नहीं

पी एन एम मॉल, जीवी मॉल, विशाल मेगा मार्ट, हरिनिवास, महाराजा कामेश्वर सिंह कांप्लेक्स जैसी बिल्डिंग की खासियत है कि इसके एंट्री और एग्जिट प्वाइंट दोनों एक ही है। हर कोई जिस रास्ते से जाएगा उसी से आएगा। लिफ्ट की संख्या भी एक या दो है। पी एन एम मॉल में एक लिफ्ट, हरिनिवास में दो लिफ्ट, महाराजा कामेश्वर सिंह कांप्लेक्स में सीढिय़ों के सहारे ही काम होता है। यही नहीं एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर सिर्फ सामान की चेकिंग होती है।

पैसे उगाही के लिए पार्किंग

इन बिल्डिंग्स से अगर कोई निकल भी जाता है तो सामने बेतरतीब पार्किंग में फंस जाएगा। इन मार्केटिंग कांप्लेक्स में पैसे उगाही के लिए जमकर गाडिय़ों की पार्किंग की जाती है। महाराजा कामेश्वर सिंह कांप्लेक्स का एक गेट खुला रहता है रेस्ट तीन बंद, जबकि गाडिय़ों के बीच से होकर यहां पर निकलना पड़ता है। यही हाल हरिनिवास और विशाल मेगा मार्ट का है। विशाल मेगा मार्ट में आए राजीव ने बताया कि पुलिस की गश्ती तो दिखती ही नहीं है। न ही कहीं लोकल थाने का नंबर या टॉल फ्री नंबर डिस्प्ले है।

पाटलिपुत्रा व कोतवाली थाना ने उठाया हाथ

पाटलिपुत्रा थाना के पास पीएनएम मॉल का नक्शा नहीं है, तो कोतवाली थाना के पास हरिनिवास, विशाल मेगा मार्ट, महाराजा कामेश्वर सिंह कांप्लेक्स आदि किसी का भी नक्शा नहीं है। इनका जवाब था कि नक्शा थाने के पास बल्कि निगम के पास होता है। हां किसी भी तरह की घटना से निपटने के लिए तैयार हैं।

गनमैन को नहीं रख सकते हैं

मॉल, कमर्शियल कांप्लेक्स से जब पूछा गया कि वो गनमैन क्यों नहीं रखते हैं तो जवाब था कि उनके पास कोई लाइसेंसी इस तरह के नहीं आते हैं। सिक्योरिटी के नाम पर बताया कि फौरन लोकल थाना को फोन कर सकते हैं। यही नहीं किसी भी तरह का अलार्मिंग सिस्टम भी इन जगहों पर डेवलप नहीं किया गया है। ऐसे में हर दिन हजारों लोगों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।

विशाल मेगा मार्ट

एंट्री प्वाइंट पर कोई चेक नहीं होता है।

एंट्री और एग्जिट प्वाइंट काफी पतला।

बाहर बेतरतीब पार्किंग अरेंजमेंट।

अंदर नजर रखने के लिए सिर्फ क्लोज सर्किट कैमरे।

कहीं भी पुलिस या लोकल नंबर डिस्प्ले नहीं है।

बिल्डिंग का नक्शा भी नहीं लगा है।

महाराजा कामेश्वर सिंह कांप्लेक्स

एंट्री प्वाइंट पर एक क्लोज सर्किट कैमरा।

पार्किंग में बेतरतीब लगी रहती है गाडिय़ां।

कांप्लेक्स में एक ही एंट्री और एग्जिट गेट।

वी टू जाते समय सिर्फ बैग की चेकिंग।

एक लिफ्ट को आने-जाने में लगता है काफी समय।

अलार्मिंग और सिक्योरिटी का नंबर नहीं होता डिस्प्ले

हरिनिवास

एंट्री और एग्जिट प्वाइंट एक है।

गेट पर बूढ़ा दरवान देखना है सिक्योरिटी।

ज्वेलरी व इलेक्ट्रॉनिक आइटम का बड़ा मार्केट।

मेन गेट लगते ही सैकड़ों लोग हो जाएंगे कैद।

कहीं से बाहर निकलने का नहीं है रास्ता।

लिफ्ट से पांच से छह तल्ले पर जाने की है सुविधा।

पीएंडएम मॉल

मॉल के अंदर की सिक्योरिटी पूरी तरह से टाइट है। गार्ड और बाउंसर के हाथ में मॉल की सिक्योरिटी की जिम्मेवारी है। 3.30 बजे आई नेक्स्ट की टीम पी एंड एम मॉल पहुंचती है। यहां एंट्रेस पर एक गार्ड और एक बाउंसर खड़ा है। अंदर आते ही गार्ड डिक्की चेक करता है। गाड़ी पर्ची लेकर उसे पार्क करने के बाद मॉल के अंदर आते हैं। एंट्री गेट पर दो बाउंसर और चार गार्ड खड़े हैं। यहां एक-एक आदमी व उनके बैग को चेक किया जा रहा है। एस्कलेटर और लिफ्ट के पास एक-एक बाउंसर निगरानी में लगा है। इसी तरह हर फ्लोर पर बाउंसर और गार्ड तैनात हैं।

फाइंडिंग : मॉल के अंदर सिक्योरिटी पूरी तरह से टाइट है, लेकिन बाहर अवैध पार्किंग बन गया है। यहां दर्जनों गाडिय़ां लगी रहती हैं। गाडिय़ों में बम रखकर आसानी से यहां पार्क किया जा सकता है। इस घटना में आस-पास के सैंकड़ों लोग मारे जा सकते हैं। मॉल के अंदर बाउंसर्स और गार्ड के पास वॉकी-टॉकी के अलावा कुछ भी नहीं है। पूरे मॉल में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर आशा राम सिंह के पास ही लाइसेंसी आम्र्स है। यानि मॉल पर कोई टेरोरिसट अटैक होता है तो निहत्था बाउंसर क्या कर लेगा। भले ही वे कमांडो की तरह ट्रेंड क्यों न हो?

- मॉल में 15 बाउंसर और 46 गार्ड हैं।

- मॉल में 46 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इसमें बिग बाजार और सिनेपोलिस का कैमरा शामिल नहीं है।

- आम दिनों में 25-30 से हजार और होलीडे में 50-60 हजार लोग मॉल विजिट करते हैं।

जीवी मॉल

शहर के भीड-भाड़ वाले बोरिंग रोड चौराहा के पास यह मार्केटिंग कांप्लेक्स है। कांप्लेक्स में टोटल 17 गार्ड हंै। इसके साथ एक सिक्योरिटी इंचार्ज सह बाउंसर है। यहां भी लोगों की सिक्योरिटी सिर्फ वायरलेस पर टिकी है। 5.30 बजे शाम को आई नेक्स्ट की टीम जीवी मॉल पहुंची। दो एंट्रेंस पर दो-दो लेडी गार्ड आने-जाने वाले लोगों को यदा-कदा चेक कर रही है। कांप्लेक्स का सिक्योरिटी इंचार्ज आसिफ खाना खुद तैनात है।

फाइंडिंग : यहां सड़क पर भीड़ तो होती ही है अंदर भी लोगों की संख्या ठीक-ठाक होती है। ऐसे में निहत्थे गार्ड और एक बाउंसर क्या कर लेंगे? पुलिस यहां कभी एक वीक या महीने में विजिट कर लेती है। ऐसे में कोई छोटा सा टेरोरिस्ट अटैक भी यहां सैंकड़ों लोगों की जान ले सकता है।

कांप्लेक्स में एक सिक्योरिटी इंचार्ज सह बाउंसर सहित 17 गार्ड तैनात हैं।

- कांप्लेक्स में पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है।

- कांप्लेक्स में हर दिन 5-10 हजार लोग विजिट करते हैं।

क्या-क्या होनी चाहिए

लोकल थाना के पास होनी चाहिए ऐसी बिल्डिंग का नक्शा।

बिल्डिंग के बाहर भी इसका डिस्प्ले होना चाहिए।

हर आने-जाने वालों की होनी चाहिए चेकिंग।

चेकिंग प्वाइंट पर गनमैन की हो व्यवस्था।

पुलिस की ओर से छह महीने में कम से कम एक बार हो मॉक ड्रिल।

अचानक से पुलिसिया चेकिंग की हो व्यवस्था।

सामने से पार्किंग को हटाया जाए, ताकि खुला रहे पूरा कैंपस।

Nano info

महाराजा कामेश्वर सिंह कंप्लेक्स - 3-4 हजार लोगों का आना-जाना

विशाल मेगा मार्ट - 4 हजार के आसपास

हरिनिवास - 5-6 हजार के आसपास

पीएंडएम मॉल की सिक्योरिटी अच्छी है, पर गार्ड थोड़े स्लो हैं। बाकी जगहों पर फटाफट चेक करते हैं। जहां तक टेरोरिस्ट अटैक की बात है तो वह पुलिस का मामला है।

कन्हैया, प्रोफेशनल.

मैं पीएंडएम मॉल हमेशा आता हूं। भीड़ होने के बाद भी मुझे कभी डर महसूस नहीं हुआ। बाकी भगवान न करे कि मॉल या किसी दूसरी जगह पर टेरोरिस्ट अटैक हो।

अभिजीत, बोरिंग रोड.

जीवी मॉल में हम कपड़े देखने आए थे। यहां सिक्योरिटी गार्ड तो हैं लेकिन ज्यादातर चेक नहीं करते हैं। मेटल डिटेक्टर लगा है। इससे ज्यादा सिक्योरिटी क्या होगी?

साहिल, कंकड़बाग.

पटना जंक्शन पर उतने लोग आते हैं तो वहां मेटल डिटेक्टर नहीं है यहां जीवी मॉल में तो गार्ड के साथ वह भी है। नैरोबी में जो हुआ, दुआ कीजिए कि बिहार में न हो।

राहुल, स्टूडेंट

यहां की पुलिस तो टेरोरिस्ट से लडऩे लायक है नहीं आप मॉल के सिक्योरिटी गार्ड की बात करते हो। जब पुलिस कुछ नहीं कर सकती तो ये निहत्थे क्या कर सकेंगे। इनकी ड्यूटी छोटी-मोटी हरकत को रोकने के लिए लगी है न कि टेरोरिस्ट अटैक से बचाने के लिए।

दीपक, स्टूडेंट.