पास्ट और प्रजेंट की तुलना ठीक नहीं

जीओसी ने कहा कि बीते एक दशक में काफी कुछ बदला है। सुरक्षा के खतरे लगातार बढ़े हैं। इसलिए 40-50 वर्ष पूर्व की स्थितियों से आज की तुलना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कैंट में कोई हमला कर ही देता है तो फिर वह आसानी से फौजी क्षेत्र से न निकल सके, इसकी खातिर यह सब कवायद हो रही है। अगर हमलावरों को हम फौजी क्षेत्र में घेर नहीं पाए और वे आवासीय क्षेत्र या शहर के दूसरे हिस्सों में घुस गए तो फिर क्या होगा। इसके बारे में भी सोचा जाए।

आपसी राजनीति ने बिगाड़ा माहौल

फौज किसी भी रास्ते पर मौलिक अधिकार का हनन नहीं करेगी। जहां गेट लगे हैं वहां अपना कोई भी परिचय पत्र दिखाकर आम शहरी आ-जा सकता है। खटकाना का भी गेट खुला था, लेकिन आपसी राजनीति की वजह से वहां का माहौल बिगड़ा। तमाम निजी हमले झेलने के बाद भी हमने कसेरूखेड़ा का गेट खोल रखा है जो खटकाना से महज 100 गज की दूरी पर है। जनहित के लिए ही कसेरूखेड़ा में ए-1 भूमि पर ड्रेनेज निर्माण के लिए नागरिक प्रशासन को अनुमति दी है।

टहलने नहीं आया था नक्सली

छावनी की सुरक्षा के विषय में जीओसी ने कहा कि हम लगातार मेरठ छावनी के आसपास स्लीपर सेल होने की आशंका जताते रहे हैं। हाल ही में नक्सलियों का जोनल कमांडर पकड़ा गया था, वह आबूलेन में टहलने तो नहीं आया था। निश्चित तौर पर 15-20 टास्क लेकर आया होगा। यहां उसके कुछ संपर्क के लोग होंगे। स्थानीय प्रशासन इसे गंभीरता से ले या न ले, हम तो लेते हैं।

सूचना का स्रोत अलग-अलग

नागरिक प्रशासन द्वारा कोई अलर्ट न होने की बात पर जीओसी ने कहा कि हम दोनों के सूचना के स्रोत अलग-अलग हैं। प्रशासन को गृह मंत्रालय से सूचनाएं मिलती हैं। हमें रक्षा मंत्रालय, मिलिट्री इंटेलीजेंसी से मिलती है। संभव है कि उनके पास जो सूचना है वह हमारे पास न हो। अगर वे अपनी सूचना हमारे साथ नहीं बांटना चाहते, यह उन पर है। लेकिन हम सीएमएलसी में अपनी बात रखते हैं।

माल रोड को ए-1 में कराएंगे ट्रांसफर

मेंबर्स के विरोध पर जीओसी ने कहा कि अगली बोर्ड बैठक में हम माल रोड को ए-1 श्रेणी में कनवर्ट कराने का प्रस्ताव रखेंगे। वैसे भी वर्ष 2002 से पूर्व माल रोड ए-1 श्रेणी की ही थी। कैंट बोर्ड में वित्तीय उपलब्धता की खातिर इसे सी श्रेणी में कनवर्ट किया गया था। अब कैंट बोर्ड की वित्तीय सेहत ठीक नहीं है इसलिए हम इसे पुन: ए-1 में कनवर्ट करा लेंगे।

तो बयान क्यों?

प्रशासन द्वारा खटकाना प्रकरण में फौज द्वारा बयान दर्ज न कराने के संदर्भ में जीओसी ने कहा कि जिस तरह की बात की जा रही है, अगर वह घटना ही नहीं घटी तो बयान क्यों?

लेटेस्ट ऑर्डर देखें डीएम

फौजी कार्रवाई पर डीएम द्वारा आपत्ति दर्ज कराने और सवाल उठाने पर जीओसी ने कहा कि नौ महीने बाद भी वो गलत सवाल ही उठा रहे हैं। सुरक्षा सर्वोपरि है। वैसे भी अगर नियमों की बात की जाए तो ए-1 श्रेणी की भूमि पर केवल हमारा अधिकार है, प्रशासन का नहीं। प्रशासन को यह बात समझनी चाहिए कि हाईकोर्ट का अंतिम निर्देश ही मान्य होता है। खटकाना जैसे ही प्रकरण में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने 13 मार्च, 2013 का लेटेस्ट आर्डर दिया है।